Maut ke Deewane by James Headley Chase hindi novel - Grehlakshmi
Maut ke Deewane by James Headley Chase

मेरा नाम टॉम मेगन है और मैं एक बाहामियन हूं यानी बाहामा द्वीप का निवासी हूं। मेरा रंग गोरा-चिट्टा है। जब मैं केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में तालीम हासिल कर रहा था, तो अधिकांश लोग मेरी पीठ के पीछे यह खुसर-फुसर करते-मजाक करते थे-भला एक बाहामियन भी गोरा हो सकता है। बाहामा में हब्शी रहते हैं…और हब्शी कभी गोरे नहीं होते। किसी को यकीन ही नहीं होता था कि मैं बाहामा का रहने वाला हूं।

मेरी इस कहानी का चूंकि बाहामा और वहां की रियासत से काफी गहरा सम्बन्ध है, अतः बाहामा के बारे में कुछ जानना आपके लिए निहायत जरूरी है।

बाहामा द्वीप समूह में प्रायः सात आठ सौ छोटे-बड़े द्वीप हैं। यह द्वीप समूह फ्लोरिडा के समुद्र तट से पचास मील दूर से आरम्भ होकर पांच सौ मील दूर क्यूबा के समुद्र तट तक फैला हुआ है, यानी बाहामा द्वीप समूह का एक द्वीप अमरीका के पास है, तो दूसरा क्यूबा के निकट। बाहामा द्वीप समूह में कई तो काफी बड़े द्वीप हैं…जैसे अबाको, ग्रेंड बाहामा, न्यू प्रोवडिन्स, एल्यूथरा, एन्डरॉस आदि। ये द्वीप इतने बड़े हैं कि आप इसी से अन्दाजा लगा सकते हैं कि इनमें कोई ऐसा द्वीप नहीं जिसमें फाइव स्टार होटल न हो। और ग्रेंड बाहामा में तो तीन-तीन ऐसे होटल हैं। इसके साथ-साथ बाहामा द्वीप समूह में कुछ ऐसे द्वीप भी हैं जिनमें केवल चालीस या पचास परिवार रहते हैं।

मेरा सम्बन्ध एक ऐसे परिवार से है जो अमरीका की आजादी के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ा था। बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि जिन दिनों इंग्लिश चर्च के कैथोलिक मतांध प्रोटेस्टेन्ट धर्मियों पर अत्याचार ढा रहे थे तो कई प्रोटेस्टेन्ट इंग्लैण्ड से भागकर बाहामा जैसे दूर-दराज इलाकों में जाकर बस गए थे। किन्तु कैथोलिक मतांधों को इस पर भी चैन नहीं आया था…और वे उनके पीछे जा-जाकर उन पर अत्याचार करते रहते थे। यही नहीं, उन्होंने ब्रिटिश सरकार को इस कदर उकसाया कि वह भी कैथोलिक मतांधों का साथ देने लगी और इंग्लैण्ड से उजड़े हुए प्रोटेस्टेन्ट शरणार्थियों के पीछे जा-जाकर उनकी बस्तियों पर हमले करने लगी। तब अट्ठारहवीं शताब्दी के अन्तिम दशक के आरम्भ में जार्ज वाशिंगटन ने इंग्लैण्ड से उजड़े हुए शरणार्थियों को एक जुट किया था और फिर वे अंग्रेजी के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देने लगे थे। तत्पश्चात अंग्रेजों एवं इन शरणार्थियों के बीच डट कर लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज हार गए थे और इन शरणार्थियों को विजय प्राप्त हुई थी। इसी जीत के साथ अमरीकन राष्ट्र का जन्म हुआ था।

मेरे पुरखे इस जंग में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े थे। वर्ष 1784 में जंग की समाप्ति के पश्चात जॉहन मेगन ने अपने परिवार सहित बाहामा द्वीप समूह के अबाको द्वीप में बसने का निर्णय किया था। उस समय अबाको द्वीप की कुल आबादी 1500 थी। 1788 में यह आबादी 1500 से घटकर केवल 400 रह गई थी। इन चार सौ में आधे से अधिक यहां के मूल निवासी यानी हब्शी थे। जनसंख्या के घटने का एकमात्र कारण यह था कि यहां की जमीन अनउपजाऊ थी। टमाटर, गन्ना, अनानास, कपास आदि जैसी कई नकदी फसलें उगाने के बहुत प्रयास किये गये थे, पर जमीन कुछ पकड़ती ही नहीं थी। आखिर थक हार कर लोगों ने द्वीप को खैरबाद कह दिया था। किन्तु मेरे पूर्वज तथा कुछ अन्य परिवारों ने नहीं छोड़ा और यहीं पर डटे रहे। अबाको द्वीप में लकड़ी काफी मात्रा में पाई जाती थी। सो उन्होंने अपने रहने के लिए लकड़ी के मकान बनाए। खाने-पीने के लिए जो फसलें उग सकतीं, उगाते‒समुद्र में मछलियां पकड़ते…पकाते खाते और सो जाते। यही उनका जीवन था….दिन के समय फसलों की देखभाल करना, मछलियां पकड़ना और दिन ढलते सो जाना। शनैः-शनैः मेरे पूर्वज जॉहन हेनरी मेगन ने द्वीप वासियों को समझा-बुझाकर लकड़ी का धन्धा शुरू किया। वे अबाको से लकड़ी निर्यात करने लगे। उनका कारोबार फलने-फूलने लगा…और फिर फलता-फूलता ही रहा। दो साल के अन्दर-अन्दर अबाको की आबादी कई गुणा बढ़ गई। द्वीप की प्रगति के लिए जॉहन हेनरी मेगन को इतनी नेकनामी मिली कि आज भी लोग-बाग मेरे पुरखों को नहीं भूले तथा मेरे परिवार के साथ प्रेम एवं श्रद्धा से पेश आते हैं।

सब सांसारिक सुख होने के बावजूद मेरे वंश में एक अजीब-सा सिलसिला चला आ रहा है…इसे आप हमारा अभाग्य समझ लीजिए या भाग्य…हमारे वंश में लड़के तो बिरले ही पैदा होते हैं, अधिकांश लड़कियां ही जन्म लेती हैं। मेगन परिवार जो बाहामा द्वीप समूह के कोने-कोने में फैला हुआ है, उसमें मैं ही एकमात्र पुरुष हूं….बाकी सबकी सब नारी जातीय हैं।

लकड़ी निर्यात करने के साथ-साथ मेरे पुरखे पानी के जहाज भी तैयार करने लगे। इससे उनकी आमदनी में चार चांद लग गए। फिर उसके बाद जब जॉर्ज वाशिंगटन ने अमरीका में दास-व्यापार तथा दास-प्रथा समाप्त करने का ऐलान किया, तो अमरीका के दक्षिणी राज्य संघों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आन्दोलन शुरू कर दिया, जो शनैः शनैः जंग की सूरत इख्तियार कर गया था। जॉर्ज वाशिंगटन ने तंग आकर दक्षिणी राज्यसंघों पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए थे। उधर बाहामा की आर्थिक अवस्था बहुत उन्नति कर चुकी थी। मेरे बुजुर्गों ने दक्षिणी राज्यसंघों पर लगे आर्थिक प्रतिबन्धों का पूरा लाभ उठाया। वे कीमतों को कई-कई गुणा बढ़ाकर वहां के लोगों की आवश्यकताएं पूरी करने लगे। इस आर्थिक प्रतिबन्ध से मेरे पड़दादा ने इतना लाभ उठाया था कि वह इन दो साल के दौरान एक मोटे-तगड़े आसामी बन गए थे। उनकी मृत्यु के कोई तीन वर्ष पश्चात मेरे दादा अबाको से नासाऊ स्थानांतरित हो गए थे। नासाऊ, बाहामा द्वीप समूह की राजधानी होने के साथ-साथ एक बहुत भारी तिजारती केन्द्र है। मेरे दादा ने भी अपने बिजनेस को बहुत उन्नति दी…उनके पश्चात जब मेरे पिता की बारी आई, तो उन्होंने मेरे पड़दादा को भी मात दे दि…मेरे पड़दादा ने अपने परिवार को यदि धनी बनाया था, तो मेरे पिता ने अपने परिवार को सही मायनों में धनाढ्य बनाया था। मेरे पिता एक करोड़पति थे और वह भी ऐसे काल में जब समूचे अमरीका में सिर्फ चन्द लोग ही करोड़पति थे। मेरे पिता यदि बुद्धिमान और मेहनती थे, तो उनका भाग्य भी डटकर उनका साथ देता था। वर्ष 1924 का जिक्र है जब मेरे पिता के भाग्य का सितारा उत्थान पर था…सो उन्हीं दिनों अमरीका सरकार ने अपने देश में मद्य निषेध का कानून लागू कर दिया था। इस कानून के लागू होते ही मेरे पिता ने अमरीका में शराब भेजनी शुरू कर दी। बाहामा द्वीप में चूंकि निर्यात-आयात पर कोई पाबन्दी नहीं थी…अतः इस काम में उनके लिए कोई जोखिम नहीं था। मद्य निषेध कानून लागू होने से पूर्व अमरीका में शराब की जो बोतल एक डॉलर में बिकती थी, मेरे पिता उसे दस डॉलर में नासाऊ से अमरीका निर्यात करते थे। यह धन्धा वर्ष 1933 यानी दस वर्ष तक लगातार चलता रहा था। अतः इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि उन्होंने किस कदर धन कमाया होगा। वर्ष 1934 में जब अमरीका के राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन रूजवेल्ट ने मद्य निषेध कानून को रद्द कर दिया था…और अमरीकी अर्थव्यवस्था को उदार बनाने लगे थे, तो मेरे पिता पर्यटन की ओर ध्यान देने लगे। उन्हें इस बात का पक्का यकीन था कि आज केवल धनी लोग ही सैर-सपाटे के लिए बाहामा आते हैं किन्तु आगे चलकर मध्यमवर्गीय भी उनकी देखा-देखी सैर-सपाटे के लिए यहां आने लगेंगे। मध्यमवर्गीयों की संख्या धनी लोगों से कहीं अधिक होती है…और जब लोग अधिक संख्या में यहां आने लगेंगे तो उनके ठहरने के लिए भी अधिक जगह की आवश्यकता होगी। इस चीज को मद्देनजर रखते हुए मेरे पिता ने अपना लगभग पूरा सरमाया होटल बनवाने में लगा दिया। उनकी दूरदर्शिता बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुई थी…पर इससे पहले कि वह अपने हाथों लगाये पेड़ को फलता देख सकते…1949 में उनका निधन हो गया।

अपने पिता की मृत्यु के समय मेरी आयु केवल ग्यारह वर्ष की थी। उस समय मुझे पैसे और कारोबार में उतनी ही दिलचस्पी थी जितनी ग्यारह वर्ष के लड़कों को होती है…यानी मनपसन्द की चीज मिल जाए, तो सब कुछ है, नहीं तो कुछ भी नहीं। मेरी मां ने मुझे बताया था कि मेरे पिता की सम्पत्ति का एक ट्रस्ट कायम कर दिया गया है…और जब मैं और मेरी दो बहिनें इक्कीस वर्ष के हो जाएंगे…तो हम अपने-अपने हिस्सों के मालिक बन जाएंगे। इस दौरान मेरी मां कारोबार की देखभाल करती रही थीं तथा उन्होंने अपना कर्तव्य बहुत ही कुशलता से निभाया था।

मेरी आरम्भिक शिक्षा नासाऊ में हुई थी किन्तु छुट्टियां व्यतीत करने के लिए मुझे अबाको भेज दिया जाता था….यहां पर पीटर एलबरी, जो एक हब्शी था और हमारा वेतन भोगी था‒मुझे समुद्र में तैरना सिखाया करता था। मुझे भलीभांति याद है कि यदि कभी मैं तैरने से जी चुराता, या कोई शरारत करता था, तो वह मेरी खूब धुनाई किया करता था। पीटर एलबरी की हाल ही में मृत्यु हुई है। वह मरते दम तक मेरे साथ रहा था।

अपनी आरम्भिक शिक्षा की समाप्ति पर मुझे केम्ब्रिज भेज दिया गया था। केम्ब्रिज से उपाधि प्राप्त करने के पश्चात मैं दो वर्ष तक हारवर्ड बिजनेस की तालीम हासिल करता रहा था। यहीं पर जूली पेस्को से मेरी भेंट हुई थी….जो बाद में मेरी पत्नी बनी थी। वर्ष 1963 में मैं अपनी तालीम पूरी करके नासाऊ वापिस चला आया था। कुछ दिनों पश्चात मेरी इक्कीसवीं वर्षगांठ के अवसर पर मुझसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराये गए थे…और फिर मेरी मां ने सब होटलों की बागडोर मेरे हाथ में सौंप दी थी।

पहले दिन अपने ऑफिस में जब मैंने अपने होटलों का हिसाब-किताब देखा, तो चकित रह गया‒कोई ऐसा होटल नहीं था, जो मुनाफे में न हो। पर्यटन उद्योग के बारे में मेरे पिता का अनुमान शत-प्रतिशत सही निकला था…1949 में, जिस वर्ष उनकी मृत्यु हुई थी….यहां बाहामा द्वीप में 32000 पर्यटक आये थे। वर्ष 1933 में पर्यटकों की संख्या 32000 से बढ़ कर 5,00,000 हो गई थी। हमारे सब होटल हर समय बुक रहते थे। मेरे पिता के निधन के बाद से मेरे कारोबार सम्भालने तक मेरी मां ने बहुत ही कुशलता से बिजनेस की देख-भाल की थी। अलबत्ता एक चीज ने मुझे चिन्ता में डाल दिया था…मेरी मां ने ग्रेंड बाहामा के विकास के लिए काफी सरमाया लगा दिया था और यह परियोजना खटाई में पड़ती प्रतीत हो रही थी। हुआ यों था कि एक वेल्स ग्रेव्ज नामी अमरीकन गोरा यहां के वित्त मन्त्री सेन्डस के सहयोग से ग्रेंड बाहामा को निःशुल्क बन्दरगाह बनाना चाहता था…पर यहां के लोगों ने इसमें कोई रुचि नहीं व्यक्त की थी…वेल्स ग्रेव्ज एक बहुत ही चालाक व्यक्ति था। जब उसे महसूस हुआ कि उसकी निःशुल्क बन्दरगाह की योजना सफल नहीं हो रही…तो वह वित्त मन्त्री सेन्डस पर जोर देने लगा कि उसे ग्रेंड बाहामा में एक जुआखाना खोलने का लाइसेंस दिया जाये। सेन्डस ने उसके दबाव में आकर उसे जुआखाना खोलने की अनुमति दे दी थी। सो इस तरह से 1964 में ग्रेंड बाहामा में एक जुआखाना खुला था। जुआखाना खुलते ही वेल्स ने एक लेनस्की नामी अमरीकन को अपने साथ शामिल करके जुआखाने का मैनेजर बना दिया था। जुएखाने में रेजाना लाखों का मुनाफा होता था…और लेनस्की यह समूचा मुनाफा वेल्स ग्रेव्ज को अमरीका भेज देता था। लोगों के दिल में यह बात बहुत खटकने लगी थी कि उनके देश में हुई कमाई में उनका कोई हिस्सा नहीं…और ये अमरीकन गोरे उनके देश के गोरे वित्त मन्त्री सेन्डस के सहयोग से अपनी तिजोरियां भर रहे हैं‒गोरे काले की भावना दिन-प्रतिदिन जोर पकड़ती गई।

आप जानते हैं कि एक देश की अर्थव्यवस्था और वहां की राजनीति में चोली-दामन का साथ होता है। बाहामा की प्रोग्रेसिव लिबरल पार्टी-जिसके अधिकांश सदस्य हब्शी हैं‒उनके नेता लिडन पिडलिग के जोरदार भाषणों ने जलती पर तेल का काम किया। परिणाम यह हुआ कि 1967 के चुनाव में लिडिन पिडलिग की प्रोग्रेसिव लिबरल पार्टी दो सीटों से जीत गई और पिडलिग प्रधानमन्त्री बन गया। उधर भूतपूर्व वित्त मंत्री सेन्डस ने यह गलती की कि पिडलिग के अल्प बहुमत का लाभ उठाते हुए प्रत्यक्ष रूप से वेल्स ग्रेव्ज का साथ देने लगा। इसका परिणाम हुआ कि बाहामा की अधिसंख्यक जनता…यानी हब्शी उसके खिलाफ हो गये। उधर लिडन पिडलिग ने अपनी लोकप्रियता बढ़ते देखकर देश में मिड टर्म चुनाव करवा दिए। इस चुनाव में पिडलिग की प्रोग्रेसिव लिबरल पार्टी अड़तीस में से उनतीस सीटें जीत गई। सत्ता में आते ही पिडलिंग ने सेन्डस पर एक कमीशन बिठा दिया। कमीशन ने अपने जांच परिणाम में सेन्डस को इस बात का दोषी ठहराया कि वह वेल्स ग्रेव्ज से रिश्वत खाता रहा था। पिडलिग के इस रवैये से उद्योगपति उसे केस्ट्रो जैसा क्रांतिकारी समझने लगे। नतीजा यह हुआ कि कोई भी बाहरी उद्योगपति अब बाहामा में सरमाया लगाने के लिए तैयार नहीं था, किन्तु सब के सब इस बात को नजरअन्दाज कर गए थे कि लिडन पिडलिग ने एक क्रान्तिकारी की भांति सत्ता नहीं छीनी थी बल्कि लोगों के जनादेश से प्रधानमंत्री बना था। उद्योगपतियों की इस गलतफहमी से कि पिडलिग एक क्रांतिकारी है, बाहामा द्वीप की अर्थव्यवस्था डावांडोल होने लगी थी।

अब आप यह जानना चाहेंगे कि इस दौरान में मैं क्या कर रहा था।

मैंने पिडलिग की पार्टी को वोट दिया था और जहां तक मुझसे बन पड़ता था मैं उसकी पार्टी की माली सहायता करता रहता था क्योंकि मुझे उसकी नीतियों पर विश्वास था। इसके अलावा 1937 में मैंने जूली पेस्को से विवाह कर लिया था। 1969 में हमारे यहां पहली सन्तान हुई थी‒वह लड़की थी। उसका नाम हमने सूसन रखा था। फिर 1971 में जूली ने एक और लड़की को जन्म दिया था। जिसका नाम हमने कैरीन रखा था। पारिवारिक रीति के अनुसार मेरे यहां भी लड़का पैदा नहीं हुआ था।

होटलों के साथ-साथ मैंने एक नियन्त्रक कम्पनी खोल ली थी, जिससे बहुत मुनाफा होता था। इसके अलावा मैं जिस काम को हाथ लगाता था वही मेरे लिए सोना उगलने लगता था। उन्हीं दिनों मैं नासाऊ से फ्रीपोर्ट चला आया था। जहां पर मैंने समुद्र तट के किनारे एक आलीशान बंगला बनवा लिया था। सारांश यह कि मेरा जीवन एक आदर्श जीवन था‒एक रूपवान पत्नी, दो तन्दुरुस्त बच्चे, फलता-फूलता बिजनेस। मैं अपने आपको बहुत ही भाग्यवान समझता था और मुझे निश्चय था कि ऊपर वाला मुझ पर मेहरबान है। फिर मेरे साथ एक के पश्चात एक घटनायें घटनी आरम्भ हो गयीं। समझ नहीं आता कि अपनी यह दास्तां कहां से शुरू करूं। खैर, मैं अपनी दास्तान बिली चार्ल्स से आरम्भ करता हूं क्योंकि जिस समय मेरे साथ पहली घटना घटी थी, तो उस समय वह मेरे पास था। क्रिसमस का त्यौहार था और वह क्रिसमस मेरी जिन्दगी का सबसे बुरा क्रिसमस था।

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