know what is cycle syncing workout and how does it work
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Overview: महिलाओं के मासिक चक्र को ध्यान में रखकर बनाया गया वर्कआउट प्लान

साइकिल सिंकिंग वर्कआउट महिलाओं के लिए एक ऐसा स्मार्ट तरीका है, जो मासिक चक्र के हिसाब से वर्कआउट को एडजस्ट करता है। इससे न केवल फिटनेस बेहतर होती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन भी बना रहता है।

Cycle Syncing Workouts : अक्सर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थकान, मूड स्विंग्स और ऊर्जा की कमी महसूस होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि वर्कआउट कब करें और किस तरह करें? यही जवाब देता है साइकिल सिंकिंग वर्कआउट। इसमें महिला के मासिक चक्र (Menstrual Cycle) के अलग-अलग फेज़ के अनुसार एक्सरसाइज़ बदली जाती है। यह न सिर्फ फिटनेस बढ़ाता है, बल्कि हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में भी मदद करता है।

साइकिल सिंकिंग वर्कआउट क्या है?

यह एक फिटनेस एप्रोच है जिसमें महिलाओं के मासिक चक्र को चार हिस्सों में बाँटकर अलग-अलग तरह के वर्कआउट प्लान किए जाते हैं। हर फेज़ में शरीर की ऊर्जा और हार्मोन बदलते हैं, इसलिए उसी हिसाब से एक्सरसाइज़ चुनी जाती है।

पीरियड फेज़– आराम और हल्की मूवमेंट

At menstrual phase rest and light movement
At menstrual phase rest and light movement

इस दौरान शरीर को ज्यादा आराम की जरूरत होती है। योग, स्ट्रेचिंग, या हल्की वॉक करना बेहतर होता है। यह शरीर को रिलैक्स रखता है और दर्द व थकान को कम करता है।

फॉलिक्युलर फेज़ – एनर्जी का समय

पीरियड्स खत्म होने के बाद यह फेज़ शुरू होता है। इस दौरान ऊर्जा लेवल बढ़ता है और मूड भी अच्छा रहता है। कार्डियो, डांस, रनिंग या साइक्लिंग जैसे वर्कआउट इस समय सबसे ज्यादा असरदार होते हैं।

ओव्यूलेशन फेज़ – हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट

इस फेज़ में शरीर की ताकत और स्टैमिना पीक पर होती है। HIIT (High Intensity Interval Training), वेट लिफ्टिंग या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने का यह सबसे सही समय होता है।

ल्यूटियल फेज़– स्लो डाउन और बैलेंस

पीरियड्स से पहले यह फेज़ आता है। इसमें थकान और मूड स्विंग्स बढ़ सकते हैं। ऐसे में पिलेट्स, योग, स्ट्रेचिंग और मेडिटेशन जैसे वर्कआउट मददगार होते हैं।

क्यों है यह तरीका खास?

यह शरीर की नैचुरल रिद्म के साथ काम करता है।

हार्मोनल बैलेंस बनाए रखता है।

पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं जैसे थकान, ऐंठन और मूड स्विंग्स कम करता है।

फिटनेस रिज़ल्ट्स को और ज्यादा प्रभावी बनाता है।

किन बातों का रखें ध्यान?

हर महिला का चक्र अलग होता है, इसलिए अपने शरीर को समझना ज़रूरी है।

ज्यादा थकान या दर्द होने पर वर्कआउट को मॉडिफाई करें।

जरूरत हो तो फिटनेस ट्रेनर या डॉक्टर से सलाह लें।

मेरा नाम वंदना है, पिछले छह वर्षों से हिंदी कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हूं। डिजिटल मीडिया में महिला स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, बच्चों की परवरिश और सामाजिक मुद्दों पर लेखन का अनुभव है। वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं और नियमित...