विनि की दोनों सहेलियां बिखर गई थीं। पारुल टूटे कांच की तरह और दूसरी सुकन्या, उसे तो बिखरने का अधिकार तक न था।
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विडंबना – गृहलक्ष्मी कहानियां
ये एक स्त्री के लिए विडंबना ही तो है कि घर-बाहर हर जगह उसका अपना ही वजूद सुरक्षित नहीं। नरपिशाचों से खुद को बचाते हुए लक्ष्मी का भाग्य भी ऐसी ही परिस्थितियों से गुज़र रहा था।
लाइव गिफ्ट- गृहलक्ष्मी की कहानियां
कमरे की नीली रोशनी में उसका गोरा चेहरा, बिखरे बाल और तराशे हुए बदन को देखकर मैं पागल सा हो गया। अपने को रोक पाना मुश्किल सा लगने लगा, मेरा दिमाग शून्य होता जा रहा था…
इतिश्री – गृहलक्ष्मी कहानियां
प्रसव के दौरान देवरानी पलक की मौत ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया, उसकी उम्र ही क्या थी? मौत उम्र नहीं देखती, उसे जब आना होता वह आती है। मन को समझाएं हुए मैं उसकी नवजात बेटी को कमरे में सुलाने गयी तो वहां ताई सास अपनी बहू मीना को पाठ पढ़ा रही थीं। ‘मीना’ तू अपने मायके खबर कर दे। तेरे घर वाले सांत्वना देने आ जाएंगे, फिर मौका देखकर तेरी बहन रीना के रिश्ते की बात पल्लव से चला देंगे। बच्चों की खातिर शादी के लिए पल्लव मान ही जायेगा।
देर से सही
कांतिलालजी ने भी दुनिया देखी थी। मन ही मन कुछ अनुमान भी लगा रहे थे, लगता तो मामला पिटने-पिटाने का है उनका अंदाज़ा बरसों के घायल मन को सुकून दे रहा था। पर कैसे! कहां! किससे?
अनुभूति प्यार की – गृहलक्ष्मी कहानियां
‘रेवा के पति सुमित एक वकील हैं। वह उनसे बहुत प्यार करती थी। जब भी वह उसकी बाँहों में होती, तब उसे एक अजीब सी अनुभूति होती। आज उसकी शादी को 7 साल हो गए। लेकिन उसे लगने लगा कि अब उन दोनों के बीच में वह प्यार नहीं रहा, जो पहले था। आजकल सुमित, उससे ज्यादा अपने काम पर ध्यान देने लगा था। कभी-कभी उसे लगता जैसे वह उसको बिल्कुल ही भूल गया है।
कोरोना जंग
यह कहानी वुहान शहर की है जहाँ पर आनंद चीनी बचाव दल का एक जवान था। उसे बचाव के काम के दौरान हाँथ में चोट लग गई और उसका हाँथ टूट गया। इस वजह से उसे छुट्टी मिल गई।
हॉलीवुड की चार ऐसी फिल्में, जिन्होनें किया बॉलीवुड की कहानियों को कॉपी…!
हॉलीवुड के फिल्मों की कहानियों की कॉपी बॉलीवुड के लिए आम बात है। हमेशा से ही यह बातें सामने आती रहतीं हैं कि बॉलीवुड की यह फिल्म हॉलीवुड की इस फिल्म से ली गई है।
घूंघट हटा था क्या? भाग-2
समाज में दलितों और स्त्रियों की दशा हमेशा दयनीय रही है… दलित जहां जातिवाद का शिकार होते रहे हैं, वहीं स्त्री चाहे किसी जाति-वर्ग से हो उसे भी समाज का तिरस्कार झेलना पड़ता है। ये कहानी समाज के इसी खोखलेपन की परतें खोलती हैं।
एंटी रैगिंग- भाग 1
देश में शिक्षण संस्थानों में रैंगिंग की रोकथाम के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं, पर इसके बावजूद कई संस्थानों में रैंगिंग की घटनाएं होती रहती हैं। असल में रैंगिंग पर पूरी तरह लगाम तभी लग सकता है, जब विद्यालय प्रशासन और छात्रों में स्वयं इससे निपटने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो।