क्योंकि सास हमेशा विलेन नहीं होती: Mother-In-Law Relationship Tips
Mother-In-Law Relationship Tips

Mother-In-Law Relationship Tips: जग-जाहिर है कि सास हमेशा सास ही रहती है वो मां कभी नहीं बन सकती है लेकिन आजकल की सास बड़ी समझदार हो गई हैं। वह जानती हैं कि बेटे को खुश रखना है तो बहू से दोस्ती करनी पड़ेगी। सच बात भी है कि घर में शांति बनी रहे और सभी की तरक्की हो इसके लिए सास और बहू को मेलजोल बनाकर रखना होगा। सास-बहू का रिश्ता बेहद खट्टा-मीठा होता है। ज्यादातर टीवी सीरियल में अक्सर सास बहू की तू-तू, मैं-मैं दिखाई जाती है क्योंकि इस रिश्ते में तालमेल बिठाना बेहद मुश्किल होता है। आजकल लोग सास-बहू के रिश्ते की कड़वाहट को कम करने की कोशिश करते हैं। अब समाज का नजरिया बेहद बदल गया है, वो खडूस सास की अवधारणा धीरे-धीरे बदलकर प्यारी सासू मां की हो गई है। आइए जानते हैं कि आखिर आजकल की सास अपने बहुओं का इतना साथ क्यों देती हैं-

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सास भी कभी बहू थी

नये जमाने की सास, बहू पर अत्याचार करके उनको बात-बात पर रोकने-टोकने की बजाए उनको हर बात सिखाती हैं क्योंकि सास भी हमेशा से सास नहीं थी वो भी बहु रह चुकी है तो जानती है कि शुरुआत में गलतियां होती रहती हैं। आजकल सास बहू को बेटी की तरह मानती हैं।

बेटे की तरह बहू भी है बराबर

एक जमाना हुआ करता था जब सास अपने बेटे को ज्यादा प्यार और बहु को पराया समझती थी जो रिश्ते की कड़वाहट की आम वजह हुआ करती थी लेकिन अब समाज का नजरिया बिल्कुल बदल गया है। जबकि नये जमाने की सास, बहू को बेटे से ज्यादा मानती हैं। वह बहू को बहू न समझकर एक दोस्त या बेटी की तरह मानती है।

लड़ाई में बेटे की बजाए बहू का साथ

कपल्स के बीच अक्सर लड़ाई हो जाती है। ऐसे में समझदार सास जब तक जरूरी न हो तब तक उनकी लड़ाई में दखलंदाजी नहीं करती हैं। आजकल सास बहू को बेटे की जिंदगी में खुशियां बनी रहें और वह लड़ाई की वजह न बने इसीलिए अक्सर बहू का साथ देकर बेटे को ही डांट देती है। सास-बहू का यही प्यार उनके रिश्ते को और मजबूत बनाता है।

रोक-टोक नहीं सीखना-सिखाना

अगर बहू को बेटी माना है तो उसकी गलतियों को भी समझें उसे ज्यादा रोक टोक की बजाए सिखाने पर जोर दें। आजकल बहुत सारी सास बहू से नये जमाने की बातें भी सीखती है। अक्सर सास-बहू रील्स या फिर सोशल मीडिया साथ में इस्तेमाल करती नजर आती हैं।

बेटे की पसन्द और न पसन्द सिखाना

पहले की सास बहू को अक्सर यह ताना मरती थी की मेरे बेटे को मेरे ही हाथ का खाना पसन्द है लेकिन अब ऐसा नहीं है, सास बहुओं को बेटे की पसन्द के बारे मे हर चीज सिखाती हैं ताकि बेटे को अपनी लाइफ में प्यार की कमी महसूस न हो, और बहु और बेटे से रिश्ता हमेशा मधुर बना रहे।

ज्यादा अपेक्षाएं नहीं

आजकल की सास बहू से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं रखती है। वह जानती हैं कि बेटे की ही तरह बहू भी कामकाजी है। कई बार वह बहू के आने से पहले खाना तैयार रखती है। आजकल की सास, बहू को घर के माहौल और रीति-रिवाज समझने का वक्त देती है। वह घर के नए वातावरण में बहू को ढलने में मदद करती है। यहां तक कि आजकल की सास बहू पर शासन करने की कोशिश नहीं करती है बल्कि उससे दोस्त की तरह किसी बात को समझाती है। इससे बहू के अंदर भी सास के लिए सम्मान पैदा होता है।

बेटे-बहू के बीच दीवार नहीं बनती

पहले जमाने में सास ‘मेरा बेटा सिर्फ मेरा है’ वाली भावना से बाहर नहीं निकलती। वो ये नहीं समझती कि बेटा अब शादीशुदा है। वह यह नहीं समझती थी कि उसके पत्नी के प्रति भी कुछ कर्तव्य है और उनकी ये सोच दोनों के बीच दीवार बन कर खड़ी हो जाती है। इसका असर तीनों पर बुरा पड़ता है। अच्छी सास को कभी भी बेटे-बहू के बीच दखलअंदाजी नहीं करना चाहिए। हालांकि, आजकल की सास काफी आधुनिक है। वह बेटे और बहू के बीच में कभी किसी प्रकार की दखलंदाजी नहीं करती है, जहां उन्हें लगता है कि बोलना जरूरी है तो अलग से समझाती है।

तुलना नहीं करती है

एक अच्छी सास अपनी सारी बहुओं को एक समान प्यार देती है। बहुओं में भेदभाव नहीं करती, क्योंकि ज्यादातर घरों में सास उसी बहू को प्यार करती है जो बेटा उन्हें प्यारा होता है, भले ही कुछ गलत भी करे। ऐसे भेदभाव करने से परिवार में क्लेश होता है और जिस बहू के साथ भेदभाव होता है, वो परिवार से दूरी बना लेती है। इसलिए सास अपनी सारी बहुओं को एक समान प्यार दें।

बहू के मायके वालों का सम्मान करती है

ज्यादातर घरों में ससुराल वाले इतने अहंकारी होते हैं कि उन्हें सिर्फ अपना सम्मान प्यारा होता है। लड़की के परिवार वालों का वो सम्मान नहीं करते। हर लड़की चाहती है उसके मां-बाप भी जब उससे मिलने घर आएं, तो उन्हें उचित सम्मान मिले, लेकिन सास के साथ घर के छोटे बड़े सदस्य भी उनका सम्मान नहीं करते। जबकि नये दौर की सास बहू को खुद मायके जाने के लिए कहती है। कई बार तो बहू के मायके जाने पर बेबी सिटिंग भी करती है।

बीमार होने पर बहू का ख्याल

पढ़ी-लिखी सास यह बात बहुत अच्छे से जानती हैं कि बुरे वक्त में केवल अपने ही काम आते हैं और बेटी से ज्यादा बहू उनके पास ज्यादा रहती है। इसी सोच के साथ सास, बहू के बीमार पड़ने पर बेटी की तरह उसका ख्याल रखती है।