Hindi Poem: जगमग दीवाली आई है
घर आंगन मुहल्ला देश को
माटी के दिये से ही सजाना
माटी का सम्मान करना
सुनो!दिये मिट्टी के ही लाना॥
देखो तुम्हारे खातिर कितना
मेहनत वह कर रहा
लेकर कुम्हार के दीपक
उसके हुनर को बचाना
सुनो!दिये मिट्टी के ही लाना॥
अबकी बार महरी को
पगार से कुछ ज्यादा
नये कपड़े मिठाइयाँ दे आना
दहलीज़ पर उसके खुशियाँ के
दीपदान कर आना
सुनो !दिये मिट्टी के ही लाना.॥
बेहिसाब खर्च से लगाम लगाकर
किसी के रूके काम काज को
गति तुम दे देना
मानवता का विश्वास तुम बनना
सुनो !दिये मिट्टी के ही लाना॥
अमावस की तमस को
उम्मीदों की रोशनी से भगाना
किसी निराश मन को आश की
रोशनी से सजाना
सुनो!दिये मिट्टी के ही लाना॥
एक -दूजे के दिल पर
ईश्वर के आभास को
महसूस तुम करना
गरीब बेसहारा के संबल का
आधार तुम बनना
सुनो!दिये मिट्टी के ही लाना॥
भगवान रामसीता के अयोध्या
वापसी के महोत्सव को
प्रेम के दीपक से सजाकर
एक दूसरे को गले तुम लगाना
सुनो!दिये मिट्टी के ही लाना॥
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