80 पुत्र
भगवान कृष्ण… धर्म का पाठ पढ़ाने वाले कृष्ण
अर्जुन को महाभारत के युद्ध में राह दिखाने वाले कृष्ण
पांडवों-कौरवों के रिश्ते में अहम किरदार निभाने वाले कृष्ण।
वो कृष्ण जो महाभारत के युद्ध के बाद जब वहां पहुंचे तो लाखों लोग मारे जा चुके थे और गांधारी अपने वंश के समाप्त होने पर दुख में डूबी थीं। कृष्ण जब गांधारी के पास पहुंचे तो वो रोते-रोते अचानक गुस्से में आ गईं। बोलीं, तुम चाहते तो महाभारत का युद्ध न होता। लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। मैं तुम्हें श्राप देती हूं कि जिस तरह मेरे पुत्र मारे हैं, वैसे ही तुम्हारा वंश भी एक दिन खत्म हो जाएगा। हालांकि कृष्ण बिना किसी विरोध के इस श्राप को ग्रहण कर लेते हैं। लेकिन कितने ही लोग उनके वंश के बारे में जानते भी हैं? कितने लोग जानते हैं कृष्ण की आठ पत्नियां और 80 पुत्र? तो चलिए आज कृष्ण के जन्मदिवस के दिन उनके वंश को पहचान लीजिए-
80 पुत्र
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श्रीकृष्ण का जन्म-
भगवान श्रीकृष्ण के वंश के बारे में जानने से पहले उनके खुद के जन्म के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। ये तो सब जानते हैं कि उनका जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। मगर जन्म की तिथि के बारे में भी जान लीजिए। बालगोपाल का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। वो वक्त जयंती योग में 3112 ईसा पूर्व का माना जाता है। 
अष्टा भार्या खाते हैं क्यों-
भगवान कृष्ण को अष्टा भार्या भी कहा जाता है। इस नाम का उनके वंश से सीधा रिश्ता है। दरअसल कृष्ण जी की 8 पत्नियां थीं और इसीलिए उन्हें ये नाम दिया गया है। उनकी आठ पत्नियों के नाम जान लीजिए-
  • रुक्मिणी
  • जाम्बवन्ती
  • सत्यभामा
  • कालिन्दी
  • मित्रबिन्दा
  • सत्या
  • भद्रा
  • लक्ष्मणा
किस पत्नी के कितने पुत्र-
रुक्मिणी के पुत्र – प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।
जाम्बवती के पुत्र – साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।
सत्यभामा पुत्र – भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।
कालिंदी के पुत्र – श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।
मित्रविन्दा के पुत्र – वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।
लक्ष्मणा के पुत्र – प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।
सत्या के पुत्र – वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगुप्त, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंति।
भद्रा के पुत्र – संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।
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गांधारी का श्राप-
गांधारी का दिया श्राप पूरे 36 साल बाद पूरा हुआ। इस वक्त यदु वंश की आपसो लड़ाई हुई और सभी की मृत्यु भी हुई। इस वक्त 126 साल लंबा जीवन जीने के बाद कृष्ण स्वर्गीय निवास चले गए। ये भी माना जाता है उनके जाने के ठीक 7 दिन बाद द्वारिका डूब गई। कहा ये भी जाता है कि गांधारी अपने पति धृतराष्ट्र, विदुर और भाभी कुंती के साथ, तपस्या करने के लिए युद्ध के लगभग 15 साल बाद हस्तिनापुर छोड़कर चली गईं। बाद में हिमालय के पास जंगलों में आग में झुलस कर इन सबकी मृत्यु हो गई थी। 
कैसे हुआ कृष्ण वंश का नाश-
एक दिन अहंकार में कुछ यदुवंशी बालकों ने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। इस पर दुर्वासा ऋषि ने श्राप दे दिया कि कृष्ण के यादव वंश का नाश होगा और ये तय है। उनके श्राप का नतीजा था कि यदुवंशी पर्व के दिन एक खास क्षेत्र में आए और हर्ष में उन्होंने अति नशीली मदिरा पी ली। नशे में ही उनके बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और वो एक-दूसरे को मारने लगे। इस तरह से भगवान श्रीकृष्णचन्द्र को छोड़कर यादव वंश का एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा। 
पुत्र प्रद्युम्न था महान योद्धा-
कहा जाता है कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न बिलकुल रूप रंग में बिलकुल उनके जैसे ही थे। ये उन कुछ लोगों में से एक थे, जिन्हें चक्रव्यू रचने और उसे भेदने का गुण आता था। कहा ये भी जाता है कि कृष्ण के इन पुत्र जैसा योद्धा कभी हुआ ही नहीं और इनका जन्म ही युद्ध करने के लिए हुआ था। प्रद्युम्न ने ही दैत्य शंबरासुर का वाढ किया था। 
कामदेव का रूप-
प्रदयुम्न को कामदेव का रूप भी माना जाता है। कहा जाता है कि 10 दिन के प्रद्युम्न को शम्बरासुर उठा ले गया था और समुद्र में फेंक दिया था। फिर उन्हें एक मगरमच्छ ने खा लिया। ये मगरमच्छ जब मछुवारों के हाथ लगा तो उन्होंने इसे एक रसोइये को बेच दिया। जब उसका पेट काटा गया तो प्रद्युम्न जिंदा थे। मायावती नाम की एक सेविका ने इस बच्चे को अपना लिया। ये मायावती कोई और नहीं, हजारों साल से अपने पति कामदेव का इंतजार कर रही उनकी पत्नी रति थी। 
16000 पत्नियां भी थीं?-
वैसे तो भगवान कृष्ण के मुख्य 8 पत्नियां ही थीं लेकिन उनकी 16000 पत्नियों की कथा भी प्रचलित है। इसके पीछे एक कहानी कही जाती है। कहा जाता है कि राक्षस नरकासुर ने 16000 देशों की राजकुमारियों को बंदी बना लिया था। इंद्रदेव ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वो इस राक्षस का वध कर दें। उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन बंदी राजकुमारियां उस समय के सामाजिक नियमों के हिसाब से अब वापस नहीं जा सकती थीं और उन्हें कलंकित मन लिया गया था। ऐसे जीवन से उन राजकुमारियों को छुटकारा दिलाने के लिए कृष्ण ने उनसे शादी कर ली। सिर्फ शादी ही नहीं की उन्हें पत्नी का दर्जा देते हुए घर भी दिया।