Posted inसामाजिक कहानियाँ (Social Stories in Hindi), हिंदी कहानियाँ

संस्कार—गृहलक्ष्मी की कहानियां

ऑफिस में क्लर्क के पद पर काम करते हुए मुझे दस वर्ष हो गए थे , लेकिन ऑफिस के किसी कर्मचारी से मेरा बैर—भाव नहीं था। ऑफिस में बैठा सारा दिन फाइलों को निपटता रहता हूं और शाम को बॉस की सेवा में लग जाया करता हूं । इस ऑफिस का एक आदर्शवादी कर्मचारी होने […]

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वह ज़रूर आएगा-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां

आज वह दिन है, जिसका जा उसे कई बरसों से इंतजार था। आज उसका सपना सच होने वाला था। कितनी उम्मीदें थी उसे आज के दिन से! काश शाम जल्दी से हो और उसे उसके इंतज़ार का फल मिले! वाणी नाम था उसका और पेशे से एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी थी। पति की मृत्यु पांच […]

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कहानी का सफ़र-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां

दिल्ली चंडीगढ़ हाईवे पर कार सरपट दौड़ी जा रही थी। एक बेहतरीन चार लेन का हाईवे। दिल्ली की भीड़-भाड़ और कभी समाप्त न होने वाला ट्रैफिक भी बहुत पीछे छूट गए थे और कार रफ्तार से दौड़ रही थी। बेटी के पास चन्द दिन बिता कर लौट रहे थे आकाश और रेवा। हर बार इकलौती […]

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यह जगह ख्वातीन के लिए नहीं-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां

तीन घंटे, पिछले तीन घंटे अपने पति कंवल और दो बच्चों के साथ फ्रेंकफर्ड हवाई अड्डे पर अपनी सहेली सुक्खी की प्रतीक्षा करते हुए निकल गए, उक्ता गयी मैं, यहाँ आने की जितनी उत्सुकता थी, धीरे-धीरे ठंडी पड़ने लगी। कमाल कर दिया इस सुक्खी ने भी! क्या उसे उनका आना भूल गया? भूल कैसे सकती […]

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सितारों भरी ओढ़नी-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां

नई दुल्हन ने अपने पति के साथ घर की दहलीज़ पर जैसे ही पांव रखा तो एक उल्लास भरा स्वर कानों में पड़ा, “ऐसे नहीं चलेगा भैया, पहले मेरा नेग, फिर भाभी को घर में लाना।” “ऐसी भी क्या व्यग्रता है अंजू, थोड़ी देर उधार ही सही, पहले हमें अंदर तो आने दे” प्रकाश ने […]

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फादर्स डे विशेष- लघु कहानी

गृहलक्ष्मी की लघु कहानी-पिताः एक रिश्ता विश्वास भरा ‘सुनो, गुड़िया आजकल बहुत खोई सी रहती है. क्या बात है?’‘मुझे भला वह कुछ बताती है? अपनी हर बात वह आप ही से शेयर करती है. कुछ खरीदना होगा तो आप से ही कहेगी। आपकी लाडली है, आप ही पूछिएगा.’‘लेकिन कुछ प्यार वगैरह का चक्र हुआ तो? […]

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कहानी—भूख तो रोज ही लगती है..

इस दुनिया में हर इंसान कोई भी काम सिर्फ और सिर्फ पहले अपना पेट भरने के लिए करता है उसके बाद वो कोई दूसरा शौक पूरा करता है लेकिन उनका क्या जिनको पेट भरने के लिए भी घर -घर की ठोकरें खानी पड़ती है। इसी से संबंधित आपके सामने पेश है एक लघुकथा।

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