Maut ke Deewane by James Headley Chase hindi novel - Grehlakshmi
Maut ke Deewane by James Headley Chase

जब मेरी आंख खुली तो, अंधेरा था। मैं अपनी पीठ के सहारे चारपाई पर लेटा हुआ था और अन्धेरे में घूरे जा रहा था। जब मैं इधर-उधर हिला-डुला, तो मुझे अनुभव हुआ कि मैं नंगा हूं‒मेरे नीचे गद्दा है, मेरे शरीर के ऊपर एक चादर है तथा मेरी बाई जांघ में हल्का-हल्का सा दर्द हो रहा है। मैंने एक ओर को देखा‒तो मुझे हल्की-सी रोशनी दिखाई दी। वह रोशनी सामने खिड़की से आ रही थी।

मौत के दीवाने नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

मैंने अपने ऊपर की चादर हटाई और बिस्तरे से निकल कर उस खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया। खिड़की पर मोटा-सा पर्दा लटका हुआ था। मैंने परदा एक तरफ करके खिड़की खोल दी। खिड़की की चौखट में लोहे की सलाखें लगी थीं। बाहर से मेंढकों के टरटराने की आवाज आ रही थी। थोड़ी देर तक मैं खिड़की के पास खड़ा हुआ बाहर देखता रहा था कि मुझे ठंड लगने लगी थी तथा मैं खिड़की बन्द करके फिर अपने बिस्तरे पर आकर लेट गया था। इतनी उठक-बैठक से ही मुझे….थकावट महसूस होने लगी थी….मैंने चादर तानी‒और फिर से सो गया।

जब मैं दोबारा उठा, तो सूर्योदय हो चुका था और मैं स्वयं को अब कुछ बेहतर महसूस कर रहा था। एक ओर को कॉफी एवं चाय की अलग-अलग केतलियां पड़ी थीं। वाश-बेसिन के पास धुला हुआ तौलिया तथा साबुन की एक नई टिकिया रखी थी। एक दूसरी मेज पर तह की हुई जीन्स और टी शर्ट पड़ी हुई थी।

मैंने पहले नाश्ता किया और उसके बाद नहा-धोकर जीन्स एवं टी शर्ट पहन कर तैयार होकर बैठ गया। पहले तो मेरे मन में आया कि क्यों न दरवाजा खटखटाना शुरू कर दूं और अपने बन्दीकर्ताओं से पूछूं कि उन्होंने किस उद्देश्य से मेरा अपहरण किया है पर मेरी अक्ल ने मेरा साथ दिया और मैं शान्त होकर बिस्तरे पर बैठ गया।

मैं मन ही मन में उन पत्रों के विषय में सोचने लगा, जो इन लोगों ने जैक चार्ल्स को भेजे थे। पहले पत्र का उद्देश्य तो मुझे किसी भांति होस्टन बुलाना था, किन्तु दूसरे पत्र का उद्देश्य चार्ल्स परिवार की आंखों में धूल झोंकना था। दूसरा पत्र इस ढंग से लिखा गया था कि पढ़ने वाले को एक बार यह….यकीन हो जाए कि मुझे अधिकार में लेते ही वह डेबी को रिहा कर देंगे। वह सरासर उनकी चाल थी। वास्तव में उन्होंने चार्ल्स परिवार को बेवकूफ बनाया था।

मुझे यकीन था कि बिली और बिली सीनियर इतने क्रोधित हो रहे होंगे कि उन्होंने आकाश-पाताल एक कर रखा होगा। पहले उनकी बेटी का अपहरण किया गया था। और उसके तीन दिन बाद, उनकी आंखों में धूल झोंककर उनकी बेवकूफ बनाया गया था। यह तो निश्चित था कि वे इन अपहरणकर्ताओं को ढूंढ निकालेंगे, पर तब तक तो कुछ भी हो सकता था।

अकस्मात् मुझे डेबी का विचार आया कि वह भी यहीं पर होगी अथवा उसे इन लोगों ने किसी और जगह रखा हुआ है…..और सबसे पहले तो यह मालूम करने की जरूरत थी कि यह कौन-सी जगह है। मैं एक बार फिर खिड़की के पास खड़ा होकर बाहर देखने लगा। वहां से दूर-दूर तक पेड़ ही पेड़ दिखाई देते थे। खिड़की की सलाखें इस कदर मोटी थीं कि उनको तोड़-मरोड़कर बाहर निकल भागने का कोई चांस ही नहीं था।

मैं इन्हीं विचारों में खोया हुआ था कि मुझे दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी। मैंने दरवाजे की ओर देखा तो एक आदमी अन्दर आ रहा था। उसके हाथ में बन्दूक थी। बन्दूक उसने मेरे सीने की ओर लक्ष्य कर रखी थी। वह आदमी दरवाजे से एक तरफ हटकर खड़ा हो गया और मुझे सम्बोधित करते हुए बोला‒‘बिस्तरे पर जाकर बैठो।’

मैं बिस्तरे पर आकर बैठा ही था कि एक और आदमी कमरे में दाखिल हुआ। उसने एक बिजनेस सूट पहन रखा था….तथा अपनी चाल-ढाल से ऐसा प्रतीत होता था, मानो कोई बिजनेस इग्जीक्यूटिव हो।

‘गुड मॉर्निंग मिस्टर मेगन, मेरा विचार है आपकी रात आराम से कटी होगी।’

मैंने उसके प्रश्न की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और उससे कहा‒

‘तुम यह बताओ कि मेरी पत्नी कहां है?

‘वह भी पता पड़ ही जायेगा।’ उसने बन्दूकधारी की ओर इशारा करते हुए कहा‒‘यदि तुमने कोई होशियारी दिखाने की कोशिश की तो यह आदमी एक ही गोली में तुम्हारा काम तमाम कर देगा।’

‘तुम अपनी धमकियां अपने पास रखो तथा मेरी बात का जवाब दो कि मेरी पत्नी कहां है?’

‘वह बिल्कुल सुरक्षित है। तुम उसके बारे में कोई चिन्ता मत करो।’ उसने मुझे यकीन दिलाते हुए कहा।

‘यहीं पर है?’ मैंने पूछा।

‘हां।’

‘जब तक मैं उसे अपनी आंखों से न देख लूं, मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं होगा।’

‘मिस्टर मेगन, मुझ पर विश्वास करने के अलावा आपके पास और चारा ही क्या है? बहरहाल मैं आपसे चन्द एक सवाल कर लूं….फिर आप दोनों की भेंट करवा दूंगा। मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं हमने आप पर एक अजीब चीज इस्तेमाल की थी…उसका आप पर कोई अप्रिय प्रभाव तो नहीं पड़ा?’

‘अभी तक तो मैं ठीक-ठाक हूं।’

उसने अपनी जेब से एक कारतूस जैसी चीज निकालकर मुझे दिखाते हुए कहा‒यह कमाल इसका है। शरीर के किसी भाग का स्पर्श होते ही इसमें से एक बारीक-सी सुई बाहर निकल आती है और शरीर के अन्दर नर्व गैस इन्जेक्ट कर देती है। शिराओं में प्रवेश करते ही नर्व गैस अंग-अंग को कुछ देर के लिए सुन्न कर देती है, कुछ करना चाहकर भी आदमी कुछ नहीं कर सकता….ऐसा ही हमने आपके साथ किया था‒जब आप सिगरेट खरीदने के पश्चात वापस लिफ्ट की ओर जा रहे थे, जो एक आदमी आपसे टकराया था‒उसने यह कारतूस आपकी एक जांघ से लगा दिया था‒फिर कुछ देर पश्चात आपकी हालत खराब होने लगी थी। तत्पश्चात क्या हुआ, वह आप जानते ही हैं।’

‘मुझे यह सब बताने का फायदा?’ मैंने पूछा।

‘मैंने आपको यह इसलिए बताया है कि हमारी हिरासत में आने के पश्चात हमारे चंगुल से बच निकलने के लिये आपने जो योजना बनाई थी, वह बहुत ही कारगर थी, किन्तु वह धरी की धरी रह गई। अब आप यहां पर कोई ऐसी कारगुजारी मत करना कि आपका जीवन ही जोखिम में पड़ जाये।’

‘यह तो बताइये कि आप आखिर हैं कौन?’

‘उससे क्या अन्तर पड़ता है, मिस्टर मेगन। अगर आप मुझे पुकारने या सम्बोधित करने लिए मेरा नाम जानना चाहते हैं, तो आप मुझे रॉबिन्सन कह सकते है।’

‘तो मिस्टर रॉबिन्सन, आप मुझे यह बताइये कि मुझे यहां क्यों लाया गया है?’

‘आप थोड़ा-सा धैर्य रखिये। शनैः शनैः सब मालूम हो जायेगा‒मैंने सोचा था कि आपसे फौरन सवाल-जवाब करूंगा, पर अब मैंने अपना इरादा बदल दिया है।’

‘तुम्हारे इरादे गये भाड़ में। मैं तो सबसे पहले अपनी पत्नी से मिलना चाहता हूं।’

‘आप उससे अवश्य मिलेंगे और एकान्त में मिलेंगे। आप दोनों को एक-दूसरे से कई ऐसी बातों की जानकारी मिलेगी जिनके विषय में आप दोनों अभी तक बिल्कुल बेखबर थे।’

‘तुम बेकार की मत हांको रॉबिन्सन पहले मुझे मेरी पत्नी से मिलाओ।’

रॉबिन्सन ने मेरे चेहरे का अध्ययन करते हुए कहा, ‘आपको रौब डालना खूब आता है खैर, बात आपकी मान ली।’ कहकर रॉबिन्सन कमरे से बाहर चला गया। उसके पीछे-पीछे बन्दूकधारी भी कमरे से बाहर निकल गया और बाहर से दरवाजा बन्द कर दिया।

उनके बहर निकलते ही मैं उन दोनों के बारे में सोचने लगा कि वे कौन लोग हो सकते हैं। बन्दूकधारी तो स्थानीय टेक्सकन प्रतीत होता था, लेकिन रॉबिन्सन के बारे में कुछ समझ नहीं आ रहा था। यह बहुत ही सभ्य था….उसकी चाल-ढाल, पहनावा, बातचीत करने की शैली वगैरह शत-प्रतिशत अंग्रेजी थी। वह बिल्कुल अंग्रेज प्रतीत होता था, किन्तु उसके उच्चारणों से बाहामियन झलक थी‒मैं कोई अनुमान नहीं लगा सका कि राबिन्सन किस मूल का है।

अनायास मेरी दृष्टि छत की ओर चली गई। छत में कड़ियां लगी हुई थीं, जिससे जाहिर होता था कि यह कोई गांव है। मैं छत की ओर देख रहा था कि मुझे दरवाजे की कुण्डी खुलने की आवाज सुनाई दी। मैं चौकस होकर बिस्तरे पर बैठ गया। तभी दरवाजा खुला और किसी ने डेबी को अन्दर धकेल दिया। वह गिरते-गिरते बची थी। मुझे कमरे में देखकर वह हैरत में पड़ गई‒‘तुम यहां कैसे, टॉम?’

मैंने उसे बाहुपाश में लेते हुए कहा‒‘इन लोगों ने तुम्हारे घरवालों के सामने यह शर्त रखी थी कि मुझे किसी बहाने होस्टन बुलाकर इनके हवाले कर दिया जाये, तो ये तुम्हें रिहा कर देंगे, पर इससे पूर्व कि मुझे इनके हवाले किया जाता, इन लोगों ने मुझे अगवा कर लिया।’

डेबी लगातार सिसकियां भरे जा रही थी।

‘मेरे घरवाले कैसे हैं?’ डेबी ने सिसकियों के बीच पूछा।

‘सब ठीक हैं, पर तुम्हारे विषय में बहुत चिन्तित हैं।’ मैंने डेबी को यह नहीं बताया कि उसके पिता को दिल का दौरा पड़ गया था। जब डेबी कुछ शान्त हुई, तो मैंने उससे पूछा‒‘यह बताओ डेबी कि इन लोगों ने तुम्हें कैसे अगवा किया था?’

‘मुझे कुछ पता नहीं….मैं एक दुकान के बाहर खिड़की में सजी चीजें देख रही थी‒फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ….तत्पश्चात जब मेरी आंख खुली, तो मैं यहां पर थी।’

‘यह कौन-सी जगह है, डेबी?’

‘मुझे कुछ पता नहीं, पर है समुद्र के पास।’

‘इन लोगों ने तुम्हें अपह्रत करने का कारण बताया है?’

‘नहीं, वह बहुधा तुम्हारे बारे में ही पूछताछ करता रहता है।

‘किस प्रकार के प्रश्न करता है?’

‘यही कि टॉम क्या करता है। वह कहां-कहां गया था। मैंने उसे बता दिया कि मैं कुछ नहीं जानती….मैं उसे छोड़ आई हूं, पर उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं होता। वह फिर वही सवाल करने लगता है।’

उसकी बातें करते-करते डेबी के शरीर में कंपकंपी-सी होने लगी।

‘टॉम, यह आदमी है कौन? मुझे तो यह समझ नहीं आता कि हमारे साथ हो क्या रहा है?’

‘कुछ समझ नहीं आता, डेबी। तुम यह बताओ कि इन लोगों ने तुम्हारे साथ कोई दुर्व्यवहार तो नहीं किया?’

‘दुर्व्यवहार तो नहीं किया टॉम, किन्तु ऐसी गन्दी निगाहों से वह मेरी ओर देखता है कि मन करता है कि उसकी आंखें नोंच लूं।’

‘वे कुल मिलाकर कितने लोग हैं?’

‘मैंने तो चार को देखा है।’

‘उसके समेत जो अपना नाम रॉबिन्सन बताता है या उसके अलावा?’

‘उसके समेत ही…. वही रॉबिन्सन तो तुम्हारे बारे में पूछताछ करता है। बाकी सब तो खामोश खड़े रहते हैं।’

‘वह क्या पूछताछ करता है? वह मेरे बारे में कोई विशेष बात जानना चाहता है क्या?’

डेबी ने अपने माथे पर बल डालते हुए कहा‒‘वह इस तरह से घुमा-फिराकर प्रश्न करता है कि जिससे मैं यह अनुमान न लगा सकूं कि वह तुम्हारे बारे में क्या जानना चाहता है? उसने मुझसे पूछा था कि तुमने पुलिस को क्या-क्या बताया है? फिर कहने लगा कि तुम्हारा पुलिस उपायुक्त पेरीगार्ड के साथ बहुत उठना-बैठना है तथा तुमने उसे बहुत कुछ बताया है। मैंने उससे कहा कि मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानती कि मेरे पति एवं पेरीगार्ड के बीच क्या बातें होती हैं….मेरी तो पेरीगार्ड से भेंट भी सिर्फ एक ही बार हुई है और वह भी शादी से पहले, पर उसे यकीन ही नहीं होता।’ फिर डेबी ने तनिक रुकते हुए कहा‒‘उसने मुझसे पूछा था कि मैं तुम्हें छोड़कर कब आई थी? मैंने उसे बता दिया। इस पर वह कहने लगा कि इसका आशय है कि जिस दिन तुम्हारे पति ने कैलिस को खोज निकाला था, उसके अगले दिन ही तुम उसके पास से चली आई थीं।’

यह सुनते ही मेरे कान खड़े हो गये। मैंने डेबी से पूछा‒‘क्या उसने कैलिस का नाम लिया था?’

‘हां बिल्कुल। मैं तो समझी थी कि अब वह कैलिस के बारे में पूछताछ करेगा, पर वह हमारे विवाह के बारे में पूछताछ करने लगा था। मैंने उसे बता दिया। फिर उसने मुझसे पूछा था कि तुम जूली को जानती थीं?’

‘तुमने इसका क्या उत्तर दिया था?’ मैंने अधीरता से डेबी से पूछा।

‘मैंने उसे सच बात बता दी थी कि जूली से मेरा केवल परिचय-भर था लेकिन मैं उसे अच्छी तरह से नहीं जानती थी।’

‘तुम्हारे इस उत्तर पर उसने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की थी?’

‘कोई खास नहीं….फिर उसने इस बारे में और कुछ नहीं पूछा था। तुम मुझे यह बताओ टॉम कि क्या इसका नाम वाकई रॉबिन्सन है?’

‘मुझे तो शक है….मुझे तो इसमें भी सन्देह है कि वह अंग्रेज है।’

मेरे मस्तिष्क में यह प्रश्न उठ रहा था कि रॉबिन्सन एवं कैलिस के बीच क्या सबन्ध हो सकता है? यह रॉबिन्सन कहीं ड्रग सिंडीकेट का बॉस तो नहीं? और यदि ऐसा है भी, तो उसने मेरा और डेबी का अपहरण क्यों किया?

डेबी ने कहा‒‘मुझे तो वह एक आंख भी नहीं भाता। डर तो मुझे इन सबसे लगता है, पर उसे देखकर तो मुझ पर एक अजीब प्रकार का खौफ हावी हो जाता है।’

‘जरा तफसील से बताओ।’

‘टॉम, बाकी के तो आवारा से प्रतीत होते हैं जो हर औरत को आंखें फाड़-फाड़कर देखते हैं, पर यह रॉबिन्सन तो मेरी ओर यों देखता है, मानो मैं कोई औरत नहीं हूं, बल्कि कोई वस्तु हूं….आखिर तुमने ऐसा क्या किया है कि हमारा इन लोगों से वास्ता पड़ गया।’

‘धीरज रखो डार्लिंग।’ मैंने डेबी को सांत्वना देते हुए कहा‒‘समय पर सब ठीक हो जाएगा।’

डेबी कुछ शान्त-सी हो गई‒तब मेरे सीने पर अपना सिर रखते हुए बोली‒‘तुमने बहुत दिनों बाद मुझे इतने प्यार से पुकारा है।’

‘इसमें कसूर किसका है डेबी?’

‘सरासर-तुम्हारा। तुम हर समय अपने काम में लगे रहते थे‒तुमने मेरी ओर ध्यान ही नहीं दिया‒घर आये, खाना खाया, मुझे अपने साथ लिटाया और सो गये। तुमने कभी मेरे साथ दो प्यार भरी बातें भी की थी?’

‘मैं मुश्किलों से गुजर रहा था‒तुमने कभी पूछने की कोशिश भी तो नहीं की थी कि मुझ पर क्या बीत रही है….मैं घर में पग रखता था कि तुम तानों से मेरा स्वागत करने लगती थीं।’

‘चलो मेरी ही गलती सही।’ डेबी ने कहा‒‘मैं आइन्दा तुम्हें अपनी ओर से शिकायत का मौका नहीं दूंगी।’

‘आइन्दा की आइन्दा देखी जायेगी।’ मैंने कहा।

‘आइन्दा क्यों देखी जायेगी? तुम अभी देखो।’ कहकर डेबी ने अपनी स्कर्ट ब्लाउज उतार दिए और मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया। विवाह के पश्चात आज पहली बार हम सही मायने में एक दूसरे को प्यार कर रहे थे।

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