Hindi Vyangya: मेरे मित्र ने पारिवारिक सदस्यों के दबाव में आकर चारपहिया वाहन खरीद लिया। शुरुआत में तो दो-तीन माह इनके पांव जमी पर नहीं पड़ रहे थे। खूब कार का मजा लिया। अब स्थिति यह आ गई की बैटरी न बैठ जाए इसलिए 10-15 दिन में एक चक्कर घर के आस-पास लगा लेते थे। […]
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गृहलक्ष्मी की कहानियां सरिता पत्रिका की कहानी गृहशोभा मैगजीन की कहानियाँ मनोरंजक कहानियों और महिलाओं से जुड़ी हर नई खबर स्टोरी इन हिंदी. यहां आपको मिलेगी परिवार, समाज और रोमांस की एक से बढ़कर एक कहानियां. Story in hindi
प्रेम का रंग-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Kavita: जो वादे किए थे तुमने कभी मुझसेउन वादों का ज़िक्र करु या न करूंवो हरबार आदतन तुम्हे सोचा करनादुआओं में हरपल तुम्हारी फिक्र करनामैं आज वो सब कुछ, करूँ या न करूं हमेशा की तरहतू कुछ बताता क्यों नहीआकर बस एकबारयह जताता क्यों नहीक्यों नही कह देता किमनु , कोई रिश्ता नही अब […]
अमरबेल-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं मध्यप्रदेश
Lok Katha: एक समय की बात है, कुछ आदिवासी लोग पहाड़ों पर रहने लगे थे। इस कारण उन्हें ‘पहाड़िया’ कहा जाने लगा था। पहाड़ों पर उगने वाले बाँस को पहाड़ियों ने सबसे पहले उपयोग में लाना सीखा। वे बाँस से तीर-कमान बनाकर पशु-पक्षी ही नहीं मछली आदि का भी शिकार कर लेते थे। बाँस से […]
नो अब्जेक्शन सर्टिफिकेट
Hindi Story: मां की अंतिम विदाई हो गई थी। सभी रिश्तेदार भैया-भाभी को सांत्वना देकर एक-एक करके जा रहे थे। मैं एक तरफ चुपचाप बैठी मां की तस्वीर को अपलक निहार रही थी। आंखें भी चुपचाप बहकर मेरा साथ दे रही थीं। तस्वीर में भी मां की बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें मुझसे जैसे हिम्मत और हौंसला […]
गठबंधन -दुखद हिंदी कहानियां
Hindi Story: “सुनो! तुम सजती रहना! आँखों के काजल में,होठों की लाली में,झुकती निगाहों में,कपोलों के हया में,वह जरूर मुस्कुरायेेंगे। तुम उनकी यादों में लिपटी खुश तो रह पाओगी।” “पता नहीं दी! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वह चले गये हैं।” “मत करो यकीन उस बात का जिस बात की गवाही आत्मा […]
आत्म-सम्मोहन-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां पंजाब
Nariman ki Kahaniyan: दूसरी बार बेल बजने पर, उसने बालों में ब्रश मारना रोक कर मोबाईल उठाया। “हां सुदीप” कहते ही उसने स्पीकर ऑन कर, मोबाईल को ड्रेसिंग टेबल पर रखा और फिर शीशे के सामने खड़े होकर बालों को संवारने लगी। सामने दीवार पर लगी घड़ी दस बज कर इक्कीस मिनट का समय दिखा […]
नाशुक्र
Hindi Kahani: बड़ी बेटी शिवानी के साथ दिल्ली लौटते समय मौसी जी रुंधे कंठ से अपने बेटे अनिकेत से बोली, ‘ये समझ लो तुम्हारे पिता के साथ मैं भी मर गई। कहते-कहते मौसी जी की आंखे भर आई। जब से कोरोना के चलते मौसा जी गुजरे, मौसी जी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले […]
श्राद्ध की खीर-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Shradh Story: हृदेश जी की पत्नी का आज पहला श्राद्ध था, बहू और बेटे ने हर चीज उनकी पत्नी रमा की पसंद की बनाई थी । तर्पण भी बहुत मन से किया था, और जो ब्राह्मणी श्राद्ध का भोजन करने आईं थी उन्हें बड़े चाव से खाना खिला दान दक्षिणा देकर विदा किया। खाने में […]
कामवाली बाई नही “किरन”-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Hindi Kahani: दिल्ली एक बडा महानगर और उसमे रहती है किरन, एक साधारण सी लडकी| उसकी माँ आस पास के घरो मे काम करती लेकिन पिता बहुत ज्यादा शराब पीने लगे थे और काम करना भी छोड़ दिया |पिता की शराब पीकर माँ और बच्चो की पिटाई कर सारा पैसा ले जाना धीरे धीरे बढता […]
इस्तकबाल
Hindi Story: सभी लोग चले गए, मैं चिता और अपने जीवन के अंत को देखने के लिए वहीं रुक गई। फिर अचानक भयंकर तूफान से न जाने कब चिता में से एक बड़ी लकड़ी का टुकड़ा उछल कर मुझ पर आ गिरा और उसने मुझे भी जला दिया। अमित का दिया हुआ आखिरी जख्म समझकर […]