Fat Loss Hormones: अगर आप अपने बढ़ते मोटापे से परेशान हैं और पतला होना चाहती हैं तो डाइट नहीं अपने हार्मोन पर ध्यान दें। आपकी सभी परेशानियों का मुख्य स्रोत यही है, यदि इन्हें संतुलित कर लिया तो आप पा सकती हैं एक स्वस्थ काया। कैसे, आइए जानते हैं।
हार्मोन्स को हमारे शरीर का ‘ईंधन’ कहा जा सकता है। ये विभिन्न अंगों तक संदेश पहुंचाते हैं और उनके कामों को बेहतर बनाते हैं। साथ ही मेटाबॉलिज्म, भूख, यहां की तृप्ति का एहसास तक हार्मोन पर निर्भर होते हैं। हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने से महिलाओं का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। खासतौर से 9 हार्मोन्स महिलाओं के वजन को प्रभावित करते हैं।
इंसुलिन: मोटापे-डायबिटीज का खतरा
शरीर के लिए इंसुलिन बहुत जरूरी हार्मोन है। यह अग्न्याशय यानी पैनक्रियाज से दिन भर में थोड़ी मात्रा में और भोजन के बाद अधिक मात्रा में स्रावित होता है। इंसुलिन ही भोजन से ग्लूकोज को मांसपेशियों, यकृत और वसा कोशिकाओं में पहुंचाता है। इसी से ऊर्जा और भंडारण होता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करना बंद कर देती हैं, जिससे रक्त
में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। इससे टाइप-2 डायबिटीज होने के साथ ही मोटापा बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है क्योंकि कैलोरी शरीर में एकत्रित होने लगती है। आप ऐसे सुधारें इसे: महिलाओं को इंसुलिन का स्तर सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
बेहतर जीवनशैली से यह संभव है। नियमित व्यायाम करें। पर्याप्त और अच्छी नींद लेने से भी इंसुलिन का स्तर बेहतर होता है और मोटापा कम होता है। अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड ज्यादा लें।
लेप्टिन: भूख के नियंत्रण का जिम्मेदार
लेप्टिन सीधे तौर पर हाइपोथैलेमस से जुड़ा रहता है। हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का वह भाग है जो भूख को नियंत्रित करता है। साथ ही आपको तृप्ति का एहसास करवाता है। लेप्टिन बाधित होने से मस्तिष्क को पेट भरने के संकेत नहीं मिल पाते और आप ज्यादा भोजन करने लगते हैं, जो वजन बढ़ने का कारण बनता है।
आप ऐसे सुधारें इसे: लेप्टिन असंतुलन का सीधा कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन आमतौर पर ये जीन परिवर्तन, लेप्टिन के ज्यादा उत्पादन और सूजन से जुड़ा हुआ माना जाता है। नियमित व्यायाम से लेप्टिन का स्तर कम होता है। मोटापे से पीड़ित महिलाओं में लेह्रिश्वटन का स्तर नींद की गुणवत्ता से भी जुड़ा होता है।
कोॢटसोल: तनाव बढ़ाएगा मोटापा
कोॢटसोल भले ही तनाव का हार्मोन है, लेकिन यह और वजन एक-दूसरे के पूरक हैं। कोॢटसोल बढ़ने से वजन भी बढ़ता है और ज्यादा वजन कोॢटसोल का स्तर बढ़ा देता है। कोॢटसोल मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जिससे शरीर भोजन को ठीक से पचा नहीं पाता और मोटापा बढ़ने लगता है।
आप ऐसे सुधारें इसे: नींद की कमी, हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन का सेवन और लगातार तनाव, कोॢटसोल बढ़ाते हैं। इसलिए रात में सात से नौ घंटे की नींद लें। सोने का एक निश्चित शेड्यूल बनाएं। नियमित व्यायाम, योग और ध्यान से भी कोॢटसोल कम होता है। वजन को नियंत्रित
करें। संतुलित आहार का सेवन करें।
घ्रेलिन: बार-बार लग सकती है भूख
घ्रेलिन भी हाइपोथैलेमस से जुड़ा होता है लेकिन यह मस्तिष्क को ये संदेश देता है कि पेट खाली है और उसे भोजन की जरूरत है। अगर यह हार्मोन असंतुलित होता है तो आपको बार-बार और ज्यादा भूख लगने लगती है, जिससे वजन तेजी से बढ़ने लगता
है।
आप ऐसे सुधारें इसे: मोटापा घ्रेलिन को असंतुलित करता है। इसलिए अपने वजन को हमेशा नियंत्रित रखें। नियमित व्यायाम मददगार हो सकती है। भोजन की सही आदत अपनाएं। भूख लगने पर ही खाना खाएं।
पेप्टाइड वाई वाई: गट हार्मोन है पीवाईवाई
इसे पीवाईवाई कहा जाता है। यह हार्मोन गट हार्मोन है, जो भूख को कम करता है। पीवाईवाई का स्तर कम होने से भूख बढ़ने लगती है। ज्यादा कैलोरी के कारण मोटापा बढ़ता है।
आप ऐसे सुधारें इसे: भोजन में भरपूर प्रोटीन खाने से पीवाईवाई का स्तर सुधरता है। इससे भूख नियंत्रित रहती है और तृप्ति का एहसास भी जल्दी होने लगता है। अपने आहार में हाई फाइबर वाले ताजे फल और सब्जियां शामिल करना फायदेमंद रहेगा।
नियमित व्यायाम से पीवाईवाई के स्तर में सुधार होता है।
ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड -1

जीएलपी-1 का असंतुलन मोटापे का कारण बनता है। ये हार्मोन पेट में उस समय बनता
है, जब पोषक तत्व आंतों में प्रवेश करते हैं।
भोजन के बाद तृप्ति के एहसास के लिए यह हार्मोन काफी हद तक जिम्मेदार होता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को भी स्थिर रखता है। शोध बताते हैं कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में जीएलपी-1 सिग्नलिंग की समस्या आम है।
आप ऐसे सुधारें इसे: अपनी डाइट में व्हे प्रोटीन और दही जैसे प्रोटीन शामिल करें। इससे जीएलपी-1 का स्तर बढ़ता है। पबमेड के एक शोध के अनुसार प्रोबायोटिक्स जीएलपी-1 के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही संतुलित जीवनशैली अपनाएं।
न्यूरोपेप्टाइड वाई: असंतुलन बढ़ाता है चर्बी
इसे एनपीवाई हार्मोन भी बोलते हैं। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं न्यूरोपेप्टाइड वाई का निर्माण करती हैं। इसके असंतुलन से भूख बढ़ने लगती है। साथ ही यह एनर्जी के लिए पर्याप्त कैलोरी बर्न करना बंद कर देता है, जिससे वजन बढ़ने लगता है। एनपीवाई वसा ऊतकों में सक्रिय होता है और वसा के भंडारण को बढ़ा सकता है। यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कारण बनता है।
आप ऐसे सुधारें इसे: न्यूरोपेप्टाइड वाई हार्मोन को संतुलित करने का सबसे असरदार तरीका है- नियमित व्यायाम करना। इससे कैलोरी सही मात्रा में बर्न होंगी और हार्मोन संतुलित होगा। ज्यादा वसा वाला, मीठा आहार न करें।
कोलेसिस्टोकाइनिन: कम स्तर से बढ़ेगा मोटापा

कोलेसिस्टोकाइनिन यानी सीसीके तृप्ति का हार्मोन है। भोजन के बाद आंतों की कोशिकाएं इसे बनाती हैं। पाचन सहित ऊर्जा उत्पादन व शरीर के अन्य कार्यों के लिए सीसीके जरूरी होता है। यह लेह्रिश्वटन हार्मोन का स्राव भी बढ़ाता है। सीसीके के असंतुलन से बार-बार भूख लगती है।
आप ऐसे सुधारें इसे: पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करके आप कोलेसिस्टोकाइनिन का
स्तर बढ़ा सकती हैं। इससे आपको भोजन के बाद तृप्ति का एहसास जल्दी होगा। नियमित
व्यायाम मददगार हो सकता है।
(आभार- लेख डॉ. अरुण कालरा, ऑब्सट्रेट्रिक एंड गायनेकोलॉजी स्पेशलिस्ट,
बिरला अस्पताल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित है।)
