Overview:पीरियड्स में हेल्दी मॉर्निंग रूटीन - छोटी आदतें, बड़ी राहत
यह स्टोरी बताती है कि पीरियड्स के दौरान दिन की शुरुआत कैसे आसान और समझदारी से की जाए। बिना किसी परफेक्ट मॉर्निंग रूटीन के, सिर्फ छोटे-छोटे कदम जैसे सुबह खुद को समय देना, शरीर को गर्म रखना, हल्की मूवमेंट करना और सादा नाश्ता लेना हार्मोन बैलेंस में मदद करता है। ये सरल आदतें पीरियड साइकिल को ज़्यादा नियमित, आरामदायक और संभालने लायक बनाती हैं।
Balance Period Cycle Routine: एक हेल्दी पीरियड साइकिल के लिए ज़िंदगी में बड़े बदलाव या एकदम परफेक्ट मॉर्निंग रूटीन अपनाना ज़रूरी नहीं होता। आजकल सोशल मीडिया पर हार्मोन हेल्थ के नाम पर लंबे-चौड़े रिचुअल दिखाए जाते हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि अगर हमने सब कुछ नहीं किया तो शरीर कभी बैलेंस में आएगा ही नहीं। लेकिन सच्चाई यह है कि हार्मोनल बैलेंस धीरे-धीरे बनता है, जब हम रोज़मर्रा की छोटी आदतों में अपने शरीर का साथ देते हैं।
पीरियड्स के दौरान सुबह का समय खास होता है, क्योंकि इसी वक्त शरीर और ब्रेन दोनों ज़्यादा संवेदनशील होते हैं। ऐसे में खुद पर दबाव डालने के बजाय अगर हम थोड़ी समझदारी दिखाएं, तो यही छोटी-छोटी चीज़ें आगे चलकर पीरियड साइकिल को ज़्यादा नियमित और आरामदायक बना सकती हैं।
सुबह के समय बस कुछ पल खुद के लिए निकालना—जैसे शरीर को गर्म रखना, हल्की-फुल्की मूवमेंट करना और नर्वस सिस्टम को शांत करना—लंबे समय तक हार्मोन बैलेंस में मदद करता है। ये छोटे कदम आपकी रोज़ की टू-डू लिस्ट में तनाव बढ़ाए बिना पीरियड साइकिल को हेल्दी रखने में सहायक होते हैं।
‘परफेक्ट’ मॉर्निंग का मिथ

अक्सर हमारी सुबह किसी आदर्श रूटीन जैसी नहीं होती। न हम बहुत जल्दी उठ पाते हैं । ज़्यादातर दिनों में तो आँख खुलते ही जिम्मेदारियाँ याद आने लगती हैं और दिन की भागदौड़ शुरू हो जाती है। यही असल ज़िंदगी है, और इसी हकीकत के बीच हमें अपने शरीर का ख्याल रखना होता है। पीरियड्स के दौरान तो यह और मुश्किल हो जाता है। ऐसे में खुद को किसी “परफेक्ट मॉर्निंग रूटीन” से तुलना करना सिर्फ तनाव बढ़ाता है। बेहतर यह है कि हम अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे सहायक रिचुअल जोड़ें। हार्मोन हेल्थ किसी एक परफेक्ट दिन से नहीं, बल्कि रोज़ की समझदारी भरी आदतों से बनती है।
10 मिनट का बेडसाइड पॉज़

दिन की शुरुआत भागदौड़ से करने के बजाय अगर आप बिस्तर पर ही 10 मिनट का छोटा सा पॉज़ ले लें, तो शरीर को बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। जागने के बाद फोन उठाने से पहले एक हाथ पेट के निचले हिस्से पर रखें और धीरे-धीरे गहरी सांस लें। इससे ब्रेन और नर्वस सिस्टम को यह संकेत मिलता है कि अभी सब सुरक्षित है। पीरियड्स के दौरान यह आदत खासतौर पर मददगार होती है, क्योंकि यह स्ट्रेस हार्मोन को शांत करती है। यह छोटा सा पॉज़ हार्मोनल सिस्टम को धीरे-धीरे एक्टिव होने का समय देता है, जिससे दिन की शुरुआत ज़्यादा संतुलित महसूस होती है।
ठंडी कॉफी नहीं, सुबह में गर्माहट चुनें
सुबह-सुबह ठंडी कॉफी या बर्फ वाली ड्रिंक देखने में अच्छी लग सकती है, लेकिन पीरियड्स के दौरान शरीर को गर्माहट ज़्यादा सूट करती है। इस समय सादा गुनगुना पानी, जीरा पानी या हल्का गर्म दूध बेहतर विकल्प होते हैं। चाहें तो एक चम्मच नारी सौंदर्य माल्ट को गर्म दूध में मिलाकर ले सकती हैं, जो PMS के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। गर्म ड्रिंक पाचन को धीरे-धीरे जगाती है और पेट फूलने या ऐंठन की समस्या को कम करती है। यह छोटी सी सुबह की आदत आपकी पीरियड साइकिल को अंदर से सपोर्ट करती है।
तेज़ वर्कआउट नहीं, हल्की मूवमेंट काफी है
पीरियड्स के दौरान खुद को भारी वर्कआउट के लिए मजबूर करना ज़रूरी नहीं है। हर दिन योगा क्लास या जिम जाना सभी के लिए संभव भी नहीं होता। ऐसे में शरीर को बस हल्की मूवमेंट की ज़रूरत होती है। जैसे दांत साफ करते समय थोड़ी देर स्क्वाट में बैठना, घर के अंदर 5–10 मिनट की वॉक करना या हल्का स्ट्रेच करना। यह छोटी मूवमेंट ब्लड फ्लो को बेहतर बनाती है और जकड़न कम करती है। हार्मोन बैलेंस के लिए तेज़ एक्सरसाइज़ से ज़्यादा ज़रूरी है रोज़ थोड़ा-थोड़ा, लेकिन नियमित मूवमेंट।
पेट मालिश और गर्म नाश्ते की आदत
हफ्ते में एक बार नहाने से पहले पेट के निचले हिस्से पर थोड़ा सा गुनगुना तेल लगाकर हल्की मालिश करना एक आसान सेल्फ-केयर रिचुअल है। इससे मांसपेशियों का तनाव कम होता है और आगे चलकर पीरियड क्रैम्प्स में राहत मिल सकती है। इसके साथ ही सुबह का नाश्ता स्किप न करें। ओट्स, खिचड़ी या पोहा जैसे गर्म और सादा नाश्ता ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करता है।ड ठंडी स्मूदी या ड्रिंक्स से बचें, क्योंकि एक बैलेंस्ड पीरियड साइकिल के लिए शरीर को अंदरूनी गर्माहट की ज़रूरत होती है।
