पूनम का फोन सुनकर उसकी मां का माथा ठनका, उन्होंने सोचा मायका व ससुराल एक ही शहर में है, तो इसका मतलब यह तो नहीं कि जब चाहे मुंह उठाकर मायके आ धमको। वैसे भी पूनम हपते में एकाध चक्कर तो मायके का लगा ही लेती थी। सुबह पति के ऑफिस जाने के बाद आ जाती फिर शाम को खा-पीकर ही लौटती, उसकी भाभी कहती तो कुछ नहीं थी लेकिन पूनम की फरमाइशें पूरी करते करते थक बहुत जाती थी।
पूनम की मां ने इस बार अपनी बेटी को बिना कुछ कहे सीख सिखाने की सोची। दूसरे दिन उन्होंने अपनी बहू को मायके जाने के लिए कहा कि कुछ दिनों के लिए तुम अपने मायके घूम आओ। अरे, मां अभी कुछ दिनों पहले ही तो मैं मायके रह कर आई हूं, फिर आपकी तबियत भी कुछ ठीक नहीं चल रही हैै। फिर भी सासू मां की बात मानने के लिए उसे मायके जाना पड़ा।
पूनम की मां ने पूनम के आने की बात अपनी बहू को नहीं बताई, दूसरे दिन पूनम अपना बैैग लेकर आ गई। आते ही हमेशा की तरह बोली, मां भाभी को बोलो कि मेरे लिये अदरक वाली चाय और गरमाकर पकौडे बना दे, बड़ी भूख लगी हैै। उसकी मां ने सधी आवाज में कहा- बेटा चाय तो तुम्हें खुद ही बनानी होगी, और हां मेरे लिए भी एक कप बना देना, रही पकौडे की बात सो तुम्हारी मर्जी हैं रसोई में सब कुछ रखा है, जो चाहो बना लो ।
क्यों भाभी कहा हैं, क्या फिर से अपने मायके जा बैठी हैं। सच मां, आपने भाभी को बहुत सिर चढ़ा रखा हैं, आखिर उसे आपकी उम्र का भी तो खयाल करना चाहिये। हां तेरा सोचना भी सही हैं और मेरा सोचना भी। तुम्हारी सास भी तो मेरी उम्र से अधिक की होगी, क्या तुमने कभी उनके बारे में सोचा है… तुम्हारे जब तब मायके चले आने से उन्हें भी तो परेशानी होती होगी। पूनम को मां की बात सुनकर सारी रात नींद नहीं आई। दूसरे दिन सुबह ही वह अपने घर वापस चली गई, शायद पूनम को अनकही सीख मिल गई थी।
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