Kalava significance
Kalava significance

Overview: कलावा बांधने और उतारने के नियम

हिंदू धर्म में रक्षासूत्र या कलावा को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। वैदिक शास्त्रों में इसे बांधने और उचित समय पर उतारने के विशेष नियम भी उल्लेखित हैं। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में

Kalava Significance: भारतीय संस्कृति में धार्मिक परंपराएं न केवल विश्वास से जुड़ी होती हैं, बल्कि उनका गहरा आध्यात्मिक और ऊर्जा संतुलन से संबंध भी होता है। ऐसा ही एक प्रमुख धार्मिक प्रतीक है कलावा, जिसे मौली या रक्षासूत्र भी कहा जाता है। यह लाल और पीले रंग के धागों से बनी एक शुभ डोरी होती है, जिसे पूजा-पाठ, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान आदि के दौरान हाथ में बांधा जाता है।

कलावे के रंगों का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

कलावे में प्रयुक्त रंगों का चयन केवल सजावट या परंपरा के लिए नहीं किया गया है, बल्कि इसके पीछे गहरा ज्योतिषीय रहस्य छिपा है। लाल रंग को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है, जो साहस, पराक्रम, ऊर्जा और समृद्धि से जुड़ा होता है। वहीं पीला रंग गुरु ग्रह से संबंधित होता है, जो ज्ञान, उन्नति, सुरक्षा और धार्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है। जब ये दोनों रंग एक साथ कलावे में होते हैं, तो यह शरीर और मन दोनों के लिए एक ऊर्जा कवच का कार्य करता है।

कलावा बांधने के पीछे धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि पूजा या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कलावा बांधने से की जाए, तो देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। पुरुषों के लिए इसे दाहिने हाथ की कलाई में और महिलाओं के लिए बाएं हाथ में बांधने की परंपरा है। यह न केवल नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है, बल्कि आत्मबल और विश्वास को भी मजबूत करता है।

कलावा बांधने और उतारने के नियम

अक्सर देखा गया है कि लोग कलावा तो श्रद्धा से बांधते हैं, लेकिन इसे उतारने और दोबारा बांधने से जुड़े नियमों की अनदेखी करते हैं। धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार, कलावा 21 दिनों तक प्रभावशाली रहता है। इस अवधि के बाद इसका शुभ प्रभाव कम होने लगता है और यदि इसे लंबे समय तक हाथ में ही रहने दिया जाए, तो यह उल्टा प्रभाव डाल सकता है।

कुछ लोग पुराने कलावे के ऊपर नया कलावा बांध लेते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है। इससे पुरानी ऊर्जा नए कलावे पर हावी हो जाती है और उसका प्रभाव निष्क्रिय हो जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि पुराने कलावे को पहले विधिपूर्वक हटाया जाए और फिर किसी शुभ मुहूर्त में नया कलावा बांधा जाए।

कलावा उतारने की सही प्रक्रिया

कलावा को हटाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसे कभी भी गंदे स्थान या कूड़ेदान में नहीं फेंकना चाहिए। चूंकि यह एक पवित्र वस्तु होती है और पूजा से जुड़ी होती है, इसलिए इसका सम्मान करना आवश्यक होता है। सबसे उत्तम तरीका यह है कि आप कलावे को किसी गमले की मिट्टी में दबा दें या फिर बहते जल में प्रवाहित कर दें। इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता और धार्मिक मर्यादा भी बनी रहती है।

कब और कैसे बांधें नया कलावा?

पुराना कलावा उतारने के बाद नया कलावा शुभ दिन या शुभ मुहूर्त में बांधना चाहिए। विशेष रूप से गुरुवार, सोमवार या शनिवार को यह कार्य करना अधिक लाभकारी होता है। इसके साथ ही, कलावा बांधते समय ध्यान रखें कि इसे तीन बार कलाई पर लपेटा जाए और फिर पूजा करके बांधा जाए, ताकि इसका पूरा प्रभाव जीवन में उतर सके।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...