एक किसान समुद्र के किनारे खेती करता था। जहां भयंकर तूफान उठते रहते, जो उसकी फसलों को अक्सर नुकसान पहुँचाते। उसने सोचा कि वह हमेशा अपने खेत का ख्याल नहीं रख पाता, इसलिए एक सहायक रखना ठीक रहेगा। उसने इस मंतव्य से कई लोगों का साक्षात्कार लिया परंतु जिम्मेदारी की गंभीरता को देखते हुए कोई भी उसके यहाँ काम करने को राजी नहीं हुआ।
अंत में एक बौना व्यक्ति किसान के पास आया। किसान ने उससे पूछा कि क्या वह खेती-किसानी जानता है। उसने कहा मैं उस समय सो सकता हूँ जब तूफान आ रहा हो। किसान उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं था, फिर भी उसने सोचा कि कोई नहीं से तो यही बेहतर है और उसे काम पर रख लिया सुबह से शाम तक खेत में काम में लगा रहता। एक रात समुद्र की ओर से तूफान की भयानक आवाजें आने लगीं। अपने बिस्तर से कूद कर किसान ने लालटेन संभाली और भागता हुआ पास ही के एक मकान में किराए पर रह रहे बौने के पास जा पहुँचा। और वहाँ स्थित उस व्यक्ति के आवास तक गया और उसे झकझोर कर जगाकर बोला कि जल्दी उठो, तूफान आ रहा है।
सभी चीजों को बांध लो ताकि तूफान उन्हें उड़ा न ले जाए बौने ने करवट बदलते हुए कहा कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैंने आपसे पहले ही कह दिया था कि मैं उस समय सो सकता हूँ जब तूफान आ रहा हो। उसके इस उत्तर से किसान को बहुत गुस्सा आया, लेकिन पहले उसे अपनी फसल की चिंता थी, वह बाहर की ओर भागा। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि सूखी घास के ढेर, तिरपाल से ढंके हुए थे। सभी गायें अपने बाड़े और मुर्गियां अपने दड़बे में थीं और दरवाजे बंद थे। हर चीज इस कदर मजबूती से बंधी हुई थी कि कुछ भी उड़ नहीं सकता था। किसान को तब बौने की बात का अर्थ समझ में आया।
सारः समझदार लोग, समय से पूर्व भावी आपदा से निपटने के उपाय करके रखते हैं।
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