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महिलाएं घर में सुबह सबसे जल्दी उठती हैं और रात में पूरे घर का काम खत्म करके सोती हैं। लेकिन इस बीच अधिकांश महिलाएं अपनी सेहत को भुला बैठती हैं। काम का तनाव और पर्याप्त नींद के अभाव में महिलाएं शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी थकान महसूस करने लगती हैं।
Stress and Insomnia Effects: महिलाएं परिवार की धूरी हैं। वे घर के हर सदस्य की सेहत और छोटी से छोटी जरूरत का पूरा ध्यान रखती हैं। सुबह सबसे जल्दी उठती हैं और रात में पूरे घर का काम खत्म करके सोती हैं। लेकिन इस बीच अधिकांश महिलाएं अपनी सेहत को भुला बैठती हैं। काम का तनाव और पर्याप्त नींद के अभाव में महिलाएं शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी थकान महसूस करने लगती हैं। हालांकि बहुत कम महिलाएं यह जानती हैं कि तनाव और नींद की कमी से उनके हार्मोन भी प्रभावित हो रहे हैं।
इसलिए जरूरी है पर्याप्त नींद

अधिकांश महिलाएं घर का पूरा काम खत्म करके रात के समय ‘मी टाइम’ के नाम पर मोबाइल स्क्रॉल करती हैं। लेकिन पांच मिनट से एक-दो घंटे कब हो जाते हैं, इसका उन्हें अंदाजा नहीं लगता। नतीजा, ये होता है कि उन्हें रात में सात से नौ घंटे की पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है। जिसके कारण हार्मोन प्रभावित होते हैं और तनाव का स्तर भी बढ़ने लगता है। शरीर के अंगों और ग्रंथियों के नेटवर्क को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित हार्मोन बेहद जरूरी है।
आप सोते हैं तो काम करता है शरीर
बेहतर नींद के दौरान ही शरीर में कई हार्मोन्स का उत्पादन होता है। लेकिन पर्याप्त नींद न लेने से यह बाधित भी हो सकता है। कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, लेप्टिन, घ्रेलिन, इंसुलिन, मेलाटोनिन, थायरॉयड हार्मोन सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट और एमडी प्रोफेसर सारा गॉटफ्राइड का कहना है कि शरीर में लगभग हर हार्मोन आपकी सर्कैडियन लय यानी नींद के जवाब में ही जारी होता है। कम नींद से हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है।
नींद और तनाव का कनेक्शन
नींद और तनाव के बीच गहरा कनेक्शन है। पर्याप्त और अच्छी नींद से ही तनाव के हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर नियंत्रित होता है। यह एड्रेनल ग्रंथियों से उत्पादित होने वाला एक स्टेरॉयड हार्मोन है। इतना ही नहीं कोर्टिसोल शरीर में अन्य कई हार्मोन्स को भी संतुलित करने में मददगार होता है। जब आप आराम करते हैं और अच्छी नींद लेते हैं तो कोर्टिसोल जागने के 30 मिनट के अंदर चरम पर पहुंच जाता है। इससे शरीर के बाकी हार्मोन्स भी सक्रिय होते हैं। जिसमें थायरॉयड और एस्ट्रोजन शामिल है। खराब नींद से कोर्टिसोल के स्राव पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप रातभर में सात से नौ घंटे की अच्छी नींद लें।
प्रजनन क्षमता पर असर
बहुत कम महिलाओं को इस बात की जानकारी होती है कि कम सोने या तनाव में रहने से उनकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। दरअसल, महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन प्रजनन प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब महिलाएं अच्छी नींद नहीं लेती हैं तो सुबह उठने पर कोर्टिसोल का स्तर ज्यादा हो जाता है। जिससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के बीच का संबंध बाधित हो सकता है। और प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। इससे थायरॉयड हार्मोन पर भी असर होता है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जो वजन बढ़ने का कारण बन जाता है।
वजन बढ़ने का हो सकता है कारण

नींद और तनाव दोनों ही आपके मेटाबॉलिज्म को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। सोने के दौरान ही शरीर भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जब नींद पर्याप्त नहीं होती है तो हंगर हार्मोन प्रभावित होने लगता है। इससे लेप्टिन और घ्रेलिन दोनों भूख और तृप्ति से जुड़े हार्मोन हैं। घ्रेलिन को भूख का हार्मोन कहते हैं। यह मस्तिष्क को संकेत भेजकर भूख बढ़ाता है। वहीं लेप्टिन की कमी से खाना खाने के बावजूद तृप्ति नहीं मिल पाती है। इससे भूख और मेटाबॉलिज्म दोनों पर असर होता है। जिसके कारण वजन तेजी से बढ़ता है।
मेलाटोनिन से 500 जीन्स पर असर
कम नींद लेना महिलाओं के जीन्स पर भी असर डालता है। ऐसा मेलाटोनिन हार्मोन के कारण है। यह हार्मोन पीनियल ग्रंथि बनाती है, जो शरीर की सर्कैडियन लय से सीधी संबंधित है। यही आपके नींद के चक्र से जुड़ी है। खराब या कम नींद के कारण मेलाटोनिन प्रभावित होता है और वह मस्तिष्क को सही संकेत नहीं दे पाता। यही हार्मोन शरीर में 500 से ज्यादा जीन्स को भी कंट्रोल करता है। इसमें इम्यूनिटी से जुड़े जीन्स भी शामिल हैं। ऐसे में साफ है कि कम नींद से आपके शरीर को पूरा सिस्टम प्रभावित होता है।
ग्रोथ हार्मोन सोमेटाट्रोपिन पर असर
क्या नींद ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन पर असर करती है। जवाब है, ‘हां’। सोमेटोट्रोपिन एक जरूरी हार्मोन है जो शरीर में प्रोटीन उत्पादन के साथ ही मांसपेशियों के विकास, मेटाबॉलिज्म, ग्लूकोज कंट्रोल और इम्यूनिटी से जुड़ा है। कम नींद से इस ग्रोथ हार्मोन की मात्रा और उत्पादन दोनों ही प्रभावित होते हैं। इससे आपका वजन बढ़ सकता है, आप संक्रमण के शिकार हो सकते हैं और शरीर की रिकवरी धीमी होने लगती है।
तनाव बनता है इनफर्टिलिटी का कारण
कम नींद और तनाव आपस में काफी हद तक जुड़े हैं। तनाव एक खतरनाक स्थिति है, जो महिलाओं के हार्मोन पर गहरा असर करता है। यह सच है कि तनाव जिंदगी का हिस्सा है, लेकिन अगर आप लगातार तनाव में हैं तो शरीर के तनाव प्रतिक्रिया तंत्र यानी हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी एड्रेनल तक पर असर कर सकता है। जिसके कारण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने की आशंका रहती है। सबसे गंभीर बात यह है कि तनाव महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इससे ओव्यूलेशन और मासिक धर्म चक्र पर भी असर होता है। तनाव के कारण गर्भावस्था के लिए जरूरी माना जाने वाला प्रोजेस्टेरोन कम बनने लगता है, जिसके कारण गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है।
अनियमित मासिक धर्म

जब महिलाएं ज्यादा तनाव में रहती हैं तो उनका मासिक धर्म चक्र अनियमित होने की आशंका बढ़ जाती है। क्योंकि इससे ओव्यूलेशन के जरूरी कोर्टिसोल गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन का स्त्राव कम हो जाता है। जिससे मासिक धर्म ही नहीं प्रजनन क्षमता पर भी असर होता है।
मेनोपॉज में परेशानियां
तनाव पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का एक आम कारण है। लंबे समय तक तनाव में रहने से प्रोलैक्टिन का उत्पादन बढ़ने लगता है। प्रोलैक्टिन तनाव से जुड़ा हार्मोन है। इससे मासिक धर्म चक्र प्रभावित हो जाता है। शोध बताते हैं कि जो महिलाएं अक्सर तनाव में रहती हैं उनमें समय से पहले मेनोपॉज आने की परेशानी भी हो सकती है।
हाइपोथायरायडिज्म का कारण
तनाव हाइपोथायरायडिज्म और हाशिमोटो रोगों को ट्रिगर करता है। हाई कोर्टिसोल के कारण थायरॉयड हार्मोन टी3 और टी4 का उत्पादन कम होता है। जिससे परेशानी बढ़ सकती है।
