जहाज़ की बत्तियाँ जलीं तो लगा, जैसे पानी में बिछी अँधेरे की चादर में अनेक दरारें पड़ गई हों। चारों ओर बल्बों की झूलती बंदनवार देखकर ही राखाल को खयाल आया कि इस बार वह दीवाली घर पर ही मनाएगा। कितना अच्छा होता, किसी तरह वह पूजा पर ही पहुँच पाता।
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निर्धन अब्दुल्ला और उसका सपना – अलिफ़ लैला की कहानियाँ
बहुत समय पहले की बात है। अब्दुल्ला नाम का एक गरीब आदमी था। उसकी पत्नी सुलताना उसे हमेशा कोसती रहती थी। उनका घर सुलतान के महल के खंडहर की टूटी दीवार से लगा हुआ था।
एक बार और – गृहलक्ष्मी कहानियां
सारा सामान बस पर लद चुका है। बस छूटने में पाँच मिनट बाकी है। ड्राइवर अपनी सीट पर आकर बैठ गया है। सामान को ठीक से जमाकर कुली नीचे उतर आया है और खड़ा-खड़ा बीड़ी फेंक रहा है। अधिकतर यात्री बस में बैठ चुके हैं, पर कुछ लोग अभी बाहर खड़े विदाई की रस्म अदा कर रहे हैं। अड्डे पर फैली इस हल्की -सी चहल-पहल से अनछुई-सी बिन्नी चुप-चुप कुंज के पास खड़ी है। मन में कहीं गहरा सन्नाटा खिंच आया है। इस समय कोई भी बात उसके मन में नहीं आ रही है, सिवाय इस बोध के कि समय बहुत लंबा ही नहीं, बोझिल भी होता जा रहा है। लग रहा है जैसे पाँच मिनट समाप्त होने की प्रतीक्षा में वह कब से यहाँ खड़ी है। कुंज के साथ रहने पर भी समय यों भारी लगे, यह एक नयी अनुभूति है, जिसे महसूस करते हुए भी स्वीकार करने में मन टीस रहा है।
असामयिक मृत्यु – – गृहलक्ष्मी कहानियां
सब-कुछ जहाँ का तहाँ थम गया।
गति महेश बाबू के हृदय की बंद हुई थी, पर चाल जैसे सारे घर की ठप्प हो गई। अधूरा बना हुआ मकान और अधकचरी उम्र के तीन बच्चे।
खोटे सिक्के – गृहलक्ष्मी कहानियां
‘जी, इन्हें कहाँ रक्खूँ?’
एक सहमी-सी आवाज़ पर सब घूम पड़े। देखा, एक छोटा लड़का थैली हाथ में लिए भयभीत-सा खड़ा है।
ब्यूटी पार्लर शरणम् गच्छामि…!! – गृहलक्ष्मी कहानियां
पहले महिलायें घर में चूल्हा-चौका देखती थी आज उन्हें खुद ऐसा बनना होता है कि वह दूसरो को अपने लुक से चौंका दे। पहले उसे अबला माना जाता था लेकिन अब उसे बला की खूबसूरत कहलाने में यकीन है।
बूढ़ा गिद्ध – हितोपदेश की रोचक कहानियां
गंगा नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। इस पेड़ पर बहुत से पक्षी रहा करते थे। एक दिन एक बूढ़ा गिद्ध वहाँ आया और पक्षियों से बोला कि “क्या वह इस वृक्ष के खोल में रह सकता है।” सभी पक्षियों ने बूढ़े गिद्ध की आयु को देखते हुए, उसे वहाँ रहने की इजाजत दे दी। वे अपने हिस्से के भोजन में से भी कुछ भोजन उसे खाने को दे देते।
साधु की पुत्री – हितोपदेश की प्रेरक कहानियां
गंगा नदी के किनारे एक साधु रहते थे। वे न केवल विद्वान थे बल्कि उनके पास जादुई शक्तियाँ भी थीं।
हिरण, कौआ और दुष्ट गीदड़ – हितोपदेश की शिक्षाप्रद कहानियां
जंगल में एक कौआ और हिरण रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे। हिरण बहुत सेहतमंद था व अपनी सुंदर त्वचा के कारण बहुत अच्छा दिखता था। वह बहुत ही आनंदी था, सारा दिन जंगल में कुलाँचे भरता।
क्रेडिट – बचपन से पचपन तक – गृहलक्ष्मी कहानियां
अब तो क्रेडिट ही जीवन है। यदि जीवन से क्रेडिट निकल जाये तो सब डेबिट ही डेबिट है। महीने का राशन भी क्रेडिट कार्ड से ही आता है, अत: अब तो रग-रग में क्रेडिट ही है।
