एडल्ट बच्चों को समझदारी से संभालें, ये तरीके आएंगे आपके काम: Parenting for Adult Kids
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पेरेंट्स का टोकना, बोलना, सलाह देना उन्हें पसंद नहीं आता। यहीं से शुरू हो जाता है पेरेंट्स और बच्चों के बीच में टकराव। दरअसल, एडल्ट बच्चों को संभालना एक कला है।

Parenting for Adult Kids: बच्चे जब छोटे होते हैं तो वे हमेशा अपने पेरेंट्स के इर्द-गिर्द घूमते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होने लगते हैं, वे पेरेंट्स के साथ कम रहने लगते हैं। उनके अपने फ्रेंड्स बन जाते हैं, वे कभी अपनी स्टडी तो कभी अपनी हॉबी में जुटे रहते हैं। मोबाइल उनके हाथ से छूटता नहीं है। पेरेंट्स का टोकना, बोलना, सलाह देना उन्हें पसंद नहीं आता। यहीं से शुरू हो जाता है पेरेंट्स और बच्चों के बीच में टकराव। दरअसल, एडल्ट बच्चों को संभालना एक कला है। चलिए आज सीखते हैं, इसी कला को। 

Parenting for Adult Kids
Every parent is most concerned about their children.

हर माता-पिता को सबसे ज्यादा चिंता अपने बच्चों की होती है। वे हर काम अपने बच्चों की भलाई के लिए करते हैं। लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनकी सोच अपने पेरेंट्स जैसी नहीं रहती। ऐसे में पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को पर्सनल स्पेस दें। उन्हें ये समझाएं कि आप उनकी बातों को समझते हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें प्यार से अपनी सोच के बारे में भी बताएं।  

माता-पिता और एडल्ट बच्चों के बीच रिश्तों को लेकर दुनियाभर में कई शोध हुए हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की एक स्टडी के अनुसार एडल्ट बच्चों के रिश्ते पिता की तुलना में अपनी मां के साथ ज्यादा अच्छे होते हैं। 41 प्रतिशत पेरेंट्स ने माना कि उनके अपने बच्चों से काफी अच्छे संबंध हैं। 36 प्रतिशत में माना उनके रिश्ते अच्छे हैं। वहीं 15 ने माना कि उनके रिश्ते ठीक हैं। हालांकि 8 प्रतिशत पेरेंट्स ने माना कि उनके रिश्ते बच्चों से खराब हैं।    

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे टीनएज में या उससे बड़े होने पर भी आपकी बातें सुनें और समझें तो आपको इस समझदारी की नींव बचपन से ही डालनी चाहिए। बच्चों की हर बात या जिद नहीं मानें। अगर आप लाड़-प्यार में बच्चे की हर जिद पूरी करेंगे तो आगे चलकर यही उसकी आदत बन जाएगी। वह न आपकी कीमत समझ पाएगा और न ही चीजों की। जिद की आदत आगे चलकर उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को इफेक्ट कर सकती है। इससे वे विफलता को स्वीकार नहीं कर पाते। 

कई बार पेरेंट्स बच्चों को मनाने या खुश करने के लिए उन्हें चीजों का या फिर मोबाइल-लैपटॉप का लालच देते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत है। लगातार ऐसा करने से बच्चे आपकी फीलिंग्स समझना बंद कर सकते हैं। लालच देने की जगह उन्हें प्यार से अपनी बात समझाएं। प्यार का यह बॉन्ड ही आपके और बच्चे के बीच जिंदगीभर रहेगा। वह हमेशा आपकी भावनाओं की कद्र करेगा। 

बच्चों को पर्सनल स्पेस देना जरूरी है, लेकिन पर्सनल स्पेस के नाम पर उन्हें खुली छूट न दें। ऐसे में बच्चों के गलत रास्ते पर जाने की आशंका रहती है। बच्चों को छूट उतनी ही दें, जिससे उनका डवलपमेंट अच्छे से हो सके। आजादी देने के साथ उन्हें इसका महत्व भी समझाएं। बच्चों को बचपन से बताएं कि वे आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। अगर बच्चे बाहर पढ़ते हैं तो उन्हें रोज कॉल या मैसेज करें। 

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...