Overview:
अक्सर माता-पिता एक बड़ी गलती कर देते हैं। वे बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ अपनी पेरेंटिंग स्टाइल और पैटर्न में बदलाव नहीं करते। जबकि परवरिश की पाठशाला में यह सबसे अहम पाठ है।
Teenagers Upbringing Tips: हर माता-पिता अपने बच्चे की अच्छी से अच्छी परवरिश करना चाहता है। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे को भरपूर प्यार के साथ अनुशासन में रखें, जिससे उसका भविष्य संवर सके। लेकिन अक्सर माता-पिता एक बड़ी गलती कर देते हैं। वे बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ अपनी पेरेंटिंग स्टाइल और पैटर्न में बदलाव नहीं करते। जबकि परवरिश की पाठशाला में यह सबसे अहम पाठ है। खासतौर पर टीनएज का दौर बहुत ही संभलकर निकालने वाला होता है। इस समय बच्चे और पेरेंट्स के बीच के संबंध बच्चे का भविष्य संवार या बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों के अनुसार खुद को ढालने के साथ ही उन्हें समझने की भी कोशिश करें, जिससे दोनों के बीच दूरियां नहीं, नजदीकियां बढ़ सकें। इसमें कुछ टिप्स आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती हैं।
दोस्त बनें, पर तय करें लिमिट

टीनएज में बच्चों पर बहुत ज्यादा सख्ती करने से बचें। इससे बच्चे उग्र हो सकते हैं। उन्हें लगता है कि पेरेंट्स उन्हें समझते नहीं हैं। ऐसे में वे बातें छिपाने लगते हैं। कई बार तो परेशानी होने पर भी डर के कारण वे अपने पेरेंट्स को कुछ बताते नहीं हैं। इसलिए टीनएज में बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश करें। और एक दोस्त के नाते ही उन्हें सही व गलत का पाठ पढ़ाएं। इस दौरान अपनी सीमाएं तय करना न भूलें। कई बार ज्यादा दोस्ती के चक्कर में बच्चे पेरेंट्स का सम्मान करना बंद कर देते हैं। इसलिए एक सीमा में रहकर बच्चों से दोस्ती करें।
बच्चों की बात सुनें
बच्चों की बातें ध्यान से सुनना और उन्हें समझना हर पेरेंट्स के लिए जरूरी है। ये बात सही है कि आज के समय में पेरेंट्स के पास बहुत ज्यादा समय नहीं होता। लेकिन बच्चे को समय देना और खासतौर पर टीनएज बच्चे से बातें करना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। इससे आप बच्चे की समस्याएं और उनकी स्थितियों को जान पाएंगे। साथ ही समाधान भी कर सकेंगे। कई बार अकेलेपन में बच्चे गलत कदम भी उठा लेते हैं। इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है बच्चे को पूरा समय देना।
बच्चों को लेने दें अपना फैसला
कहते हैं इंसान गलतियों से ही सीखता है। बच्चों के साथ भी ऐसा ही है।टीनएज में बच्चे को अपने फैसला खुद लेने की आजादी दें। इससे बच्चा यह महसूस करेगा कि पेरेंट्स उसपर विश्वास करते हैं। उसका कॉन्फिडेंस भी इससे बढ़ेगा। साथ ही वह अपनी गलतियों से सीख ले सकेगा। यह छोटा सा बदलाव उसकी जिंदगी की दिशा बदल सकता है।
परिस्थितियों को समझें
टीनएज में बच्चे अक्सर काफी चिड़चिड़े हो जाते हैं। वे पेरेंट्स की हर बात का गलत मतलब निकाल लेते हैं, तेज आवाज में बात करते हैं, बातें सुनना बंद कर देते हैं या फिर बात-बात पर गुस्सा होने लगते हैं। लेकिन इन सबके पीछे एक बड़ा कारण हार्मोनल बदलाव। टीनएज में बच्चों के हार्मोन तेजी से बदलते हैं। ऐसे में उनके मूड स्विंग होते हैं। इस समय पेरेंट्स को बच्चों को समझना चाहिए। न कि उनपर गुस्सा होना चाहिए। अगर इस समय आप बच्चे को नहीं समझेंगे तो रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं।
