कुम्भ राशिफल – Kumbh Rashifal 2024 – 1 July To 7 July
Aquarius Horoscope 2024

गू, गे धनिष्ठा‒2

गो, सा, सी, सू शतभिषा‒4

से, सो, द पूर्वाभाद्रपद‒3


1 जुलाई से 7 जुलाई तक

1 व 2 को धन लाभ के योग है। नौकरी में आपको महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हो सकती है। इस समय जो आप मन में ठान लेंगे उसे पूरा करके ही दम लेंगे। अच्छे व सच्चे मित्रें का साथ रहेगा। 3 व 4 को आपके हाथों से कोई ऐसा काम होगा, जिससे आपकी आलोचना या निंदा का भय है। कोई झूठा आरोप या प्रत्यारोप आप पर लग सकता है। कार्यों में विघ्न व बाधाएँ उपस्थित होगी, आप किसी सरकारी अफसर से बिना बात ही उलझ सकते हैं। स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 5 व 6 को विद्यार्थियों का फोकस अपने अध्ययन पर रहेगा। मन की कुछ इच्छाएँ पूरी नहीं होने से मूड खराब रहेगा। मेहमानों का आगमन होगा। 7 को कहीं से कोई शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आप अपने आप में मस्त रहेंगे।


ग्रह स्थिति

मासारम्भ में शनि कुम्भ राशि का लग्न में, राहु मीन राशि का द्वितीय भाव में, मंगल+चन्द्रमा मेष राशि का तृतीय भाव में, बृहस्पति वृषभ राशि का चतुर्थ भाव में, सूर्य+शुक्र मिथुन राशि का पंचम भाव में, बुध कर्क राशि का षष्टम भाव में, केतु कन्या राशि का अष्टम भाव में चलायमान रहेगा।

कुम्भ राशि की शुभ-अशुभ तारीख़ें

2024शुभ तारीख़ेंसावधानी रखने योग्य अशुभ तारीख़ें
जनवरी10, 11, 14, 15, 18, 192, 3, 4, 12, 13, 21, 22, 30, 31
फरवरी6, 7, 11, 12, 14, 151, 9, 17, 18, 26, 27, 28
मार्च4, 5, 9, 10, 12, 13, 147, 8, 15, 16, 24, 25, 26
अप्रैल1, 2, 5, 6, 9, 10, 28, 293, 4, 11, 12, 13, 21, 22, 23
मई3, 4, 6, 7, 25, 26, 30, 311, 9, 10, 18, 19, 20, 28
जून3, 4, 21, 22, 23, 26, 27, 305, 6, 14, 15, 16, 24, 25
जुलाई1, 19, 20, 24, 25, 27, 283, 4, 11, 12, 13, 21, 22, 30, 31
अगस्त15, 16, 19, 20, 21, 23, 24, 258, 9, 10, 18, 26, 27
सितम्बर11, 12, 13, 16, 17, 20, 214, 5, 6, 14, 15, 22, 23, 24
अक्टूबर9, 10, 14, 15, 17, 181, 2, 3, 12, 20, 21, 29, 30, 31
नवम्बर5, 6, 10, 11, 14, 158, 9, 16, 17, 25, 26, 27
दिसम्बर2, 3, 4, 7, 8, 9, 11, 12, 30, 315, 6, 14, 15, 22, 23, 24

कुम्भ राशि का वार्षिक भविष्यफल

Kumbh Rashifal 2024
कुम्भ राशि

इस साल आपको कदम-कदम पर चुनौतियों व मुश्किलों का सामना करना पडे़गा। आपकी राशि के अधिपति शनि आपकी हीे राशि में गोचरवश चलायमान हैं, आप उन चुनौतियों की आग से ठीक उसी प्रकार से निकलेंगे जैसा

सोना आग से निकलता है। स्वास्थ्य का मामला कमजोर रहेगा। पुराने रोग से तो कष्ट की स्थिति रहेगी, साथ ही कुछ नई बीमारियां भी सिर उठा सकती हैं। बुरी आदतों बुरी सोहबत का त्याग कर दें, शराब व नशे की लत छोड दें, अन्यथा आप अपने शरीर का नाश कर सकते हैं। किसी गम्भीर बीमारी को निमंत्रण दे बैठेंगे। जहाँ तक आर्थिक पक्ष की बात है, तो आर्थिक पक्ष इस साल ठीक-ठाक ही रहेगा। व्यापार व कारोबार में थोडी शिथिलता व ढिलाई देखी जायेगी। आप काम-काज में भरसक प्रयास करेंगे, स्थितियों को आप अपने पक्ष में नहीं कर पायेंगे। व्यर्थ के कामों में समय व धन दोनों ही खर्च होंगे। धन भाव में वर्ष पर्यंत राहु

की स्थिति है, अतः पैसा आने से पहले जाने का रास्ता भी तैयारी रहेगा। धन का संचय नहीं हो पायेगा। घर के किसी वरिष्ठ सदस्य की बीमारी या अस्पताल पर खर्चा होगा। व्यापार में विस्तार की

योजना तो बनेगी परंतु उस पर गम्भीरकता व संजीदगी से काम नहीं हो पायेगा। किसी न किसी कारण से योजना लम्बित होगी। इस वर्ष पारिवारिक सुख शांति की दृष्टि से यह साल अच्छा

है, परिवार के सदस्य हर मुश्किल परिस्थिति में आपके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहेंगे। घर के वरिष्ठ सदस्य व बुजुर्गाें का आशीर्वाद व स्नेह मिलेगा। पति-पत्नी व बच्चे आपकी परिस्थितियों को देखकर अपने खर्चाों में कटौती करेंगे। इस वर्ष देवगुरु बृहस्पति आपकी राशि से 1 मई तक तीसरे स्थान में है। अतः पराक्रम में बढ़ोतरी होगी, नए-नए लोगों से सम्पर्क बनेगा, वहीं विद्यार्थियों को भी मेहनत के अनुरूप फलों की प्राप्ति होगी। प्रतियोगी परीक्षा, नौकरी व कैरियर से सम्बन्धित परीक्षा में सफलता मिल जायेगी। 1 मई के पश्चात् माता का स्वास्थ्य गडबड़ रहेंगा, वहीं वाहन पर फालतू में खर्चा होगा, शुभ व मांगलिक प्रसंगों में भी अवरोध आयेंगे।

इस साल शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव आपकी राशि से द्वितीय चरण में है। अतः आजीविका व काम-काज में कोई खास उत्तम स्थितियां निर्मित नहीं हो रही हैं। वहीं शत्रु व षडड्ढंत्र आपके विरुद्ध वर्ष पर्यंत चलते रहेंगे। उसमें भी 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि के वक्रत्व काल में योगायोग ज्यादा बलवान है। वाहन सावधानी पूर्वक चलावें और वाहन चलाते समय सीट बैलट, हैलमेट का प्रयोग अवश्य करें।

इस वर्ष संतान की शिक्षा से जुड़ा हुआ कोई महत्वपूर्ण निर्णय आप ले सकते हैं। इस साल किसी भी कागज पर बिना पढ़े हस्ताक्षर नहीं करें, अन्यथा लेने के देने पड़ जायेंगे, कोर्ट केस में जो विवाद चल रहे हैं, उसमें स्थितियां पक्ष में बनेगी, परंतु झूठी गवाही से लेने के देने पड़ सकते हैं। खर्चों की प्रबलता रहेगी। बारहवें भाव का अधिपति लग्न में है। अतः बेतहाशा खचों को बढ़ा देगा। फिजुल खर्ची पर नियंत्रण आवश्यक हैं, इस समय 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि वक्र स्थिति में चलायमान रहेंगे, अतः आमदनी व आय को बढ़ाना तो हितकर नहीं, अपितु आप अपने खर्चों को नियंत्रित कर बजट को संतुलित बना सकते हैं। शारीरिक सुख एवं स्वास्थ्यः- वर्ष पर्यंत स्वास्थ्य को लेकर उतार-चढ़ाव की स्थिति चलती रहेगी इस वर्ष 30 जून से

15 नवम्बर के मध्य शनि वक्र स्थिति में चलायमान रहेंगे, अतः रक्त से सम्बन्धित व्याधि व गम्भीर बीमारी की आशंका है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहेगी। 1 मई के बाद देवगुरु बृहस्पति चौथे स्थान में आकर कोई आकस्मिक दुर्घटना के योग भी बना सकते हैं। मई से सितम्बर के बीच में मौसमी बीमारियों का जोर रहेगा। पेट से सम्बन्धित व्याधि, पाचनतंत्र के रोग हड्डियों के रोग आदि से परेशानी रह सकती है। ¬ हौं जूं सः इस मंत्र का जप करते रहें। आशुतोष भगवान शंकर की कृप्या से रोग में कष्ट कम होगा। दिनचर्या को व्यवस्थित रखें, खान-पान का विशेष ध्यान रखें।

व्यापार, व्यवसाय व धनः- इस वर्ष चल सम्पति की

खरीद के योग हैं, परंतु अचल संपति भूमि, भवन, प्लॉट, फ्लैट आदि की खरीद की संभावना कम ही है। इस वर्ष धन प्राप्ति में अकारण ही अवरोध व रुकावटें रहेंगी। कार्य विस्तार की योजना आप बनायेंगे, परंतु किसी न किसी कारण से उस विस्तार की योजना पर काम नहीं हो पायेगा, तथा काम आगे से आगे अटकेगा। इस साल आप दूसरों का काम आसानी से संपादित करवा देंगे, लेकिन जहाँ खुद के काम की बात आयेगी, आप अटक जायेंगे। 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि के वक्रत्व काल में, काम-काज का बोझ अधिक रहेगा। लेकिन प्रतिफल व लाभ जरूर कमजोर रहेगा। टैक्स चोरी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कस्टम चुंगी, रायल्टी, वैट, इन्कमटैक्स से सम्बन्धित कोई समस्या पेश आ सकती है। व्यावसायिक प्रतिद्वन्दी व प्रतिस्पर्धी आपकी शिकायत कर सकते हैं। वे टंगंडी मारकर आपको गिराकर आगे बढ़ने की फिराक में है। निवेश करने से पूर्व अच्छी तरह छानबीन व जांच पड़ताल कर लें। किसी की चिकनी चुपड़ी बातों में न आएं। इतना सब कुछ विपरीत होते हुए भी आप हौसले व विश्वास का दामन नहीं छोड़ेंगे। बुलंद हौसले व आत्मविश्वास के सहारे आप व्यापार में काम-काज में असंभव से असंभव काम कर जायेंगे। नौकरी में भी आपको यह प्रयास करना चाहिए कि उच्च पदस्थ लोग आपके काम से प्रसन्न रहें तथा नौकरी में लक्ष्यों को हासिल करने का दबाव तो है ही, साथ ही आपको अपने काम को पूरी निष्ठा, ईमानदारी व संजीदगी से अंजाम देना चाहिए।

घर, परिवार संतान व रिश्तेदारः- इस साल आप यह महसूस करेंगें कि परिवार के कुटुम्ब का आपको पूरा साथ व

सहयोग मिल रहा है। पति-पत्नी में यदा-कदा फरवरी से अगस्त के बीच में कहासुनी व तनाव हो सकता है। मतभेदों की स्थिति रहेगी। लेकिन समय रहते उन गलत फहमियों व मतभेदों का निराकरण भी हो जायेगा। अविवाहित व्यत्तिफ़यों के विवाह सम्बन्धी प्रस्ताव 1 मई से पूर्व आयेंगे। परंतु निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह छानबीन कर लें। जहाँ तक संतान का प्रश्न है। संतान आपकी आज्ञा में रहेगी। संतान के करियर से सम्बन्धित चिंता का समाधान तो इस वर्ष होगा परंतु विवाह आदि को लेकर जरूर चिंता रहेगी। माता-पिता व बडे़ बुजुर्गाें के आशीर्वाद के सहारे आप बड़ी से बड़ी मुसीबत को हँसते खेलते पार कर लेंगे। अप्रैल से अगस्त के मध्य सास-बहु, नगद, भौजाई में हल्की-फुल्की नोक-झोंक हो सकती है। रिश्तेदार आपके बढ़ते हुए प्रभाव पराक्रम से ईर्ष्या व द्वेष करेंगे। शत्रु व विरोधियों से जरूर सावधान रहें। 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि का वक्रत्व परिभ्रमण में पारिवारिक मुश्किलें बढे़ंगी।

विद्याध्यन, पढ़ाई व कैरियरः- यह वर्ष विद्याध्यन की दृष्टि से 1 मई से पूर्व तीसरे बृहस्पति के कारण उत्तम योग- शयोग निर्मित हो रहे हैं। कै रियर में नया जॉब का अवसर प्राप्त हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षा विभागीय परीक्षा, नौकरी से सम्बन्धित परीक्षा का परिणाम अनुकूल आयेगा। हालांकि आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। तथा 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य शनि गति के कारण आपका ध्यान भटक सकता है, फोकस हिल जायेगा, एकाग्रचित्ता में कमी आयेगी। लक्ष्य आँखों से ओझल होता हुआ दिखाई देगा, आप ऐन वक्त पर चीजें भूल भी जायेंगे। जहां तक करियर न जॉब की बात है। आप लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होंगे किसी बड़े व्यत्तिफ़ की मदद व सहायता से एकबार कैरियर में सरलता व सुगमता आती हुई दिखलाई पड़ रही है। विद्यार्थियों को उत्तम परिणाम के लिए ¬ विद्यानिधये नमः मंत्र का जाप निरंतर करना चाहिए।

प्रेम-प्रसंग व मित्रः- इस वर्ष वर्षारंभ में प्रेम का कारक शुक्र दशम में है। अतः की प्रेम-प्रसंगों के लिहाज से यह साल बहुत ही अच्छा रहेगा। प्रेमी-प्रेमिका के बीच गलत फहमियों का निराकरण होगा। इस वर्ष मैं आपको यह भी सलाह दूंगा कि 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य प्रेम-सम्बन्धों के उजागर होने का

खतरा है। जिस कारण परिवार में तनाव की स्थितियां रहेंगी। प्रेम समर्पण व त्याग-का दूसरा नाम है, अतः इस समय समर्पण व

त्याग दोनो ही कसौटियों से गुजरना पडे़गा। इस वर्ष मित्रें की संख्या में इजाफा होगा। आप किसी मुसीबजदा मित्र की तरफ मदद का हाथ बढायेगें।

वाहन, खर्च व शुभकार्यः- अगर खर्च की बात करें तो इस साल मुझे किसी बड़े खर्च की स्थिति वर्ष के अंत में है। संतान की शिक्षा, पढ़ाई व अन्य किसी मांगलिक खर्च की रूपरेखा बनेगी। 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य किसी शुभ प्रसंग की

योजना बनेगी। इस वर्ष सामाजिक व धार्मिक कार्यकलाप पर भी बढ़ चढ़कर खर्चा करेंगे। लोककल्याण व पीड़ितों के उद्वार के कार्य भी आपको आकर्षित करेंगे। इस वर्ष किसी नवीन वाहन की खरीद की संभावना नहीं है, पुराने वाहन की रिपेयरिंग, रख रखाव पर खर्च होगा। वाहन बार-बार रुक-रुक कर चलता रहेगा। इस वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है, अतः मैं आपको सलाह दूंगा कि वाहन सावधानीपूर्वक चलावें, तथा चलाते समय मोबाईल का प्रयोग नहीं करें, तथा मदिरा के सेवन से बचें।

हानि, कर्ज व अनहोनीः- कुंभ राशि के जातकों के लिए

यह साल धन हानि का है। आर्थिक निवेश करने से पहले अच्छी तरह ध्यान रखें, इस वर्ष 30 जून से 15 नवम्बर मध्य किसी पारिवारिक सदस्य से बिछोह हो सकता है। व्यापार में हानि की संभावना है निर्णय बहुत ही सोच-समझकर लें। आपको ऋण लेना पड़ता है, परंतु समय रहते आप ऋण से निवृत भी हो जायेंगे। जहाँ तक अनहोनी की बात है। इस वर्ष 30 जून से 15 नवम्बर के मध्य कोई अनहोनी घटना किसी पारिवारिक सदस्य के साथ

घटित हो सकती है। शत्रुजन्य बाधा व पीड़ा भी रह सकती है। अतः शत्रुओं की गतिविधियों व कार्यकलापों पर नजर रखें।

यात्रएंः- इस वर्ष के मध्य में मार्च से जून के मध्य कोई

धार्मिक महत्व की यात्र हो सकती है। काम-काज को लेकर भी आप इस वर्ष यात्रएं करेंगे, परंतु अधिकांश यात्रएं निरर्थक ही रहेंगी।

चिकनी चुपड़ी बातों में आकर धन का निवेश नहीं करें

चिकनी चुपड़ी बातों में आकर धन का निवेश नहीं करें, किसी राजकीय परेशानी की स्थिति भी दिखलाई पड़ रही है। आयकर, कस्टम, सेल्स टैक्स, चुंगी व सर्विस टैक्स आदि से सम्बन्धित परेशानी पेश आ सकती है।

कुम्भराशि की चारित्रिक विशेषताएं

आपकी राशि का स्वामी शनि है। शनि के कारण कुंभ राशि का जातक प्रायः मेहनती तथा स्वाभिमानी होता है, अपने स्वयं की मेहनत व परिश्रम के बलबूते पर आगे बढ़ता है।
शनि पापग्रह है तथा इनका रंग काला है। कुंभ राशि वाला व्यक्ति प्रायः मध्यम कद, गेहुएं वर्ण, सिर गोल, फूले हुए नथुने व गाल, दीर्घकाय, तोंदयुक्त, गंभीर वाणी बोलने वाला व्यक्ति होता है। यह राशि पुरुष जाति सूचक, स्थिर संज्ञक व वायु तत्व प्रधान होती है। इस राशि वाले पुरुष का प्राकृतिक स्वभाव विचारशील, शांत चित्त, धर्मभीरु तथा नवीन आविष्कारों का प्रजनन है।
कुंभ राशि का चिह्न ‘जल से परिपूर्ण घट लिए हुए स्त्री’ है। अतः इस राशि वाले पुरुष की आकृति घड़े के समान गोल व घट के समान गंभीर व गहरी होती है। ऐसे व्यक्ति प्रायः बाहरी दिखावे में ज्यादा विश्वास रखते हैं। ये पूर्णतया रहस्यवादी व्यक्ति होते हैं। व्यापारिक क्षेत्र में अपनी पूंजी का फैलाव सही पूंजी से कई गुना अधिक करते हैं। इनकी वास्तविकता को पहचान पाना बड़ा ही कठिन है। ये बड़े-से-बड़ा जोखिम लेने में भी नहीं हिचकिचाते।
कुंभ राशि में उत्पन्न जातक स्वस्थ, बलवान एवं चंचल होते हैं, इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है, जिससे अन्य जन इनसे प्रभावित रहते हैं। ये स्वभाव से ही प्रगतिशील एवं क्रान्तिकारी विचारधारा से युक्त होते हैं तथा पुराने रीति-रिवाजों को कम ही स्वीकार करते हैं। अन्य जनों के प्रति इनके मन में स्नेह एवं सहानुभूति का भाव विद्यमान रहता है। धार्मिकता की भावना कम एवं आधुनिकता से परिपुष्ट विचारों के होते हैं। साहित्य एवं कला में रुचि के साथ-साथ ये उत्तम वक्ता भी होते हैं।
इनका सांसारिक दृष्टिकोण विशाल होता है तथा इनके हृदय में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं रहता है। अध्ययन के प्रति इनकी रुचि होती है तथा परिश्रमपूर्वक विभिन्न शास्त्रों का ज्ञान अर्जित करके एक विद्वान के रूप में सामाजिक मान-प्रतिष्ठा एवं सम्मान अर्जित करते हैं। अवसरानुकूल इनको नेतृत्व का भी अवसर प्राप्त हो जाता है। ये भावुकता से कोई भी कार्य नहीं करते तथा बुद्धिमत्तापूर्वक सोच-समझकर अपने कार्यों को पूर्ण करते हैं। धन, ऐश्वर्य, वैभव एवं भौतिक सुख-संसाधनों को अर्जित करके आनन्दपूर्वक इनका उपयोग करते हैं।
अतः इसके प्रभाव से आप स्वस्थ एवं बलवान होंगे, परन्तु मन में अस्थिरता का भाव होगा। आप अपनी विद्वता एवं बुद्धिमत्ता से शुभ एवं महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके इनमें सफलता अर्जित करेंगे, फलतः आपका उन्नति का मार्ग प्रशस्त रहेगा। आपकी दृष्टि भी सूक्ष्म रहेगी तथा अन्य जनों को प्रभावित करके उनके विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ होंगे।
आपका व्यक्तित्व आकर्षक होगा तथा अन्य जन आपसे प्रभावित रहेंगे। आप में पराक्रम एवं तेजस्विता का भाव भी रहेगा। फलतः अपने सांसारिक महत्त्व के कार्य-कलापों को आप परिश्रम से सम्पन्न करेंगे तथा इनमें सफलता प्राप्त करेंगे। यदा-कदा उग्रता के प्रदर्शन से आपको अनावश्यक समस्याओं तथा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक रूप से आपकी स्थिति सामान्यतया अच्छी रहेगी तथा आवश्यक मात्रा में धन एवं लाभ अर्जित करने में समर्थ होंगे। आप भ्रमणप्रिय होंगे और अवसरानुकूल भ्रमण तथा यात्रा आदि पर अपना काफी समय व्यतीत करेंगे। साथ ही व्यय भी आप मुक्त भाव से करेंगे, लेकिन उत्तम आय होने के कारण इनका कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं होगा।
धर्म के प्रति आपके मन में श्रद्धा रहेगी, परन्तु धार्मिक कार्य-कलापों एवं अनुष्ठानों को आप अल्प मात्रा में ही सम्पन्न करेंगे। यदा-कदा तीर्थ यात्रा पर भी आप जा सकते हैं। इस प्रकार आप पराक्रमी, बुद्धिमान एवं परिश्रमी पुरुष होंगे तथा भौतिक सुखों का उपभोग करते हुए आनन्दपूर्वक अपना समय व्यतीत करेंगे।
कुंभ राशि शीर्षोदय तथा तमोगुणी राशि है। इस राशि वाले जातक गुस्सा कम करते हैं और करते हैं तो फिर गांठ बांध लेते हैं। आप एकान्तप्रिय व्यक्ति हैं तथा स्वार्थपूर्ण भावनाओं से परिपूर्ण हैं। अगर आपका जन्म ‘धनिष्ठा’ नक्षत्र में है तो आप सर्वदा सरल स्वभाव वाले, उदार हृदय व स्नेहयुक्त व्यवहार से कीर्ति पाने वाले व्यक्ति हैं। अगर आप व्यापारी वर्ग के व्यक्ति हैं, तो आपका ‘वाहन-योग’ 36 वर्ष की अवस्था में बनता है।
धनिष्ठाः- यदि आपका जन्म कुंभ राशि के ‘धनिष्ठा नक्षत्र’ के तृतीय व चतुर्थ चरण (गू, गे) में हुआ है, तो आपका जन्म 7 वर्ष की मंगल की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-सिंह, गण-राक्षस, वर्ण-शूद्र, हंसक-वायु, नाड़ी-मध्य, पाया-तांबा एवं वर्ग-बिलाव है। धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति निडर एवं निर्भीक होता है। ये संगीत प्रेमी होते हैं और समाज में इनकी बहुत प्रतिष्ठा होती है।
शतभिषाः- यदि आपका जन्म कुुंभ राशि के ‘शतभिषा नक्षत्र’ (गो, सा, सी, सू) में हुआ है, तो आपका जन्म 18 वर्ष की राहु की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-अश्व, गण-राक्षस, वर्ण-शुद्र, हंसक-वायु, नाड़ी-आद्य, पाया-तांबा, प्रथम चरण का वर्ग-बिलाव तथा अंतिम तीनों चरणों का वर्ग-मेढ़ा है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति कूटनीतिज्ञ होते हैं। दूसरों को चकमा देकर अपना काम कराने में सिद्धहस्त होते हैं।
पूर्वाभाद्रपदः- यदि आपका जन्म कुंभ राशि के ‘पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र’ के प्रथम चरण (से, सो, द) में हुआ है, तो आपका जन्म 16 वर्ष की बृहस्पति की महादशा में हुआ है। आपकी योनि-सिंह, गण-मनुष्य, वर्ण-शूद्र, हंसक-वायु, नाड़ी-आद्य, पाया-लोहा, प्रथम व द्वितीय का वर्ग-मेढ़ा तथा तृतीय चरण का वर्ग-सर्प है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक छोटी-छोटी बातों से उद्विग्न व तनावग्रस्त हो जाते हैं। इनमें स्वाभिमान की मात्रा विशेष होती है।
कुंभ राशि द्विबली व पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। इस राशि से पेट के भीतरी भागों पर विचार किया जाता है। आपका स्वभाव मृदु, सरल एवं सद्गुणों से परिपूर्ण है, परन्तु संकोचशीलता आपकी कमी है। आपको प्रतिपल एक वहम-सा रहता है। आप ऐसा सोचते हैं कि अन्य जन आप से ईर्ष्या कर रहे हैं और आप अकारण उनसे उलझ पड़ते हैं। यदि आप में यह आदत विद्यमान है, तो यह कभी भी खतरनाक साबित हो सकती है। यदि आपको किसी प्रकार के दुःस्वप्न आते हैं, अकारण खिन्नता महसूस होती है एवं बनते कार्यों में दिक्कत एवं रुकावटें आती हैं तो फौरन ‘शनि मुद्रिका’ धारण करें। शनि मुद्रिका काले घोड़े के पैर की घुड़नाल से बनाई जाती है। यह लोहे की होती है। शनि का रत्न ‘नीलम’ भी आपके लिए अत्यधिक अनुकूल व लाभप्रद रहेगा।

कुम्भ राशि वालों के लिए उपाय

नीलम रत्न 4 1/4 रत्ती का धारण करें। शनिवार को शनि मंदिर में तिल व तेल चढ़ाएं। बैंगनी रंग का सुगन्धित रूमाल पास में रखें। नीलम के अभाव में काकानीली या कटैला रत्न धारण करें। काले उड़द जल में प्रवाहित करें। रोटी पर सरसों का तेल लगाकर कुत्ते या कौवे को खिलाएं। चींटियों को खाना खिलाएं।

कुम्भ राशि की प्रमुख विशेषताएं

  1. राशि ‒ कुंभ
    1. राशि चिह्न ‒ जल से भरा घड़ा लिए हुए स्त्री
    2. राशि स्वामी ‒ शनि
    3. राशि महत्त्व ‒ वायु तत्त्व
    4. राशि स्वरूप ‒ स्थिर
    5. राशि दिशा ‒ पश्चिम
    6. राशि लिंग व गुण ‒ पुरुष, तमोगुणी
    7. राशि जाति ‒ शूद्र
    8. राशि प्रकृति व स्वभाव ‒ क्रूर स्वभाव, त्रिधातु प्रकृति
    9. राशि का अंग ‒ पैर
    10. अनुकूल रत्न ‒ नीलम
    11. अनुकूल उपरत्न ‒ काकानीली, कटैला
    12. अनुकूल धातु ‒ लोहा, त्रिलोह
    13. अनुकूल रंग ‒ नीला, आसमानी, काला
    14. शुभ दिवस ‒ शनिवार, शुक्रवार
    15. अनुकूल देवता ‒ शनिदेव
    16. व्रत, उपवास ‒ शनिवार
    17. अनुकूल अंक ‒ 8
    18. अनुकूल तारीखें ‒ 8/17/26
    19. मित्र राशियां ‒ मीन, वृषभ, मकर
    20. शत्रु राशियां ‒ कर्क, मेष, सिंह
    21. व्यक्तित्व ‒ अवधूत, योगी, साधक, तपस्वी, सत्यखोजी, अन्वेषक, यशस्वी
    22. सकारात्मक तथ्य ‒ संवेदनशील, समाजप्रिय, कुटुम्ब प्रेमी
    23. नकारात्मक तथ्य ‒ निरन्तर विचार बदलने की प्रवृत्ति