Relationship with Wrong People: एक सुंदर और प्यारा रिश्ता वो होता है, जिसमें दोनों तरफ से बराबर हिस्सेदारी निभाई जाती है। ऐसे ही रिश्ते को परफेक्ट रिश्ता कहा जाता है। वहीं जिसे रिश्ते में केवल एक तरफ से ही पूरी कोशिश हो और दूसरा व्यक्ति इसकी अनदेखी करे, तब ऐसे रिश्ते को गलत रिश्ते का नाम दिया जाता है। क्या आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिलेशनशिप में रहे हैं, जो न केवल गलत था बल्कि आपके लायक ही नहीं था। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो न तो एक दूसरे के साथ लॉयल होते हैं और न एक-दूसरे के लिए बने होते हैं। लेकिन फिर भी हम ऐसे रिश्ते और व्यक्ति की ओर खिंचे चले आते हैं। गलत व्यक्ति के साथ रिश्ते में रहना एक सामान्य अनुभव है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। जानते हुए भी लोग कई कारणों से खुद को ऐसे रिश्तों से बचा नहीं पाते हैं। आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जो हमें गलत लोगों के साथ रिश्ता बनाने के लिए मजबूर करते हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
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इच्छाओं से बनता है रिश्ता

कई बार हम दूसरों से गलत अपेक्षाएं और इच्छाएं कर बैठते हैं। ये इच्छाएं हमारे रिश्ते को कमजोर कर देती हैं। डेटिंग के दौरान लोगों को पता होता है कि आपका पार्टनर आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकता है। जब आपकी इच्छाएं पूरी नहीं होतीं तो आप अपनी चीजों और बातों को सामने वाले व्यक्ति पर थोपने लगते हैं। कई बार आपका असंगत व्यवहार रिश्ते की सच्चाई दिखा देता है। इसलिए अपनी इच्छाओं को किसी पर थोपने से पहले उसकी स्ट्रेंथ जान लें।
सामाजिक दबाव
कई बार सामाजिक अपेक्षाएं और दोस्तों का दबाव भी लोगों को गलत व्यक्ति के साथ संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। भारतीय समाज में देखा गया है कि लड़का और लड़की का अकेला रहना, शादी व बच्चे न करना अन्य लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मजबूरन गलत रिश्ते में बंधना पड़ता है। लोग ऐसे साझेदारों के साथ रिश्ते में प्रवेश कर सकते हैं जो सामाजिक ढांचे में फिट बैठते हैं लेकिन उनके लिए उपयुक्त नहीं होते।
इमोशनल ट्रॉमा
कई बार पिछला अनुभव और इमोशनल ट्रॉमा लोगों को गलत साथी चुनने पर मजबूर कर सकता है। कुछ लोग ऐसे लोगों के साथ रिश्ते में प्रवेश कर जाते हैं जो उनके पुराने जीवन को दोहराता है। वे पुरानी चीजों को सुलझाने के लिए नए रिश्तों का निर्माण करते हैं लेकिन इससे उन्हें धोखा और फरेब ही हाथ लगता है। इमोशनल ट्रॉमा में बनाए गए रिश्ते ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाते।
रिजेक्शन का डर

रिजेक्शन का सामना तो हर किसी को करना पड़ता है लेकिन बार-बार मिलने वाला रिजेक्शन व्यक्ति को इमोशनली वीक कर देता है। कई बार रिजेक्शन के डर के कारण लड़का और लड़की गलत पार्टनर चुनने की गलती कर बैठते हैं। अकेलेपन का डर व्यक्ति को चेतावनी के संकेतों को नजरअंदाज करने या अकेलेपन से बचने के लिए प्रेरित करता है। वहीं रिजेक्शन का डर लोगों को उनकी योग्यता से कम पर समझौता करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
समझौता करना
कई बार जानबूझकर या अनजाने में लोग रिश्तों के साथ समझौता करने लगते हैं। पार्टनर रिश्ता निभाने के लायक हो या न हो लेकिन रिश्ते को बदलने या नया रिश्ता न मिलने के डर से हम पुराने और गलत व्यक्ति के साथ समझौता करने लगते हैं। कई बार ये समझौता रिश्ते को खत्म करने का कारण भी बन जाता है।
