Indore Shani Mandir: शनिदेव का नाम सुनते ही अधिकतर लोगों के मन में एक विशिष्ट छवि उभरती है: काली शिला, सरसों का तेल, और काले वस्त्रों से सजाए गए शनिदेव। हर शनि मंदिर में अक्सर यही दृश्य देखने को मिलता है। शनिदेव की इस पारंपरिक पूजा पद्धति के साथ लोग दशकों से जुड़े हुए हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे शनि मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शनिदेव को तेल नहीं, बल्कि दूध चढ़ाया जाता है, और उनका सोलह शृंगार किया जाता है। यह विशेष जानकारी हमें प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से प्राप्त हुई है। चलिए, जानते हैं इस मंदिर की अद्वितीयता और इसके पीछे छिपी पौराणिक कथा।
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कहां है शनिदेव का ये अनोखा मंदिर
इंदौर शहर के जूनी इंदौर इलाके में स्थित शनिदेव का एक अनोखा और अद्भुत मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इसकी वजह यहां स्थापित शनिदेव का अनूठा स्वरूप है। इस मंदिर में शनिदेव का सोलह शृंगार किया जाता है, जो उन्हें विशेष बनाता है। इसके अलावा, यहां शनिदेव पर सरसों का तेल नहीं, बल्कि शिवलिंग की तरह दूध चढ़ाया जाता है। इस मंदिर की यह विशेष पूजा पद्धति इसे अन्य शनि मंदिरों से अलग और आकर्षक बनाती है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और भी गहरी होती है।
सिंदूरी शनि महाराज के नाम से प्रसिद्ध है ये मंदिर
सिंदूरी शनि महाराज के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में शनिदेव की पूजा का तरीका अनोखा है। यहां शनिदेव को तेल नहीं, बल्कि दूध और जल अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि एक बार शनिदेव ने इस जगह पर भगवान शिव की पूजा की और उनका सुंदर शृंगार किया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को वरदान दिया कि यह स्थान अब शनिदेव का होगा और यहां उनका हमेशा भव्य शृंगार किया जाएगा। जो भी भक्त शनिदेव को सिन्दूर चढ़ाएगा, उसे साढ़े साती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
इस मंदिर में शनिदेव को राजसी वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनकी पूजा और शृंगार में करीब 6 घंटे का समय लगता है। शाम के समय आरती से पहले शहनाई बजाई जाती है, और आरती के दौरान भी शहनाई की मधुर धुन गूंजती रहती है। यहां स्थापित शनिदेव की प्रतिमा को जीवंत माना जाता है, जिससे भक्तों की श्रद्धा और भी गहरी हो जाती है।