Krishna Katha: पाही माम्-पाही माम् सृष्टी सारी पुकारतीकब आओगे जगत के पालनहारी गुहारती मेघ गरजें,बिजुरी चमकेमूसलाधार वर्षा बरसें सायं-सीयं पवन चलेकंस का अत्याचार चरम पर पहूँचें रात कारी-घनघोर मतवालीकारागा़र के द्वार पर पहरा देत प्रहरी वासुदेव व्याकुल…. दर्द से कराहती माँ”देवकी,असुर के अंत और जगत के कल्याण की घड़ी फिर आई। देव गण आकाश से […]
Category: कविता-शायरी
कृष्ण जन्म -गृहलक्ष्मी की कविता
Krishna Janam: आसन्न प्रसव, देवकी सतीथी भाद्रमास की घनी रात,संयुक्त,अभिजीत अश्विनी पलअष्टमी तिथि, रोहिणी गात। दूसरा प्रहर वह रात्रि का थामनोहारिणी छबि पृथ्वी की थी,स्रोतस्वाति जल दर्पण सेदस ओर दिशा भी पुलकित थी। तारिका राज्य उज्ज्वल हो उठाखिल उठे पुष्प असमय ऐसेमलयानिल आकर दिव्य श्लोकगुंजित कर, चला गया जैसे। यह विजय मुहूर्त रात्रि का थाचहुं […]
स्वच्छ पर्यावरण—गृहलक्ष्मी की कविता
Environmental Poem: स्वच्छ पर्यावरण में होती जीवन की खुशहाली।खुशबू के संदेशे देती फूलों वाली डाली।इस कारण ही कुदरत की मर्यादा में प्यार दिखे।शुद्धता की अच्छाई में सारा सभ्याचार दिखे।मानव परोपकारी है तो सभ्यता शक्तिशाली।स्वच्छ पर्यावरण में होती जीवन की खुशहाली।जीवनशैली मुद्धत से भारत की पहचान रही।दुख सुख की परिपक्कता में इस की ऊंची शान रही।शुभआशीषों […]
गीत सावन के मनभावन के-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: गीतों का मल्हारों का मौसम त्योहारों का।सावन की फुहारों का प्रकृति की श्रृंगारों का।।प्रेयसी की गुहारों का प्रियतम की मनुहारों का।विरहन की दुविधाओं का सजनी की पूकारों का।। मौसम के मिजाजों का पुरवैया की बयारों का।झूलों का आनन्दों का सखियों संग बैठारों का।।साज का श्रृंगार का हरी हरी चुड़ियों की राज का।मेहंदी का […]
यूँ बेबस और दुखी तो न होता-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Kavita: विषधर ने विष धरा मानव कल्याण के लिएवो दर्द क्या इसलिए सहा उसनेकि उसको हर ओर विष फैला दिखेकाश समुद्र मंथन के दिनफैल जाने दिया होता विष उसने!कम से कम,आज खुद पे क्रोधित तो हो पातायूँ बेबस और दुखी तो न होता!राम ने वनवास झेला स्वच्छ समाज के लिएवो दुख क्या इसलिए सहा […]
जिंदगी के बीच खेवटहार होती चूडियां
Hindi Poem: मांग में सिंदुर है तो प्यार होती चूडियां।फिर पति के सफर में इकरार होती चूडियां।जिस तरह अम्बर में तारे चमक के प्रतीक हैं,लड़की की पहचान सभ्याचार होती चूडियां।चुप की अंगीठी में जैसे कोयले तपते नहीं,गर नहीं छन छन समझ ले इकरार होती चूडियां।गेंद गीटे या छटापू खेल की मुद्रा में हों,फिर उम्र की […]
श्रावण मास में शिवाराधना-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Sawan Kavita: श्रावण मास अति पावन है,लो शिव को जल चढ़ाएंँ,हर-हर हर महादेव के जयघोष से सारी सृष्टि गुंजाएंँ।बम बम बम बम भोले शिव ,शिव का ही नाम जपाएंँ,जो शिवजी का ध्यान करें,शिव की भक्ति पाए।मन से करें जो शिवाराधना,वो ही शिव को पाए।कर लो सुमिरन शिव नाम का,जप लो ॐ नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय, […]
सावन मास में करें शिव की भक्ति-गृहलक्ष्मी की कविता
Shiv Poem: शंकर शम्भु भोलेनाथ ,नीलकंठ महादेव भूतनाथ ।जग पीड़ाहारी, सकल सुखकारी,नटराज शिव जग पालनहारी ।किया हलाहल विषपान ,दिया जगत को प्राणदान ।दुष्टों के संहारक शिवत्रिशूल धारी त्रिलोचन शिव।शक्ति शिव के वामांग विराजे,मिल अर्द्धनारीश्वर रूप सजावें।जटा में गंगा शीश शशि सजावें,डमरूधारी शिव नागेश्वर कहावें।गणेश कार्तिकेय पार्वती संगउमापति कैलाश विराजे। नंदी आके शीश नवावें,भूत ,प्रेत शिव […]
अलबेले संवाद-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Kavita: घर की बुजुर्ग महिलाएं बैठी हैं तशरीफ़ लिए चौखटों पर ,सयानी हो रही अल्हड़, हठी लड़कियों की करने के लिए हिफाज़त, उनको ख़ुद खुलकर हँसने की इजाज़त नहीं दीपरंपराओं ने,संस्कारों और विरासत में वही सौंप रही हैं यौवनाओं को, इसलिए कुंवारियां भी नहीं हंसती आँगनों में लगाकर ठहाके,वो चिपकी हैं भुरभुरी रेत की […]
रिश्तों का रफू होना निहायत जरूरी है-गृहलक्ष्मी की कविता
Life Poem: वक्त का आंधी किस कदर चल रहा है,दूरियां बढ़ाने पर कितना पुरजोर हो रहा है..टूटते बिखरते रिश्तों का बिखरा ये चादर,कितनी नफरतों के छिद्र से बिखरा ये रिश्तों का चादर,कभी किसी के कील भरी बातों से उधड़ गया,कभी बेमतलब की बातों से ही छिद्र हो गया..दूर करने के बजाए अच्छा है,क्यूं न उसपर […]