एक छोटी सी चीज जो बच्चों के साथ आपके रिश्ते को बनाएगी खूबसूरत: Relationship with Kids
Relationship with Kids

Relationship with Kids: हम सभी अपने बच्चों के साथ अपना रिश्ता बहुत ही हंसता-मुस्कुराता चाहते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। बच्चे जैसे-जैसे बढ़ते हैं कहीं न कहीं पेरेंट्स को लगता है कि बच्चे उनकी बात नहीं सुन रहे वहीं दूसरी ओर अगर आप बच्चों के एंगल से देखो तो लगता है कि पेरेंट्स उनके नजरिए से दुनिया को नहीं देख पा रहे। दोनों के बीच एक अजीब सी दूरी आने लगती है। साइकोलॉजिस्ट और गुड इनसाइड की राइटर बेकी कैनेडी यह सब बदलने के मिशन पर हैं। वह कहती हैं कि हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि माता-पिता भी गलतियां करते हैं। लेकिन यहां परेशानी यह है कि मां-बाप बच्चों के सामने अपनी गलती को स्वीकार करने में गुरेज करते हैं। जबकि आप देखें जिस तरह से चीजें खराब होती हैं तो आप उन्हें रिपेयर करते हैं। वैसा ही मामला संबंधों का भी है। जब हम गड़बड़ करते हैं, तो उन्हें सही करने की कोशिश भी हमें ही करनी होगी।

छोटी चीजों पर ओवररिएक्ट करने से बचें

Relationship with Kids
Relationship with Kids-Avoid overreacting to small things

यह हम सभी के घर में रोज की बात होती है। बहुत बार बच्चे जूते जगह पर नहीं रखते और हम बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं। उसके साथ हम दस बातें और बोलते हैं। अगर हमारा मूड बहुत खराब होता है तो उसी समय हम उसे लापरवाह की उपाधी भी दे देते हैं। वो बच्चा अपने जूते सही जगह पर रखते हुए पैर पटकता हुआ जाता है और अपना गेट बंद कर लेता है। यह तो एक छोटी सी बात है ऐसी न जाने कितनी बातें दिनभर में होती रहती हैं। एक पेरेंट होने के नाते जब हम खुद का आंकलन करेंगे तो हमें समझ आएगा कि बहुत बार हम भी बच्चों के सामने ओवर रिएक्ट करते हैं। अपना आपा खो देते हैं और अपने बच्चे पर चिल्लाते हैं। सोचिए जब उनकी गलती इतनी बड़ी नहीं होती लेकिन उन्हें डांट ज्यादा पड़ रही होती है उस वक्त उन्हें कैसा लगता होगा?

बच्चों से बात करें

इस तरह जब आप ओवर रिएक्ट करें तो गलती यकीनन बतौर पैरंट्स आपकी है, तो उसके पास जाएं। उससे बात करें और कहें कि हां! जो मैंने किया था वो रिएक्शन गलत था लेकिन बेटा आपको भी इस बात को स्वीकार करना होगा कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप इस गिल्ट से भी बाहर आएं कि अगर आप कुछ बुरा करते हैं तो आप एक बुरे माता-पिता हैं। आप देखेंगे जब आप बच्चों के सामने अपनी गलती को स्वीकारेंगे तो बच्चे भी आपके साथ घुलेंगे- मिलेंगे। लेकिन यहां पर ध्यान देने की बात है कि आप को खुद को भी अपने आप को क्रिटिसाइज नहीं करना है। बस जब जहां पर जो गड़गड़ हो उसे उसी समय दुरुस्त करें। छोटी-छोटी बातें जब हम सही करते हैं तो बातें बड़ी बन ही नहीं पातीं।