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जिंदगी की अधेड़ अवस्था को पार करना हर उस इंसान के लिए मुश्किलों भरा होता है, जिनपर दोहरी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में वे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं।
Sandwich Generation Stress: जिंदगी का दूसरा नाम होता है चुनौतियां। इसमें आए दिन उतार चढ़ाव आते हैं। हालांकि अधिकांश लोगों की जिंदगी में 40 से 50 साल का समय सबसे ज्यादा चुनौतियों से भरा होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार जिंदगी की अधेड़ अवस्था को पार करना हर उस इंसान के लिए मुश्किलों भरा होता है, जिनपर दोहरी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में वे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं। क्या कहता है यह अध्ययन आइए जानते हैं।
अधिकांश लोगों को महसूस होता है प्रेशर

40 से 50 या 55 की उम्र में हर शख्स के सामने अच्छे से घर चलाने के साथ ही कई अन्य टेंशन चरम पर होती हैं। करियर और ऑफिस में इस उम्र तक आपको खुद को साबित करना होता है। इसी समय बच्चों की देखभाल और बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी भी सामने आती है। इस समय आपकी उम्र ढलान पर होती है साथ ही बूढ़े माता-पिता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। जिसके कारण उन्हें संभालना एक बड़ी चुनौती होती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की ओर से किए गए एक शोध में सामने आया कि जिन लोगों को परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के साथ बच्चों की देखभाल भी करनी होती है, वे अन्य लोगों के मुकाबले ज्यादा प्रेशर महसूस करते हैं। यानी ‘सैंडविच केयर’ करने वाले लोग हर समय दबाव महसूस करते हैं।
जानें क्या है सैंडविच केयर
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर सैंडविच केयर क्या है। दरअसल, जो लोग दो पीढ़ियों की देखभाल एक साथ करते हैं, वे सैंडविच केयर की श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोगों पर बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता, दोनों की बराबर जिम्मेदारी होती है। इस पीढ़ि को सैंडविच जनरेशन कहते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने करीब एक दशक तक दो हजार से ज्यादा लोगों पर यह शोध किया, जिसमें यह बात खुलकर सामने आई है। शोधकर्ताओं के अनुसार सैंडविच केयर एक मुश्किल काम है। क्योंकि इन दोनों ही पीढ़ियों को निरंतर देखभाल की जरूरत होती है। अधेड़ उम्र में उन्हें घर का प्रबंधन भी देखना होता है और जॉब में भी पूरा समय देना होता है। जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक दोनों सेहत पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे लोगों के तनाव और चिंता का स्तर काफी बढ़ जाता है। वे हर समय उदासी महसूस करते हैं। थकान के कारण अपनी क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन भी वे नहीं कर पाते हैं।
ऐसे रह सकते हैं आप सेहतमंद
शोध में यह भी सामने आया कि सैंडविच केयर में शामिल महिला और पुरुष दोनों ही सामन रूप से दबाव महसूस करते हैं। जो लोग हर सप्ताह 20 घंटे से ज्यादा सैंडविच केयर में बिताते हैं, उनकी मानसिक सेहत में ज्यादा गिरावट आती है। हालांकि कुछ तरीके अपनाकर आप सैंडविच केयर करते हुए भी अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रख सकते हैं।
1. अगर आप भी सैंडविच केयर कर रहे हैं तो इसे एक बोझ न समझें। अपनी जिम्मेदारियों को एंजॉय करना सीखें।
2. अगर आप पर बच्चे और बुजुर्गों दोनों की जिम्मेदारी है तो आप बीच का रास्ता अपनाएं। बच्चों को बुजुर्गों का दोस्त बनाएं, इससे वे आपस में बिजी रहेंगे, अच्छा महसूस करेंगे और मानसिक तौर पर रिलेक्स भी महसूस करेंगे।
3. यह बात सही है कि सैंडविच केयर करना एक मुश्किल काम है और इसमें काफी समय निकल जाता है। लेकिन फिर भी आप अपनी सेहत के लिए समय निकालें। नियमित रूप से एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन करने से आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत अच्छी रहेगी।
4.अगर आप सैंडविच केयर करते हुए भी फ्री रहना चाहते हैं तो हर काम का एक समय निर्धारित करें। इससे आपको खुद के लिए भी समय मिल पाएगा।
5. रात में कम से कम 8 घंटे की पर्याप्त और अच्छी नींद लें। इससे आपको अगले दिन के लिए भरपूर एनर्जी मिलेगी।
