महामृत्युंजय मंत्र एक श्लोक है जिसका वर्णन हमें ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद में इस मंत्र को काफी शक्तिशाली बताया गया है। ऋग्वेद के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से मृत्यु से बचा जा सकता है और मृत्यु टाल जाता है। इस मंत्र के जरिए हम भगवान शिव जी से एक सेहतमंद जीवन की कामना करते हैं।
भगवान शिव के ‘महामृत्युंजय मंत्र’ सर्वदोष नाशक मंत्र है। यह मंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है। बीमारी हो या दुर्घटना आदि से मृत्यु का भय यह मंत्र सब दूर करता है। इसका जाप शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को भी दूर करता है। इस शिव मंत्र जाप से शरीर रक्षा के साथ बुद्धि, विद्या, यश और लक्ष्मी भी बढ़ती है।
वैसे तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप कभी भी कर सकते है, परन्तु सोमवार भगवान शिव का दिन होता है और यह अत्यंत शुभ होता है। ज्योतिषी असाध्य रोगों, मृत्युपरक कष्टों और अचानक आने वाली विपदाओं से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना ही सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। प्रियजनों के वियोग, भाई बंधुओ से विद्रोह, कलंक, धनाभाव, कोर्ट-कचहरी के मुक़दमे आदि कष्टों में यह मंत्र बहुत ही कारगर है। विवाह मेल में लड़के और लड़की के नाडी दोष, भकूट दोष और मांगलिक दोष निवारण में भी यह उपयोगी है।
श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायक है। महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। अधिकतर लोग इसे आपदा, बीमारी में रक्षा और मरणासन्न व्यक्ति की जान बचाने के लिए प्रयोग में लाता है। लेकिन सावन मास में हर तरह की उपासना के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।
जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. जो भी मंत्र जपना हो उसका जप उच्चारण की शुद्धता से करें।
2. एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं।
3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।
4. जप काल में धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।
6. माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।
7. जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है।
8. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।
9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।
10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।
11. जिस स्थान पर जपादि का शुभारंभ हो, वहीं पर आगामी दिनों में भी जप करना चाहिए।
12. जपकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर न भटकाएं।
13. जपकाल में आलस्य व उबासी को न आने दें।
14. मिथ्या बातें न करें।
15. जपकाल में मांसाहार त्याग दें।
इन स्थितियों में करे महामृत्युंजय मंत्र का जाप
अगर आपको धन में हानि हो रही है तो आप इस मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से धन में हानि नहीं होती है।
किसी प्रकार का रोग होने पर अगर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा तो रोग एकदम सही हो जाता है और रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
इस मंत्र का जाप करने से संतान की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। इसलिए जिन लोगों को संतान नहीं है वे लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुरू कर दें।
जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी आने पर अगर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो परेशानी से निजात मिल जाती है।
घर में कलेश होने पर आप इस मंत्र का जाप करना शुरू कर दें। इस मंत्र का जाप करने से घर का कलेश तुरंत खत्म हो जाता है और घर में शांति बनी रहती है।
बुरा सपना आने पर अगर इस मंत्र का जाप किया जाए हैं तो बुरे सपने आना बंद हो जाता है।
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