Vitamin D: बड़े होते बच्चों के शारीरिक विकास के लिए Vitamin D एक जरूरी विटामिन है। इस विटामिन से हड्डियां मजबूत होती हैं और दिमाग तेज बनता है। लेकिन वर्तमान समय में खासकर शहरों में रहने वाले बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई जा रही है। आजकल छोटे-छोटे बच्चों को भी पैर दर्द और कमजोर हड्डियों की शिकायत हो रही है। कमजोर हड्डियां और मांसपेशियां विटमिन डी की कमी की ओर इशारा करते हैं।
विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है जो बिना मेहनत के धूप में खेलने से मिल जाता है।विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत धूप ही है।

विटामिन डी की कमी से बच्चों में होने वाली बीमारियां
1) हड्डियां होती हैं कमजोर- विटामीन डी की कमी होने पर हड्डियां कमजोर और टेढ़ी होने लगती हैं। बच्चों में विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर होती हैं और उनका पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। जिससे फैक्चर होने और हड्डियों के टूटने की समस्या हो जाती है।
2) रिकेट्स का खतरा- इसे सूखा रोग भी कहते हैं। यह विटामिन डी की कमी से बच्चों में होता है। विटामिन डी शरीर को कैल्सियम सोखने में मदद करता है। जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसमें बच्चों के पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। बच्चो में रिकेट्स का खतरा अधिक है क्योंकि डार्क स्किन वाले बच्चों में रिकेट्स का खतरा ज्यादा होता है। ऐसी स्किन वाले बच्चों में मेलेनिन की वजह से सूरज की रोशनी से विटामिन डी का उत्पादन कम होता है। इसकी वजह से विटामिन डी की कमी होती है और सूखा रोग का खतरा बढ़ जाता है।
3) दिमाग पर असर- विटामिन डी की कमी का असर दिमाग पर भी पड़ता है। विटामिन डी दिमाग में दो तरह के केमिकल, सेरोटोनिन और डोपामिन, बनाने में मदद करता है। इनकी कमी से दिमाग कमजोर होने लगता है।
4) एनीमिया का खतरा- हाल ही में प्रकाशित हुई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट में एनिमिया सबसे बड़ी बीमारी में से एक बनकर उभरी है। देश में आधे से ज्यादा महिलाओं और बच्चों में खून की कमी है। खून की कमी को ही एनीमिया रोग कहते हैं। अगर शरीर में 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम विटामिन डी है तो कई बीमारियां हो सकती हैं।
5) इम्यूनिटी कमजोर- बच्चों में विटामिन डी की कमी होने पर इम्युनिटी कमजोर हो जाती है जिसका असर आप उनके रोजाना के व्यवहार में देखने को मिल सकता है। जिससे वो चिड़चिड़े हो जाते है। जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।

विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए क्या करें
पहले के समय में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि भारत और अफ्रीका जैसे देशों में भी लोगों में विटामिन डी की कमी हो सकती है। लेकिन अब कमी ही नहीं हो रही है बल्कि यह एक प्रचलित बीमारी बन गई है । इसका केवल एक उपाय है कि अपने खाने की आदत को सुधारें और पर्याप्त मात्रा में धूप लें। धूप के अलावा इन 5 चीजों को सेवन अपने डाइट में अगले छह महीने तक करें।
अंडे का सेवन करें

संडे हो या मंडे रोज खाएं अंडे।
बच्चों के स्वास्थ्य की खातिर कोई सोमवार और मंगलवार ना देखें और उन्हें रोज अंडे खिलाएं। अंडे के सफेद भाग में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है। बच्चों की डाइट में अंडा जरूर शामिल करें। रोज सुबह उबाल के एक अंडा खाने दें और रोटी के साथ अंडे का ऑमलेट बनाकर, रोलकर रख दें। शोध के अनुसार औसतन 2 अंडों में 8.2mcg विटामिन डी होता है।
सोया फूड्स
सोयाबीन तो हर किसी के घर में बनती होगी। लेकिन लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि इसे आलू के साथ बनाते हैं जिसमें आलू अधिक और सोया कम होता है। आलू के साथ सोयाबीन की सब्जी इतनी अधिक बनाएं कि बच्चों के हिस्से में कम से कम 100 ग्राम सोयाबीन आए। इसके अलावा सोया फूड जैसे टोफू, सोया चॉप भी आप खिला सकती हैं। लेकिन ये सोयाबीन की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं और जल्दी मिलते नहीं है। इसलिए आज से सोयाबीन को अपने खाने में रोज शामिल करें और कभी चिल्ली सोया तो कभी सोया कबाब बनाकर बच्चों को खिलाएं। वे इसे मजे से खाएंगे भी और उन्हें पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी भी मिल जाएगा।
एक गिलास दूध

दूध के फायदे हर किसी को मालूम हैं। यह इकलौती ऐसी खाने-पीने की चीज है जिसमें विटामिन सी को छोड़कर सारे विटामिन्स होते हैं। इसलिए तो बढ़ते बच्चे को डॉक्टर भी रोज एक ग्लास दूध पीने के लिए बोलते हैं। अगर आपके बच्चे में विटामिन डी की कमी है तो उसे मार्केट में मिलने वाला विटामिन डी- फोर्टिफाइड दूध पिलाएं। गाय का दूध विटमिन-डी फोर्टिफाइड हो तो यह और अधिक फायदेमंद हो जाता है।
अगर आपके बच्चे को दूध पीने से उल्टी हो जाती है तो उसे विटमिन-डी फोर्टिफाइड सोया मिल्क पिलाएं। आजकल यह आसानी से मार्केट में मिल भी जाता है।
सैल्मन मछली
सैल्मन मछली में विटामिन डी काफी मात्रा में होता है। इसे घर पर फ्राई कर के आप सुबह-शाम अपने बच्चे को खिला सकती हैं। भोजन में एक बार सैल्मन मछली खाने से दिन भर की विटमिन डी की जरूरत पूरी हो जाती है। ये मछली विटामिन बी और प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत होती है।
मशरूम

सफेद और पोर्टेबेला मशरूम में विटामिन D अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा मशरूम में कैलोरी बहुत कम होती है। 5 सफेद मशरूम या एक पूरे पोर्टेबेला मशरूम में केवल 20 कैलोरी होती है। इसे खाने से पेट भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती जिसके कारण बच्चे जंक फूड खाने की जिद भी नहीं करेंगे। 100 ग्राम मशरूम में 7 IU विटामिन डी होता है। इसलिए रोज एक टाइम विटामिन डी से भरपूर मशरूम की सब्जी खिलाएं।
तो आज से अपने बच्चे को ये सारी चीजें खिलाना शुरू करें और उनकी हड्डियों को मजबूत बनाएं।
