ENT Problems in Kids: बच्चों को आमतौर पर सर्दी, जुकाम या गले में दर्द की समस्या हो जाती है, जो कि बदलते मौसम और एलर्जी की वजह से सामान्य है। लेकिन कुछ मामलों में ये समस्या ऑटिज्म की ओर भी इशारा करती है। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार सामान्य कान, नाक और गले के विकारों वाले छोटे बच्चों में ऑटिज्म का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि ईएनटी स्थितियों की शुरुआती पहचान और उपचार से इन बच्चों के जीवन में सुधार किया जा सकता है। ये समस्या अधिकतर प्री-स्कूल बच्चों में देखी जाती है। इसलिए समय रहते इसपर ध्यान देना जरूरी है। चलिए जानते हैं किन संकेतों से ऑटिज्म की जांच की जा सकती है।
ऑटिज्म के कारण

ऑटिज्म के कारणों में अनुवांशिक, पर्यावरणीय और जैविक कारकों का एक इंटरप्ले शामिल होने की संभावना है। प्रत्येक ऑटिस्टिक ट्रेट की उत्पत्ति भी भिन्न हो सकती है। ईएनटी की स्थिति जैसे कि कान में संक्रमण, ग्लू ईयर और स्लीप डिसऑर्डर ब्रीदिंग की ऑटिज्म के विकास में अहम भूमिका हो सकती है। कुछ मामलों में प्रीमैच्योर बच्चे भी इस समस्या का शिकार हो सकते हैं।
ऑटिज्म के लक्षण
जिन बच्चों को बचपन से ही सुनने, समझने, नाक और गले से संबंधित परेशानी होती है उन्हें ऑटिज्म के लक्षण हो सकते हैं। विशिष्ट लक्षण, जिसमें मुंह से सांस लेना, खर्राटे लेना, कान में खिंचाव, कान लाल होना और ठंड के दौरान कम सुनाई देना, हो सकते हैं। कान में मवाद या चिपचिपा बलगम और सही ढंग से बोल न पाना भी ऑटिज्म की ओर इशारा करता है।
यह भी पढ़ें | पुरानी चूड़ियों से कीजिए होम डेकोर, 5 अमेजिंग आइडियाज़
समय पर है उपचार जरूरी
हालांकि ये सभी लक्षण बचपन में बहुत सामान्य होते हैं और ज्यादातर बच्चे इसका अनुभव करते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उन सभी बच्चों को ऑटिज्म की समस्या है। ईएनटी स्थितियों की प्रारंभिक पहचान और उपचार से इन बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। साथ ही ऑटिज्म की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार कारकों का समय रहते पता लगाया जा सकता है। ऑटिज्म से पीडि़त बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में अधिक चिकित्सीय स्थिति होने की संभावना होती है। बच्चों की लाइफस्टाइल में बदलाव और उन्हें सिखाने के तरीके में बदलाव करके उनकी लाइफ को अधिक आसान बनाया जा सकता है।
ऑटिज्म के प्रकार

– ऑटिस्टिक डिसऑर्डर या क्लासिक ऑटिज्म
– अस्पेर्गेर सिंड्रॉम
– पर्वेसिव डेवलपमेंट डिसऑर्डर
इन बातों का रखें ध्यान
– ऑटिज्म के लिए ईएनटी स्थितियां पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं होती।
– 15 से 20 हफ्ते के बच्चों की सही ढंग से निगरानी करें।
– कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
– हर बच्चे की चिकित्सीय स्थिति अलग होती है इसलिए बच्चे की तुलना करने से बचें।
– कान की संरचना और रचनात्मक मतभेद की वजह से भी हो सकती है समस्या।
– उपचार के दौरान बच्चों का रखें विशेष ध्यान।
– अधिक शोर से बच्चे को हो सकती है अधिक समस्या।
– उपचार के दौरान बच्चा गुस्सैल और अशांत हो सकता है, ऐसे में जरूरी है कि पेरेंट्स हमेशा बच्चे के साथ रहें।