रॉबिन्सन और उसके बाडीगार्ड के चले जाने के पश्चात मैंने अपने होशो-हवास दुरुस्त किये और डेबी एवं अपने आपको इन लोगों के चंगुल से बचाने की योजना बनाने लगा।
अकस्मात् मुझे स्मरण हुआ कि रॉबिन्सन को मेरी हर नकलोहरकत का ज्ञान रहता है…यहां तक कि उसने मेरा और डेबी का प्रेम विहार भी रिकार्ड किया था…इसका आशय है कि उसने कमरे को बग कर रखा है। मैंने कमरे के चारों ओर दृष्टि डाली और अनुमान लगाने लगा कि वह बग कहां हो सकता है। सहसा छत की दो कड़ियों के बीच मुझे एक सुराख दिखाई दिया। मैंने अपनी चारपाई को दीवार के सहारे खड़ा किया और उस पर चढ़ कर छत की कड़ी को पकड़कर लटक गया।
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तत्पश्चात मैं कड़ी को पकड़े-पकड़े उस जगह पर पहुंच गया जहां पर वह सुराख था। एक हाथ से कड़ी को पकड़े दूसरे हाथ से मैंने उस सुराख के अन्दर अपनी उंगलियां डाल दीं। एक छोटी-सी चीज मेरी उंगलियों से छू गई। मैंने थोड़ा-सा जोर लगाकर उसे बाहर खींच लिया। वह तारों समेत मेरे हाथ से फिसलकर जमीन पर गिर गई। यह वहीं बग था जिससे मेरी नकलो-हरकत रिकार्ड होती रही थी। तत्पश्चात मैं हाथों के सहारे। जहां पर मैंने चारपाई खड़ी की थी। मैं नीचे उतर आया औश्र चारपाई को उसकी जगह पर डालकर उस पर गद्दा बिछा दिया। अब मुझे यह तसल्ली थी कि मैं कमरे में जो भी करूंगा उसके बारे में रॉबिन्सन को कुछ भी मालूम नहीं होगा।
तब मैं यह सोचने लगा कि रॉबिन्सन का बाडीगार्ड किस तरह से कमरे में दाखिल होकर दरवाजे से जरा हटकर एक ओर को खड़ा होता है और तत्पश्चात रॉबिन्सन कमरे में प्रवेश करता है। इससे मुझे यह संकेत मिला कि रॉबिन्सन या तो हथियार चलाना नहीं जानता या उका निशाना ठीक नहीं बैठता और न ही मैंने उसके पास कोई हथियार देखा था। इसका मतलब था कि रॉबिन्सन का बाडीगार्ड मेरे लिए लिए सबसे बड़ी रुकावट था। बाडीगार्ड के पास हर समय बन्दूक होती थी और मेरे पास एक छोटा-सा तिनका भी नहीं था।
मैं आराम से बिस्तरे पर लेट गया और कमरे की समीक्षा करने लगा। अचानक मेरी नजर पानी के घड़े घर चली गई। मुझे ख्याल आया कि पानी समेत ज्यादा नहीं तो घड़े का वजन दस किलो तो होगा ही…और अगर नहीं तो घड़े का वजन सही ढंग से उठाकर किसी के सर पर मारा जाये तो उसकी खोपड़ी निश्चित ही फूट जायेगी…किन्तु मुश्किल यह थी कि बन्दूक की लिबलिबी दबाने में एक पल भी नहीं लगता जबकि पानी भरा घड़ा उठाने में कुछ समय लग ही जाता है।
मैं यही हल ढूंढ रहा था कि मेरी नजर खिड़ी के पर्दे पर पड़ गई। पर्दा बहुत ही गाढ़े कपड़े का बना हुआ था। मैंने पर्दे को खिड़की से उतार लिया और अपनी चारपाई पर बैठकर डबल रोटी पर मक्खन लगाने वाली छुरी से-जिसके दोनों किनारे चपटे होते हैं…पर्दे की लम्बी-लम्बी कतरनें काटने लगा। यह मक्खन लगाने वाली चपटी छुरी सुबह के नाश्ते की ट्रे में आई थी। कतरने काटने के बाद मैंने उनको आपस में जोड़कर एक मोटी रस्सी बनाई। रस्सी का एक सिरा मैंने घड़े के मुंह के गिर्दे कसकर बांध दिया और दूसरा सिरा छत में लगे एक कुण्डे से निकालकर अपनी चारपाई के पाये से बांध दिया। अब पानी से भरा घड़ा ऐन उस जगह लटक रहा था। जहां रॉबिन्सन का बॉडीगार्ड खड़ा होता था। रस्सी का दूसरा सिरा छोड़ते ही पानी भरा घड़ा बॉडी गार्ड के सर पर जा गिरता।
यह सेट करने के पश्चात मैंने वाश-बेसिन को दीवार से अलग किया और उसको फर्श से टकरा-टकरा कर उसके तीन-चार टुकड़े कर दिये। फिर मैंने एक नोकदार टुकड़ा उठाया और उसको बिस्तर पर रखकर इस तरह से उसके आगे बैठ गया कि कमरे में दाखिल होने वाले को गुमान तक ना हो कि मेरे पीछे कोई चीज पड़ी है। साथ ही मैंने डबल रोटी पर मक्खन लगाने वाली छुरी अपनी जांघ के नीचे छिपा कर रख ली….और उसकी प्रतीक्षा करने लगा।
पौ फटी ही थी कि बाहर से कमरे की कुण्डी खुलने की आवाज सुनाई दी। मैं चौकस होकर बैठ गया। तभी एक आदमी अन्दर दाखिल हुआ। यह लिराय नहीं था….कोई और था….और इसके हाथ में बन्दूक थी। वह भी लिराय की भांति दरवाजे से तनिक हटकर खड़ा हो गया तथा अपनी बन्दूक मेरी ओर तान ली। उसके सर के ऊपर पानी का घड़ा लटका हुआ था, किन्तु उसने कोई ध्यान नहीं दिया था। उसके पीछे ही रॉबिन्सन पहुंच गया था, पर वह कमरे के अन्दर नहीं आया। उसने वहीं दरवाजे के पास खड़े-खड़े मुझसे पूछा, ‘क्या अब आप बताने का कष्ट करेंगे कि आपने मेरे बारे में पेरीगार्ड को क्या-क्या बताया?’
‘तुम्हारे दिमाग में खलल है। मेरे पास उसका कोई उपचार नहीं।’
‘ठीक है, मैं अब आपसे कोई बहस नहीं करना चाहता….काफी कर चुका हूं।’ मुझसे यह बात रॉबिन्सन ने अपने बॉडीगार्ड को सम्बोधित करते हुए कहा‒‘अर्ल, यदि यह महोदय कोई हुज्जत करें तो तुम इनकी हत्या करने के बजाय इनकी दोनों टांगों में गोली मारकर इनको घायल कर देना।’ कहकर रॉबिन्सन वहां से चला गया।
उसके वहां से जाते ही बॉडीगार्ड ने कमरे का दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया और दरवाजे के साथ लगकर खड़ा हो गया। उसके ऐसा करने से मेरा समूचा प्लान बिगड़ता हुआ नजर आ रहा था, क्योंकि वह घड़े के नीचे से परे हट गया था।
मैंने उसे बातों में लगाने का प्रयास करते हुए कहा‒‘क्या नाम है तुम्हारा?’
‘अर्ल।’
मैंने बिस्तरे पर सरकते हुये उससे कहा‒‘यह तुम्हें कितनी तनख्वाह देता है?’
‘तुम्हें इससे मतलब?’
‘मेरे कहने का मतलब है कि मैं तुम्हें इससे अधिक दे सकता हूं….।’ कहने के साथ ही मैंने अपनी चारपाई तनिक आगे सरका दी।
‘तुम ज्यों के त्यों बैठे रहो मिस्टर, नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूंगा।’ कहकर अर्ल दरवाजे से हटकर उस जगह पर आकर खड़ा हो गया जहां पर पहले खड़ा था।
मैंने मन ही मन प्रसन्न होते हुए कहा‒‘मैंने तो तुमसे नजदीक से बात करने के लिए चारपाई आगे बढ़ाई थी। मैं तो तुमसे केवल इतना कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हें उससे कहीं अधिक दे सकता हूं। इस विषय में बात कर लेते हैं।’
‘नहीं।’
मैं किसी भांति अर्ल का ध्यान बंटाना चाहता था क्योंकि रस्सी का दूसरा सिरा चारपाई के पाये के पास था और पाये तक मेरा हाथ नहीं पहुंच पा रहा था और यदि मैं उसके सामने एक ओर को नीचे झुकता, तो इसे हुज्जत समझ कर वह मुझे गोली मार देता।
मैंने किसी तरह अपना हाथ रस्सी की ओर बढ़ाया ही था कि मुझे बाहर से चीख की आवाज सुनाई दी। यह चीख डेबी की थी।
मैं अपने बिस्तरे से उठना ही चाहता था कि अर्ल ने बन्दूक की लिबलिबी पर हाथ रखते हुए कहा‒‘जहां हो वहीं बैठे रहो।’
‘यह चीख किसकी थी?’ मैंने अर्ल से पूछा।
‘लिराय किसी के साथ मजाक कर रहा है। उसके बाद तेरी बारी है।’
तभी डेबी की एक और चीत्कार सुनाई दी। मेरा दिल दहल उठा।
‘यह कौन चीत्कार रहा है?’ मैंने रस्सी का सिरा अपनी उंगलियों से पकड़ते हुए अर्ल से पूछा।
अर्ल ने मेरे प्रश्न का उत्तर देने के बजाय मुझसे कहा‒‘तुम जरा अपने दोनों हाथ सामने करो।’
‘जरूर।’ कहकर मैं अपने दोनों हाथ उसके सामने करता हुआ विद्युत गति से उसकी टांगों पर झपट पड़ा। उसी समय मुझे बन्दूक से गोली चलने की आवाज सुनाई दी थी। वह गोली मेरे ऊपर से गुजरती हुई बिस्तर पर जा लगी। तभी मैंने रस्सी का दूसरा सिरा अपने हाथ से छोड़ दिया….और खुद जमीन पर कलाबाजी खाते हुए अर्ल की टांगों से परे हट गया था। उसी क्षण दस किलो का पानी से भरा घड़ा उसके सर पर आ गिरा। घड़े के बोझ से उसकी खोपड़ी यूं फूटी थी जैसे चम्मच मारने से अण्डा फूट जाता है।
समूचा कमरा अर्ल के खून से भर उठा। तभी मुझे डेबी की एक और चीत्कार सुनाई दी। मैंने अर्ल की बन्दूक उठाई और दरवाजे को खोलकर दौड़ता हुआ बाहर निकल आया….मैं एक आदमी से टकरा गया जिसको अब से पहले मैंने यहां पर नहीं देखा था। वह विस्मय से मेरी ओर देखने लगा। अभी उसने अपने दाहिने हाथ में पकड़ी हुई पिस्तौल मेरी ओर लक्ष्य की ही थी कि मैंने डबल रोटी पर मक्खन लगाने वाली छुरी उसके पेट में घोंपकर उसका पेट फाड़ दिया। उसकी आंतें बाहर गिरने लगी। नीचे गिरती हुई अपनी आंतों को सम्भालने के प्रयास में उसने अपना पिस्तौल फेंक दिया। जैसे ही लड़खड़ाने लगा, मैं उसके पास से दूर भागा। तभी मुझे अहसास हुआ कि मैंने एक भयानक गलती कर दी है…वह तीन चार का समूह नहीं था…वह लोग तो दर्जनों की संख्या में थे….और उनमें से अधिकांश पुरुष थे।
मुझे धुंधला-सा याद है कि जब मैं भाग रहा था, तो मैंने एक मकान देखा था जिसकी छत तिरछी थी तथा खपैरल की बनी थी। एक कुत्ता जोर-जोर से भौंकता हुआ मेरा पीछा कर रहा था। उसके पीछे-पीछे कई आदमी दौड़ते हुए आ रहे थे और गुस्से में चिल्ला रहे थे।

तत्पश्चात किसी ने बन्दूक चलाई थी। मैंने भी जवाबी फायर करना चाहा था पर मेरी बन्दूक की गोलियां ही समाप्त हो गई थीं। तभी एक सनसनाती हुई गोली मेरे कान को छूती हुई आगे निकल गई थी। मैं दुबकी मारकर जमीन पर बैठ गया था और उस ओर आगे बढ़ने लगा था जहां पर पेड़ों का एक झुंड था। मैंने अपना पीछा करने वालों के दो साथियों की हत्या की थी। मुझे यकीन था कि यदि मैं उनके हाथ लग गया, तो वे लोग रॉबिन्सन के इस आदेश का कि मेरी हत्या करने के बजाय मुझे केवल घायल किया जाये, पालन न करके मेरी बोटी-बोटी काट डालेंगे।
जैसे-जैसे मैं अपनी जान बचाने के लिए आगे दौड़ रहा था, रह-रहकर मुझे डेबी का ख्याल सता रहा था कि अब न जाने उसके साथ क्या बीतेगी।

