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द्रौपदी रह चुकी हो

मुझे नाटकों में भाग लेने और लिखने का शौक बचपन से ही रहा है। इसलिए जब मेरी शादी की बात चली तो अपने होने वाले पति की लेखन क्षमता से प्रभावित होकर मैंने रिश्ते के लिए हां कर दी। शादी के कुछ साल बाद एक रोज हमारा किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ।

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गृहलक्ष्मी की कहानियां – एक दिन अचानक

  गृहलक्ष्मी की कहानियां – रचना को आमतौर पर सिरदर्द रहता था। उसे लगता था कि शायद थकान के कारण उसे सिरदर्द हो रहा है और वह एक दर्द की गोली खा  लेती थी, जिससे उसे कुछ आराम मिल जाता था और वह फिर से अपने कार्य में लग जाती थी। रचना एक विद्यालय में अध्यापिका […]

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कवि सम्मेलन के अध्यक्ष की योग्यता

क्या अध्यक्षता बेवकूफ ही करते हैं- नहीं, बुद्धिमान भी करते हैं- पत्नी जी रहस्यमय ढंग से मुस्करा रही थीं, वे सामने विराजमान रंगीनी देखकर वाह-वाह करते हैं।

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : सन्धि वार्ता

गृहलक्ष्मी की कहानियां : टिफिन बन गया कि नहीं ? मुझे देर हो रही है।” राजाराम ने चिल्लाकर राजरानी से कहा। उधर से कोई जवाब नहीं आया। राजाराम अंदर देखने गया राजरानी बिस्तर पर लेटी थी। इसका मतलब था, आज भी खाना नहीं बनेगा। महाभारत की रचना शुरू हो चुकी थी। महारानी लेटी पड़ी है […]

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कपूत – गृहलक्ष्मी कहानियां

‘‘सर यहां पर झांसी से कोई वर्मा सर हैं क्या? उनके घर से अर्जेंन्ट फोन आया है कोई सीरियस है, कह दें अविलम्ब घर से सम्पर्क करें। एक व्यक्ति मैसेज देकर चला गया। फाइवर ग्लास वर्किंग पर एक वर्कशाप का आयोजन केन्द्रीय विद्यालय नं. 1 कैन्ट नई दिल्ली में किया गया था।

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : ‘देवदूत’

गृहलक्ष्मी की कहानियां : पल्लव आज की डाक में एक खूबसूरत से शादी के कार्ड काे खाेल ही रहा था, उसकी आईएएस बैचमेंट रिया का फोन आ गया। पल्लव, साॅरी मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। मैंने शिवम् से शादी करने का फैसला लिया है। महत्वाकांक्षी रिया ने पल्लव काे पसन्द किया था, क्याेंकि वह आईएएस परिवार से […]

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