एक दिन मेरी मौसी का बेटा ‘झांसी की रानी कविता जोर से बोल कर याद कर रहा था। मैं बड़े ध्यान से उसे सुन रही थी, तभी उसने ये पंक्तियां बोली, ‘नाना के संग पढ़ती थी वो नाना के संग खेली थी, लक्ष्मी बाई नाम पिता की वह संतान अकेली थी। मैं यह सुनकर तुरंत उठ कर अपनी मम्मी के पास आई और कहा कि मुझे तुरंत नानू से बात करनी है। मम्मी ने भी तुरंत फोन मिला कर रिसीवर मेरे हाथ में दे दिया। उधर से नानू ने पूछा, ‘बेटा, क्या बात है मैंने बड़ी मासूमियत से कहा, ‘आपने मुझे कभी नहीं बताया कि लक्ष्मी बाई आपकी क्लास में पढ़ती थी और आपके साथ खेलती थी? मेरी बात सुनकर मां व मौसी जोर से हंस पड़े, मां ने रिसीवर लेकर कविता वाली बात बताई तो वो भी हंस पड़े। आज भी इस कविता को सुनती हूं तो मुस्कुराए बिना नहीं रह पाती।
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