Lessons from Mahabharat: आधुनिक युग की आपाधापी में हर व्यक्ति का जीवन तनाव से भरा हुआ है। इसलिए महाभारत को जानना जरूरी है। महाभारत को दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य कहा जाता है, जोकि हर युग में प्रासंगिक रही है। इससे धर्म, नीति, मर्यादा, विवेक और सदाचार संबंधित विषयों की शिक्षा मिलती है। इसलिए कहा जाता है कि महाभारत जैसा ज्ञान संसार में कहीं नहीं। अगर आप तनाव मुक्त जीवन चाहते हैं, लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं या सफलता पाना चाहते हैं तो आपको महाभारत से जुड़ी कुछ बातों को अपने जीवन में जरूर अपनाना चाहिए। इस ग्रंथ में जीवन से जुड़ी हर समस्या का समाधान है। यदि आप अपने जीवन में महाभारत के सूत्रों को उतार लेंगे तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाएगी। सफलता के ये सूत्र महाभारत के शांतिपर्व, वनपर्व और अनुशासन पर्व में बताए गए हैं। आइये जानते हैं महाभारत से जुड़ी ऐसी 5 बातों के बारे में जो तनाव मुक्ति, लक्ष्य प्राप्ति और सकारात्मक विचार के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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धैर्य रखकर अभ्यास करना

लक्ष्य प्राप्ति की होड़ में लोग धैर्य और अभ्यस का ध्यान नहीं रखते। जबकि यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है महाभारत के महत्वपूर्ण पात्र अर्जुन। अर्जुन महाभार में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। लेकिन वे एक दिन में सर्वश्रेष्ठ नहीं बने, बल्कि इसके लिए अर्जुन ने वर्षों अभ्यास की और अपना धैर्य बनाए रखा। तब जाकर ने सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाएं।
सकारात्मक विचार
आजकल लोगों के मन में कई चीजों को लेकर नकारात्मक विचार रहते हैं। भले ही आप जितना चाहते हों कि नेगेटिव थिंकिंग से दूर रहें, लेकिन ना चाहते हुए भी मन में तरह-तरह के नकारात्मक विचार घर बना लेते हैं। हालांकि किसी भी काम में सफलता के लिए यह बेहद जरूरी है कि आपका विचार सकारात्मक हो, तभी किसी चीज में सफलता मिलती है। सकारात्मक विचार ही आपकी सफलता का पहला कदम होता है। महाभारत युद्ध के समय भी अर्जुन ने जब विरोधी पक्ष में अपने परिवार को देखा तो प्रहार करने में हिचकिचाने लगे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें सकारात्मक रहने और कर्म के प्रति ईमानदारी पूर्वक कार्य करने की सलाह दी।
धर्म के अनुसार कर्म
धर्म के अनुसार कार्य न करने वालों की हार निश्चित है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है महाभारत। पांडवों ने कभी भी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा, इसलिए उन्हें श्रीकृष्ण का साथ और मार्गदर्शन मिला। इससे यह पता चलता है कि भगवान हमेशा उसका साथ देते हैं जो धर्म के अनुसार कार्य करते हैं। वहीं अधर्मी लोगों को न ही जीवन में शांति मिलती है और ना ही सफलता।
सहयोगियों को साथ लेकर चले

किसी भी काम में जीत या सफलता तभी संभव है, जब आपमें साथियों को एकसाथ लेकर चलने का गुण है। इसलिए टीम वर्क में काम करना जरूरी होता है। यही चीज महाभारत में भी देखी जाती है। पांडवों ने अपने योद्धाओं पर पूरा भरोसा किया। लेकिन दूसरी ओर दुर्योधन ने भीष्म और द्रोणाचार्य को कई बार अपमानित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि कौरव युद्ध हार गए।
अनुभवियों का लें मार्गदर्शन

जीवन में सफलता के लिए हमेशा गुरु, शिक्षक, बड़े-बुजुर्ग और अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन लेना चाहिए। महाभारत का युद्ध होने से पहले अर्जुन के मन में भी कई तरह के संशय थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश देकर सही मार्ग दिखाया, जिससे पांडवों की जीत हुई। इसलिए कहा जाता है कि सफल होने के लिए अनुभवियों का मार्गदर्शन लेने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
