पंचम वेद महाभारत के अनसुने रहस्य, जानें श्रीकृष्ण ने किसे दिया था 3000 साल जीने का श्राप?: Pancham Ved
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Pancham Ved: महाभारत में कुल एक लाख श्लोक है। इसलिए महाभारत को विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य माना गया है। महाभारत से जुड़े सभी किरदारों के बारे में तो आप जानते ही हैं। महाभारत महाकाव्य सनातन धर्म संस्कृति के मन और प्राण में बसा हुआ है। महाभारत हमारे देश की राष्ट्रीय गाथा है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महाभारत का हर एक पात्र जीवंत है। महाभारत को तो आप सब ने पढ़ाई होगा, लेकिन महाभारत के कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे। आज हम जानेंगे पंडित इंद्रमणि घनस्याल से आखिर ऐसे कौन से अनसुने रहस्य हैं जो महाभारत काल से जुड़े हैं।

18 अंक का रहस्य

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Pancham Ved Mahabharat

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि महाभारत में 18 अंक का विशेष महत्व है। महाभारत महाकाव्य में कुल 18 अध्याय है। महाभारत का युद्ध भी 18 दिन ही चला था। इसके अलावा महाभारत के युद्ध में 18 अक्षोहिनी सेना थी जिसमें कौरवों की कुल 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी। गीता में भी 18 अध्याय है और भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुल 18 दिन ही उपदेश दिया था। इसके साथ ही महाभारत के युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।

कौरवों के जन्म का रहस्य

Mahabharat Interesting Facts
Mystery of Kaurav

गांधारी और धृतराष्ट्र के पुत्र और पुत्री कौरव कहलाए क्योंकि ये कुरु वंश के थे। मान्यता है कि गांधारी ने वेदव्यास जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त किया था। लेकिन 2 साल तक गांधारी के कोई संतान नहीं होने के कारण क्रोधित होकर गांधारी ने अपने पेट पर मुक्के से प्रहार किया। जिसके कारण उसका गर्भ गिर गया तब वेदव्यास जी ने गांधारी से कहा कि मेरा दिया वरदान कभी खाली नहीं जाता। तुम जल्दी से सौ कुंड बनवाओ और उनमें घी भर दो। उसके बाद वेदव्यास जी ने गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिंड पर अभिमंत्रित जल छिड़का और गांधारी द्वारा बनवाए गए 100 कुंडों के अंदर सौ टुकड़े रख दिए। और कुंडों को 2 साल पश्चात खोलने का आदेश दिया। 2 वर्ष बाद जब गुंडों को खोला तो सबसे पहले दुर्योधन उत्पन्न हुआ उसके बाद दुर्योधन के अन्य भाई उत्पन्न हुए।और एक कन्या हुई जिसका नाम दु:शला था।

राशियां ज्योतिष का आधार नहीं थी

Mahabharat Facts
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पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महाभारत के समय राशियां नहीं होती थी। उस समय ज्योतिष 12 राशियों पर नहीं बल्कि 27 नक्षत्रों पर आधारित था। इसके बाद धीरे-धीरे सूर्य और चंद्रमा के आधार पर राशियां बनाई गई और भविष्यफल बताने की परम्परा शुरू हुई। लेकिन महाभारत काल में राशियों द्वारा भविष्य बताने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।

महाभारत का पात्र अश्वत्थामा आज भी है जीवित

मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था जिसके कारण कई लोग मारे गए। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने क्रोधित होकर अश्वत्थामा को 3000 वर्ष तक जीवित रहने का श्राप दिया। श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को कहा कि तुम्हारे रक्त से बहुत बुरी गंध आएगी और तुम निर्जन स्थान में घूमोगे। मान्यता है कि इसके बाद अश्वत्थामा रेगिस्तान में चला गया था तो कुछ लोग कहते हैं कि वह अरब की तरफ चला गया था।

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