Maut ke Deewane by James Headley Chase hindi novel - Grehlakshmi
Maut ke Deewane by James Headley Chase

होस्टन की आबोहवा इतनी नम थी कि सुबह जब मैं उठा तो कपड़े शरीर के साथ चिपक रहे थे। कुछ गर्मी के कारण तथा कुछ उमस के कारण शरीर बोझिल-सा हो रहा था। नहा-धोकर मैं डाइनिंगरूम में चला आया। वहां पर बिली एवं उसकी पत्नी बारबरा पहले ही मौजूद थे। बारबरा मेज पर नाश्ता लगाने में व्यस्त थी।

मौत के दीवाने नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

वह थोड़ी-थोड़ी देर बाद कनखियों से मेरे चेहरे की ओर देख लेती थी, मानो यह अनुमान लगाने की चेष्टा कर रही हो कि मैं अपने ससुर के घर क्यों नहीं ठहरा। नाश्ते पर यूं ही इधर-उधर की बातें होती रही थीं। बारबरा ने अपने रवैये से तनिक भी प्रकट नहीं होने दिया था कि वह मेरी एवं डेबी की अनबन के बारे जानती हो। नाश्ता समाप्त होते ही बिली मुझे अपने अध्ययन-कक्ष में ले आया। वहां से उसने अपने ऑफिस में अपनी सेक्रेटरी को फोन किया‒

‘ऐनि, मैं टैक्सास एविएशन के हेरी पीअरसन तथा गल्फ फिशिंग कारपोरेशन के चार्ली अलवारिज से तुरन्त भेंट करना चाहता हूं। तुम उनसे समय नियत कर दो….और उनसे कह दो कि वे मुझे मेरे ऑफिस में मिलने के बजाए होस्टन क्लब में मिलें।’

फोन करने के बाद बिली ने मुझसे कहा‒‘हेरी पीअरसन हेलीकॉप्टर किराये पर देता है तथा चार्ली अलवारिज की अपनी स्टीम बोट्स हैं। मुझे इन दोनों को बताना पड़ेगा कि हम ये चीजें उनसे किराये पर क्यों ले रहे हैं अन्यथा उन्हें शक हो जायेगा….क्योंकि वे जानते हैं कि हमारे अपने हेलीकॉप्टर और स्टीम बोट्स हैं। बहरहाल मैं उनको समझा दूंगा कि वह अपना मुंह बन्द रखें।’

‘जैसा तुम उचित समझो।’ मैंने कहा‒‘मेरी जान तो अब तुम्हारी मुट्ठी में है।’

‘तुम चिन्ता मत करो। चलो अब बाजार चलें और तुम्हारे नाप के कुछ कपड़े आदि खरीद लाएं, ताकि जो उनमें अपने यन्त्र फिट कर सके।’

मैं एवं बिली बाजार रवाना हो गये। दो-तीन पोशाक, जुराबें, जूते खरीदने के बाद हम दोनों बिली के ऑफिस चले आए। ऑफिस पहुंचते ही बिली की सेक्रेटरी ऐनि ने उसे बताया कि पीअरसन एवं अलवारिज उसे ग्यारह बजे होस्टल क्लब में मिलेंगे।

‘ऐनि, तुम जो से कहो कि मेरे कमरे में चला आये।’ कहकर बिली अन्दर अपने ऑफिस के कमरे में चला आया। अपनी कुर्सी पर बैठते ही उसने अपने पिता का नम्बर मिलाया‒‘डैडी हम पहुंच गए हैं।’ अचानक बिली के चेहरे का रंग पीला पड़ गया।

‘हे ईश्वर! हां ठीक है आप जाइए।’

‘खैर तो है बिली।’ मैंने पूछा।

बिली ने रिसीवर वापस रखते हुए कहा‒‘जैक अंकल को एक घण्टा पहले दिल का दौरा पड़ गया है। उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है। डैडी और फ्रेंक दोनों उनके साथ जा रहे हैं।’

‘यह सब समय की बात हैं। मैंने कहा‒‘न डेबी का अपहरण होता, न उन्हें यह दौरा पड़ता।’

बिली ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा‒‘अब मुझे, तुम्हें और जो को ही सब कुछ करना पड़ेगा।’

तभी जो वहां पहुंच गया। बिली ने उसे जैक के बारे में बताते हुए कहा‒‘अब हम तीनों को यह काम सिरे चढ़ाना होगा। हम टॉम के लिबास खरीद लाये हैं। तुम उनमें अपने यन्त्र आदि लगाओ।’

‘वह तो मैं लगाऊंगा ही, पर मुझे यह चिन्ता हो रही है कि यदि अपहरणकर्ताओं ने इस डर से कि टॉम कहीं अपने कपड़ों में पहचाना न जाये, उसके कपड़े उतरवा कर टॉम को किसी और किस्म का लिबास पहनवा दिया, तो उस सूरत में हमें कैसे पता चलेगा कि वे टॉम के साथ क्या करने वाले हैं।’

‘इसका तो कोई समाधान नहीं।’ बिली ने चिन्तित स्वर में कहा।

‘यदि टॉम सहमत हो जाए, तो है।’

‘क्या?’

जो ने अपनी जेब से एक बहुत लम्बा-सा कैप्सूल निकालते हुए कहा‒

‘उनकी हिरासत में जाने से पहले टॉम को यह कैप्सूल निगलना होगा।

‘यह है क्या बला? बिली ने जो से पूछा।

‘इसे ट्रांसपोडर कहते हैं….इसे निगलने से पहले एक खास तरीके से दिशा-सूचित ट्रांसमीटर के साथ संयुक्त कर दिया जाता है। इसके निगलने के पश्चात यदि आदमी चुप रहे, तो ट्रांसमीटर की सुई अपनी जगह पर रहती है, किन्तु ज्यों ही वह व्यक्ति बोलने लगेगा, ट्रांसमीटर की सुई हिलने लगेगी और यह बता देगी कि यह व्यक्ति किस दिशा से और कितने फासले पर है। अब तुम ही बताओ कि अगर किसी को ढूंढ़ना हो और उसकी दिशा एवं फासले का पता चल जाए, तो बाकी क्या रह गया।’

‘तुम यह लाए कहां से हो?’ बिली ने दिलचस्पी के साथ पूछा।

‘मैंने सी. आई. ए. वालों से मांगा है।’

‘यह कितनी देर तक क्रियाशील रहता है?’

‘अड़तालीस घंटे तक।’ जो ने उत्तर दिया।

बिली को तसल्ली होने लगी थी। बोला‒‘जो, मैं हैलीकॉप्टर एवं स्टीम बोट का प्रबन्ध करने जाता हूं। तुम ऐसा करो कि टॉम को साथ ले आओ और इसके कपड़ों में वह यन्त्र आदि लगा दो। इतनी देर में मैं भी वापस आ जाऊंगा। फिर हम अगले कदम के बारे में सोचेंगे।’ कहकर बिली होस्टन क्लब के लिए रवाना हो गया‒मैं जो के साथ चला आया। जो मुझे सुरक्षा-विभाग के इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ रेमन राड्रिग्ज के पास ले गया।

‘आपके दांत असली हैं या नकली?’ राड्रिग्ज ने मुझसे पूछा।

‘बिल्कुल असली हैं।’

‘आपके दांत नकली होते तो बहुत अच्छा होता, खैर। राड्रिग्ज ने अपनी मेज की दराज से एक खोल निकालते हुए कहा‒‘आप इस खोल को अपने दांतों पर चढ़ा लीजिये….न आपको कुछ महसूस होगा और न ही देखने वालों को कोई अन्तर दिखाई देगा। इस खोल में सामने के दांतों वाले भाग में दो अदृश्य माइक्रोफोन लगे हुए हैं। वे बहुत ही संवेदनशील हैं। आप जो भी बोलेंगे, वह इन माइक्रोफोनों द्वारा दो मील की दूरी तक ट्रांसमिट हो जाएगा और अगर कोई आपसे बात कर रहा होगा तथा आपका मुंह तनिक भी खुला होगा, तो वह माइक्रोफोन उसके शब्दों को भी पकड़ लेंगे और ट्रांसमिट कर देंगे। यह अपने दुश्मन के लिए बहुत ही खतरनाक यन्त्र है।’

‘हमें इनकी कार को भी बग करना है।’ जो ने राड्रिग्ज से कहा।

‘वह भी हो जाएगी।’ फिर राड्रिग्ज ने मुझसे पूछा‒‘आप बग का मतलब तो समझते हैं ना।’

‘नहीं।’

बग एक ऐसे छोटे-से इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र को कहते हैं जो किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ लगा दिया जाता है। तत्पश्चात यह बग उस व्यक्ति या वस्तु की हर नकलो-हरकत को उस जगह रिले करता रहता है जहां से वह जुड़ा होता है।

राड्रिग्ज ने एक सिगरेट का पैकेट खोलकर मेज पर रख दिया तथा कोने की दो सिगरेटों को लक्ष्य करते हुए बोला‒‘इन सिगरेटों को जब आप सुलगायेंगे तो उनसे चिनगारियां निकलेंगी। ये चिनगारियां भी यही ट्रांसमिट करेंगी कि आप किस दिशा में और कितने फासले पर हैं। तत्पश्चात राड्रिग्ज ने साधारण-सा टाइपिन मुझे देते हुए कहा‒‘इसे आप अपनी टाई पर लगा लेना‒यह आपकी किसी व्यक्ति के साथ हुई बातचीत को रिकार्ड करके वहां ट्रांसमिट करने के लिए है।’

फिर राड्रिग्ज ने मुझे बेल्ट देते हुए समझाया कि इसके बक्कल में एक बहुत ही शक्तिशाली बग लगा हुआ है, जो आप और आपके पास खड़े व्यक्तियों की हर नकली हरकत को रिले करता रहेगा।’

‘अब आप इनके बारे में भी समझ लीजिए।’ राड्रिग्ज ने मुझे दो छोटी-सी चीजें देते हुए कहा‒‘ये भी बग हैं, जो आपके जूतों की एड़ी में फिट किये जाएंगे। हर बार जब आप चलने के लिये कदम उठायेंगे, तो आपको तो फिर भी कुछ महसूस नहीं होगा किन्तु हमें यहां पर ‘बीप-बीप’ की आवाज सुनाई देने लगेगी। यदि कोई आपको धकेल कर आगे ले जा रहा होगा, तो ये बग ‘बीप-बीप’ की बजाय ‘बी-बी’ की आवाज रिले करने लगेंगे और अगर आपके कदम निश्चल होंगे, तो इनमें से कोई आवाज रिले नहीं होगी।’

‘सारांश में यह कि हमें यहां बैठे-बैठे पता चला जाएगा कि आप चल रहे हैं, या आपको धकेल कर ले जाया जा रहा है, अथवा आप खड़े हैं। अलबत्ता सबसे जरूरी याद रखने वाली बात यह है कि यदि आप किसी वाहन से सफर कर रहे होंगे, तो गति में होते हुए भी आपके पैर स्थिर होंगे। ऐसी अवस्था में आप गला खराब होने का अभिनय करते हुए अपने दाएं घुटने को दबाकर खांसना शुरू कर देना। नकली खांसी खांसने से घुटने पर दबाव पड़ता है। इसका सीधा पैर से सम्बन्ध होता है। आप अपने घुटने को हाथ से तनिक-सा भी दबायेंगे तो आपके जूते की एड़ी में लगा ‘बग’ क्रियाशील हो जाएगा और ट्रांसमिट करने लगेगा। यदि आप एक बार खांसेंगे, तो हम यह समझेंगे कि आपको कार में ले जाया जा रहा है।

दो बार खांसने का मतलब होगा कि आप नौका या स्टीम बोट में सवार हैं, यदि आप तीन बार खांसेंगे, तो हम यह समझेंगे कि आप विमान से सफर कर रहे हैं। एक बार किसी वाहन में सवार होने के पश्चात इस क्रिया को दोहराते रहना। इन चीजों के अलावा हम आपके कोट एवं पतलून की लाइनिंग के भीतर भी पतले ऐन्टीना लगा देंगे….उनके द्वारा हमें आपकी हर नकली….हरकत की सूचना मिलती रहेगी।’

‘मुझे यह सब समझा कर राड्रिग्ज किसी को जरूरी फोन करने के लिए अपने ऑफिस के भीतरी कमरे में चला गया।

राड्रिग्ज के जाते ही जो ने मुझसे कहा‒‘राड्रिग्ज बहुत ही चतुर व्यक्ति है। मैं इससे दो बार शर्त हार चुका हूं….एक बार मुझसे कहने लगा कि मैं तीन छोटी कीलों, एक तांबे के तार तथा एक बैट्री सेल से माइक्रोफोन तैयार कर सकता हूं। मैं समझा कि वह शेखी बघार रहा है। मैंने शर्त लगा ली और तीनों चीजें लाकर इसके हवाले कर दीं। इस खुदा के बन्दे ने पांच मिनट के अन्दर माइक्रोफोन बना दिया तथा मैं शर्त हार गया। फिर एक दिन न जाने क्या सूझी कि मैं जब मानूंगा कि तुम बैट्री सेल के बिना माइक्रोफोन बनाकर दिखाओ। बोलो…..सौ लेने या दो सौ देने। मैंने कहा‒मुझे मंजूर है। कहने लगा….तुम थोड़े-से सिक्के, एक ब्लाटिंग पेपर और थोड़ा-सा सिरका ला दो। मैंने ये सब चीजें लाकर दे दीं। मुझे यकीन था कि राड्रिग्ज बैट्री के बिना माइक्रोफोन नहीं बना सकता। इस भले मानस ने दस मिनट के अन्दर ही माइक्रोफोन बना दिया। उसमें से आवाज हल्की-हल्की-सी उभर रही थी। मैं नहीं माना तो कहने लगा कि मैं इसे एक तार से मिलाकर, तार का दूसरा सिरा नीचे लटका देता हूं। तुम पांच मंजिल नीचे चले जाओ और उस सिरे को मुंह के पास लाकर आहिस्ता-आहिस्ता बोलो। तत्पश्चात तुम ऊपर आओगे, तो मैं तुम्हें बता दूंगा कि तुमने क्या कहा था। मैंने ऐसे ही किया। तुम मानोगे नहीं टॉम कि जब मैं ऊपर आया तो राड्रिग्ज ने वही शब्द दोहरा कर मुझे सुना दिये थे…जो मैंने पांच मंजिल नीचे से बोले थे।’

‘मुझे तो राड्रिग्ज बहुत भला व्यक्ति लगा है।’ मैंने जो से कहा।

‘भला भी है और स्नेही भी।’

‘यहां आने से पहले क्या करता था?’

‘सी. आई. ए. में था तभी तो इतना चतुर है।’

काफी समय से मैंने सिगरेट नहीं पिया था। सिगरेट का पैकेट सामने देखकर मुझे तलब होने लगी थी। यह वह पैकेट था जो राड्रिग्ज मुझे देकर गया था और जिसकी दो सिगरेटों में बग लगे हुए थे। इन्हें मैं इस्तेमाल नहीं कर सकता था। जो को सिगरेट पीने की आदत नहीं थी। मैंने जो से अनुमति ली और वापस ऊपर जाने लगा। मैं एक पैकेट खोल कर सिगरेट सुलगाना ही चाहता था कि न जाने कैसे एक आदमी से मेरी टक्कर हो गई‒‘क्यों दिखाई नहीं देता क्या?’ उसने रुष्ट भाव से कहा। मैंने उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया और सॉरी कहकर लिफ्ट की ओर बढ़ गया। लिफ्ट का प्रवेश द्वार बन्द था। मैं वहीं खड़े होकर प्रतीक्षा करने लगा। पांच मिनट तक लिफ्ट नहीं आई। मैं समय बिताने के लिए सिगरेट के पैकेट को उलट-पलट कर देखने लगा। मुझे पता ही नहीं चला कि लिफ्ट कब पहुंची थी।

‘आपकी तबीयत तो ठीक है?’ लिफ्ट चालक ने मेरी ओर घूरते हुए पूछा।

‘मैं ठीक हूं।’ मैंने बड़ी मुश्किल से उत्तर दिया। मुझे अचानक न जाने क्या हो गया था कि मेरी टांगें कांपने लगी थीं। ज्यों ही मैं लड़खड़ाता हुआ लिफ्ट की ओर बढ़ा लिफ्ट चालक ने मेरी ओर आकर मेरा बाजू थाम लिया और मुझे सहारा देकर लिफ्ट के अन्दर ले आया। मुझे हर चीज तैरती हुई प्रतीत हो रही थी। टांगें बिल्कुल जवाब दे गई थीं। मैं एक गिरते हुए पेड़ की भांति लरजता हुआ आगे की ओर गिरने लगा। बोलना चाहकर भी मेरे मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी।

मुझे अच्छी तरह से याद है कि उसके बाद किसी ने मुझे सीधा करके लिफ्ट के फर्श पर लिटा दिया था। मेरी आंखें खुली थीं, कान चौकस थे। लोग टिप्पणियां कर रहे थे। एक कह रहा था‒भला-चंगा खड़ा था, अचानक इसे क्या हो गया? दूसरा कह रहा था पिये हुए होगा। तीसरा कह रहा था….क्या आदमी है, इस समय भी चढ़ा रखी है।

मेरा मस्तिष्क सही काम कर रहा था। मैं उनको बताना चाहता था कि मैंने पी नहीं रखी, मुझे कुछ हो गया है, पर मेरी जबान ही साथ नहीं दे रही थी।

तब मुझे एक आदमी की आवाज सुनाई दी थी….उसने कहा था….मैं डाक्टर हूं….आप लोग जरा परे हटिए….मुझे देखने दीजिए। यह कहकर वह मेरे ऊपर झुक गया था। और मेरी नब्ज देखने लगा था। उसने मेरे सीने पर हाथ रखकर कहा था‒इसे तो दिल का दौरा पड़ गया है। इसे तुरन्त अस्पताल ले जाना होगा….मेरी कार बाहर खड़ी है। आप लोग इसे कार तक पहुंचाने में जरा मेरी मदद कर दीजिए।

तत्पश्चात दो-तीन आदमी मुझे उठाकर बाहर ले आए थे। मेरा मस्तिष्क बराबर काम कर रहा था। मैं चिल्ला-चिल्लाकर कहना चाहता था कि मुझे कोई दिल का दौरा नहीं पड़ा है और कोई डॉक्टर-वॉक्टर की नहीं है, पर मेरे मुंह से कोई शब्द ही नहीं निकल पा रहा था। मेरी जबान मेरा साथ नहीं दे रही थी। न ही मुझसे हिला-डुला जा रहा था। मेरे शरीर की ऐसी हालत हो गई थी मानो मेरे अंग-अंग पर फालिज मार गया हो। तत्पश्चात मुझे बाहर लाकर एक बड़ी-सी कार की पिछली सीट पर लिटा दिया गया था और कार रवाना हो गई थी। उसके बाद अगली सीट पर बैठा हुआ आदमी पीछे मेरे पास था और उसने मेरा शिथिल बाजू अपने हाथ में लेकर मुझे इन्जेक्शन लगा दिया था। सुई लगने भर की देर थी कि मुझे नींद ने आ घेरा था‒मेरा अपहरण कर लिया गया था।

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