पद्मश्री के फलक पर आधी दुनिया का जगमगाता सफर: Padma Shri Award
Padma Shri Award

Padma Shri Award: हर महिला अपनी जिंदगी की कहानी की नायिका है। जाहिर है अपने तमाम संघर्षों के साथ आगे बढ़ना और परिस्थिति से जीतना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। हां, लेकिन इन सभी के इतर अपनी परिस्थिति से मुकाबला करके समाज और अपनी बेहतरी के लिए करने वाली महिलाएं हम सभी के लिए किसी पाठशाला से कम नहीं। वह चाहे किसी भी तबके से क्यों न आए उनका संघर्ष और उनकी कहानी अनुकरणीय है। यह महिलाएं कोई सेलिब्रेटीज नहीं हैं हां लेकिन जब यह रेड कारपेट पर चलकर पुरस्कार लेती हैं तो इनके चेहरे के तेज के सामने सभी कुछ फीक-सा नजर आता है।

इस बार कुछ यह रहे चेहरे

पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री। इस वर्ष 106 पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की गई है। जिसमें छह पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री शामिल हैं। सूची में विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के दो और सात लोगों को मरणोपरांत पुरस्कार गया। इन पद्म पुरस्कार पाने वालों की सूची में इस वर्ष 19 महिलाओं के नाम सम्मिलित हैं। जिनमें मुख्य रूप से तमिलनाडु से गायिका वाणी जयराम और महाराष्ट्र की गायिका सुमन कल्याणपुर को कला क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म पुरुस्कार दिया गया। इसके अलावा लेखिका सुधा मूर्ति को समाज सेवा कार्य में विशेष योगदान के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं पद्मश्री की बात करें तो इसमें जोधैया बाई बैगा, उषा बारले, हेमप्रभा चुटिया, सुभद्रा देवी, प्रतिकाना गोस्वामी, हीराबाई लोबी, रानी मचैया, डॉ. नलिनी पार्थसारथी, डॉ. सुकमा आचार्य, कृष्णा पटेल, सुजाताए के.सी. रनरेमसंगी, निहुनुओ सोरही, रवीना रवि टंडन, कूमी नरीमन वाडिया हैं। आइए जानते हैं पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वाली कुछ चर्चित महिलाओं के बारे में।

पद्म भूषण

  • तमिलनाडु से गायिका वाणी जयराम को कला क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए पद्म भूषण सम्मान दिया गया।
  • महाराष्ट्र से पार्श्व गायिका सुमन कल्याणपुर को कला क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म अवार्ड दिया गया।
  • लेखिका सुधा मूर्ति को समाज सेवा कार्य में विशेष योगदान के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मान मिला।

पद्मश्री

  • जोधैया बाई बैगा, कला, मध्य प्रदेश
  • उषा बारले, कला, छत्तीसगढ़
  • श्रीमद्भगवद्गीता को कपड़े पर बुनने वाली असम की हेमप्रभा चुटिया
  • पेपरमेसी कला से विदेशों तक शोहरत हासिल करने वाली बिहार की 82 वर्षीय सुभद्रा देवी
  • पश्चिम बंगाल की प्रतिकाना गोस्वामी
  • गुजरात की समाज सेविका हीराबाई लोबी
  • कर्नाटक की रानी मचैया
  • पुडुचेरी की डॉ. नलिनी पार्थसारथी
  • हरियाना से डॉ. सुकमा आचार्य
  • ओडिशा से कला क्षेत्र में योगदान देने वाली कृष्णा पटेल
  • कनाडा की सुजाता रामदोराई को विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए पद्मश्री
  • मिजोरम की के.सी. रनरेमसंगी
  • नगालैंड की निहुनुओ सोरही
  • अभिनेत्री रवीना रवि टंडन
  • महाराष्ट्र की कूमी नरीमन वाडिया

सुधा मूर्ति

सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन होने के साथ एक प्रसिद्ध लेखिका और मोटिवेशनल भी हैं। नारायण मूर्ति की पत्नी होने के इतर उन्होंने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 1968 में इंजीनियरिंग में दाखिला लेने वाली सुधा कॉलेज में एकमात्र महिला कैंडीडेट थी। इस चीज को भी उन्होंने स्वीकारा। हां, अपनी जिंदगी में एक सबसे बड़ी बात स्वीकारी कि उनकी जिंदगी में धन की कमी नहीं है। पैसे होने के इतने मायने नहीं होते। दुनिया में बहुत लोग हैं जिनके पास पैसा है लेकिन उस पैसे का प्रयोग कैसे किया जाए इस मामले में सुधा एक मिसाल बनकर उभरी हैं। सादा जीवन उच्च विचार के क्या मायने होते हैं यह हम उनसे सीख सकते हैं। वह सामाजिक सेवा में अग्रणीय हैं वह एक लेखिका हैं और सबसे महत्वपूर्ण एक बेहतरीन इंसान हैं। वह अपने कपड़ों से नहीं लेकिन विचारों से कितनी आधुनिक हैं, यह बात आप उनके किसी भी वक्तव्य में जान सकते हैं। वह मानती हैं कि महिलाएं तभी अपने विचार प्रमुखता से रख पाएंगी जब वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी।

रवीना टंडन, एक्टर

तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त से सुॢखयां बटोरने वाली अभिनेत्री 90 के दशक की मशहूर अदाकारों में एक हैं। वह कॉलेज नहीं गईं क्योंकि उन्हें फिल्मों में काम करने का जुनून था। साल 1992 में आई फिल्म ‘पत्थर के फूल’ से बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत की। उनकी फिल्म ‘दमन ए विक्टम ऑफ मॉरिशअल वॉयलेंस’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। आज वह एक शादीशुदा जिंदगी बसर कर रही हैं। इन्होंने दो बेटियों को गोद भी लिया था जिनकी परवरिश इन्होंने बहुत अच्छे से की।

वाणी जयराम, कलाकार

आधुनिक भारत की मीरा कही जाने वाली वाणी जयराम बेशक हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन अपनी गायकी से उन्होंने कला के फलक पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वह दक्षिण भारतीय सिनेमा की पार्श्व गायिका रह चुकी हैं। ‘हम को मन की शक्ति देना मन विजय करे, यह गीत लगभग सभी को याद होगा। यह उन्हीं का गाया हुआ है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के कई भजन भी गाए थे, जो मीरा की भक्ति पर आधारित थे। प्लेबैक सिंगर के तौर पर उन्हें तीन राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। 4 फरवरी को ही उनका निधन हुआ है।

सुमन कल्याणपुर, गायिका

ढाका में जन्मीं सुमन ने लता मंगेशकर के दौर में भी अपनी गायिकी के जरिए एक अलग पहचान बनाई। करीब तीन दशकों के अपने करियर में उन्होंने हिन्दी, मराठी, गुजराती, पंजाबी और भोजपुरी सहित एक दर्जन से भी ज्यादा भारतीय भाषाओं-बोलियों के तीन हजार से ज्यादा फिल्मी-गैर फिल्मी गीत-गजल गाए और फिर बदलते वक्त के साथ सिनेमा को अलविदा कह दिया। यह मुंबई में रहती हैं। अपनी प्रतिभा के लिए इन्हें दादासाहब फाल्के पुरस्कार भी मिल चुका है। इन्होंने गायन को शौकिया तौर पर सीखा लेकिन बाद में इसे अपना करिअर बनाया।

शिक्षा के लिए है डॉ. सुकामा का जीवन, शिक्षाविद

गुरुकुल रुड़की की प्राचार्य डॉ. सुकामा को आर्य समाज की शिक्षा को फैलाने का काम कर रही हैं। वह महिला सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने अपना जीवन इसी सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। इन्होंने गुरुकुल परंपरा में उच्च शिक्षा प्राप्त करके ब्रह्मïचर्य दीक्षा ली और गुरुकुल पद्धति से कन्याओं को शिक्षित और संस्कारवार बना रही हैं। यह हरियाणा से हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता को कपड़े पर बुनने वाली असम की हेमप्रभा चुटिया

असम की इस कलाकार की रचनात्मकता का स्तर अलग ही है। वह अपने बुने हुए कपड़ों पर श्लोंको को बुनती हैं। यह श्लोक अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में हैं। मुगा रेशम के जिस कपड़े पर उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता लिखी है उसकी लंबाई 150 फीट और चौड़ाई 2 फीट है। उन्होंने पवित्र किताब के एक अध्याय को भी अंग्रेजी में बुना है। भगवत गीता से पहले वह नाम घोष को भी कपड़े पर बुन चुकी हैं। इस काम के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जिसमें बाकुल बोन अवॉर्ड, आई कनकलता अवॉर्ड और राज्य सरकार का हैंडलूम एंड टेक्सटाइल अवॉर्ड शामिल हैं।

पहला पद्मश्री किस महिला को मिला

पद्मश्री पाने वाली बॉलीवुड की पहली अदाकारा नरगिस थी। उन्होंने ‘मदरइंडिया’ में अपने समकक्ष अभिनेता की मां का किरदार निभाया था। इस फिल्म में उनके अपोजिट सुनील दत्त थे। साल 1958 में आई इस फिल्म की वजह से उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिसमें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार और कार्लोवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार शामिल है। 1958 में ही उन्हें पद्ममश्री से सम्मानित भी किया गया। यह उस महान कलाकार की अदायगी का कमाल है कि मुंबई के बांद्रा की एक गली का नाम उनकी याद में नरगिस दत्त रोड रखा गया है। वह भले ही कैंसर की वजह से बहुत जल्दी दुनिया को अलविदा कह गईं लेकिन अपने कालजयी अभिनय की वजह से वह अमर हैं। सच है कुछ लोग मरकर भी अपनी काम की वजह से ताउम्र याद किए जाते हैं। बीस साल तक उन्होंने बॉलीवुड में बेहतरीन काम किया।

कला और सामाजिक क्षेत्र में अग्रणीय

अगर हम पद्मश्री अवॉर्ड की फेहरिस्त देखें तो पाएंगे कि महिलाओं ने अपनी उपस्थित समय के साथ बढ़ाई है। लेकिन अक्सर सामाजिक और कला के क्षेत्र में महिलाओं को ज्यादा सम्मान मिले हैं। हां स्पोर्ट्स में भी अब महिलाओं को यह सम्मान दिया गया है। इसमें मैरी कॉम, पीवी सिंधू आदि के नाम हैं। हम उम्मीद करते हैं कि महिलाएं और भी बहुत से क्षेत्रों में आगे आएं। अगर पूरा समाज यह कोशिश करे कि हम महिलाओं को उनके करिअर में या किसी भी क्षेत्र में हतोउत्साहित नहीं प्रोत्साहित करेंगे तो महिलाओं के लिए नजरिया और नजारे दोनों ही बदल जाएंगे।