Posted inहाय मै शर्म से लाल हुई, हिंदी कहानियाँ

गृहलक्ष्मी की कहानियां – कहां से मुंह काला कराया

हमारे दोस्त के घर पार्टी थी, जिसमें काले या सफेद रंग के कपड़े पहनने थे। मैंने एक शिफॉन साड़ी काले रंग में रंगवाई थी, वही साड़ी पहन कर पार्टी के लिए हम स्कूटर पर जा रहे थे कि तेज बारिश शुरू हो गई।

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टेंशन नहीं लेने का!

आजकल टेंशन मत लो जैसा छोटा सा वाक्य एक अच्छा-खासा लोकप्रिय जुमला बन चुका है। मगर, इस जुमले को लेकर भी लोगों में काफी टेंशन है। दिन भर में सैकड़ों बार यह बात कही-सुनी जाती है। घर में रहो तो पूरा घर यही सलाह देता है कि टेंशन मत लो।

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दर्दे-इश्क़ जाग

हमारे उस्ताद ने जब हमें गज़ल लिखनी सिखाई, तब भी उसने यही बताया था कि गज़ल कहने के हज़ारों नुक्ते हैं। बहुत बढिय़ा किस्मतवालों को अच्छे उस्ताद नसीब होते हैं। बाज़ लोग तो हंसी में कह देते हैं कि फलां आदमी तो सब का उस्ताद निकला, सब को लाखों का चूना लगाकर चम्पत हो गया। आदमी उस्ताद किस्म का हो तो फिर उससे कोई उस्तादी नहीं कर सकता।

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ईर्ष्या की आग से जलना क्यों?

‘उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद क्यों?’ ‘देखो तो क्या बन-ठन कर रहती है? सब ब्यूटी पार्लर का कमाल है, वरना है क्या इसमें।’ ‘चार अक्षर क्या पढ़ लिया, जाने क्या समझती है अपने-आपको?’ ‘देखो तो क्या फैशन से रहती है। कुछ काम- धाम तो है नहीं, बस फैशन ही तो करना है।’
महिलाओं के बीच आमतौर पर प्रचलित वार्तालाप के ये अंश और कुछ नहीं, बल्कि उनके भीतर पनप रही ईर्ष्या के अंकुर हैं, जो वक्त बेवक्त फूट पड़ते हैं।

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