Eco Friendly Diwali: दिवाली के इस त्योहार को धूम-धाम से मनाने व धन और धान्य की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के नाम पर हजारों रुपये फूंक दिए जाते हैं। जरा सोचिये क्या बेइंतिहा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को जलाना, एक दिन की सजावट के लिये बेकार की चीजों को खरीदना, बाजार की मिलावटी मिठाईयों को खरीद कर खाना व बेकार की चीजों की खरीददारी करना ही दिवाली सेलिब्रेट करना है? क्या इन सबके बिना दीपोत्सव व भाईचारे का यह त्योहार नहीं मनाया जा सकता है? बिल्कुल मनाया जा सकता है। बस इसके लिये जरूरत है कुछ समझदारी दिखाने की। तो इस बार हमारे द्वारा बताई गई कुछ बातों को अपनाइए और अपनों के संग मिलकर मनाइए ईको फ्रेंडली दिवाली। वो कैसे आईये जाने-
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मिट्टी के दीये जलाएं

दिवाली दीपों का त्योहार है पर आज दिवाली में दीपों का स्थान नाम के लिए रह गया है। रंगीन डिजाइनर लाइट्ïस इनकी जगह ले चुकी हैं। जो देखने में सुंदर तो लगती हैं पर कहीं न कहीं हमारे पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। इस बार दिवाली पर घर-बाहर रोशनी करने के लिये पारंपरिक तरीके अपनाते हुए मिट्टी के दिये जलायें। ऐसा करने से कई फायदे होंगे एक तो बिजली बर्बाद नहीं होगी और दूसरा दीयों की रोशनी में आपका घर बेहद खूबसूरत भी लगेगा। जिससे आस-पास की नेगेटिव एनर्जी समाप्त होने के साथ-साथ वातावरण भी शुद्ध होगा। मिट्टी के दिये का आप दुबारा भी इस्तेमाल कर सकते हैं इसके अलावा इसकी खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए अर्थ फ्रेंडली मटेरियल यानी की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है।
बहुत ही कम तेल में जलने वाले यह दीये चार से पांच घंटो तक बिना बुझे आपके घर को रोशनी से जगमाए रखेंगे। मिट्टी के दीये जलाकर आप अपनी परंपरा को ही जिंदा नहीं रखेंगे बल्कि लक्ष्मी को खुश करने के नाम पर बिजली के अति उपयोग ना करके आप इस दिवाली को ग्रीन दिवाली बनाने की तरफ अपने कदम भी बढ़ायेंगे।
आर्गेनिक गिफ्ट्स दें

दिवाली मिठाइयों और उपहारों के बिना अधूरी है। तो क्यों ना इस दिवाली हम आर्गेनिक गिफ्ट्स खरीद कर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दें। आर्गेनिक गिफ्ट्स में उदाहरण के तौर पर आप एक्ज़ोटिक आर्गेनिक सोप्स, क्रीम, विशेष चाय-कॉफी, मसाले, प्लांट्स या फूलों के बीज इत्यादि खरीद सकते हैं। यकीन मानिए आपके दोस्तो-रिश्तेदारों को ऐसे गिफ्ट्स की उम्मीद नहीं होगी लेकिन जब वे मिठाईयां व अन्य गिफ्ट्स की जगह आर्गेनिक गिफ्ट्स अपने लिये देखेंगे तो बहुत खुश होंगे। साथ ही आप ऐसे गिफ्ट्स देकर गो ग्रीन का संदेश भी प्रसारित कर सकेंगे।
ईको फ्रेंडली पटाखे जलाएं

दिवाली का त्योहार हो और आतिशबाजी का प्रयोग न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। पटाखें तो जैसे दिवाली की पहचान हैं। पर यही पटाखें हमारे पर्यावरण और स्वास्थ को हानि पहुंचाते हैं। इस बार सेहत और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पटाखे खरीदने की बजाय ईको फ्रेंडली पटाखे खरीदकर दिवाली का जश्न मनायें। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आजकल बाजार में कई जगहों पर ईको-फ्रेंडली पटाखे बेचे जाने लगे हैं। इन ईको फ्रेंडली पटाखों की खासियत होती है कि यह रिसाईकिल्ड पेपर से बने होते हैं और फूटने पर आवाज उतनी होती है जितनी की पोलयूशन बोर्ड ने आवाज की डेसीबल लीमिट तय की हुई हैं। इसके अलावा इन पटाखों के फटने पर बहुत सारे रंगीन कागज और रंगीन लाइटस निकलती हैं। यह पटाखे हर लिहाज से सेहत और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं।
प्राकृतिक चीजों से बनाएं रंगोली

अपनी दिवाली को ईको फ्रेंडली बनाने के लिए इस बार रंगोली के लिए फूलों का इस्तेमाल करें। रंगोली बनाने का अर्थ है कि आप पक्षियों के साथ-साथ अपना जीवन और भोजन बांट रहे हैं, इसलिए रंगोली बनाने के लिए बाजार में मिलने वाले आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल करने की बजाये फूलों, चावल, आटे, हल्दी पाउडर, कॉफी और कुमकुम पाउडर आदि का इस्तेमाल करके मनचाही रंगोली बनायें। इसके अलावा गुलाब, गेंदे, चम्पा, चमेली आदि के फूलों के साथ-साथ केले के पत्ते आदि का इस्तेमाल भी रंगोली बनाने के लिए कर सकते हैं। इससे बनने वाली रंगोली दिखने में सुंदर लगने के साथ-साथ एनवायरमेंट फ्रेंडली भी होती है। त्योहार के बाद जब आप इसे उठाकर बाहर रखेंगे, तो इससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होगी वरन इससे चिटियों और चिड़ियों आदि का पेट भरेगा।
ईको फ्रेंडली सजावट करें
दिवाली पर बाजार व मॉल में घर सजाने के सामानों पर लगी सेल को देखकर हम खुद को खरीददारी करने से रोक नहीं पाते हैं। उस समय हम यह भी नहीं सोचते हैं कि जो घर की साज-सज्जा के लिये जिस मटीरियल का सामान हम खरीद रहे हैं वो सामान रिसाईकल होगा भी या नहीं। इन सभी बातों पर हमारा ध्यान बिल्कुल नहीं होता है। यदि आपने इस दिवाली गो ग्रीन का किया वादा निभाना है तो सजावट की चीजें खरीदते हुए इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कोई भी चीज ऐसी ना हो जो रिसाईकल ना हो सके। क्योंकि दिवाली खत्म हो जाने के बाद प्लास्टिक की कंदील व झालर इत्यादि फेंक दी जाती है और प्लास्टिक से बनी ये सभी चीजें रिसाईकल नहीं हो सकती हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है।
करें पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग
दिवाली के अवसर पर जहां तक हो सके अपने आस-पास से ही खरीदारी करें, इससे आपकी गाड़ी का पेट्रोल डीजल बचने के साथ-साथ आपके समय की बचत भी होगी। अक्सर त्योहारों के मौके पर ट्रैफिक जाम होता है, जिसकी वजह से बहुत सारा समय और प्राकृतिक ईंधन खर्च होता है और वातावरण प्रदूषित होता है।
त्योहारों के मौके पर जहां तक हो सके पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। सभी रिश्तेदारों के घर जाने की बजाय ऐसी व्यवस्था करें कि आपके सभी मित्र और संबंधी किसी एक जगह पर एकत्रित हो जायें जहां पर आप एक दूसरे के साथ मिलकर त्योहार सेलिबे्रट करने के साथ-साथ एक दूसरे से उपहारों का आदान-प्रदान भी कर सकें।
गिफ्ट पैकिंग में प्लास्टिक पोलीथीन रंगीन पेपर का प्रयोग न करें

पैकिंग के लिए बहुत सारे डिब्बे और पेपर्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे बनाने में बहुत सारे पेड़ कटते हैं, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इससे बचने के लिए आप अपने रिश्तेदारों और मित्रों को गिफ्ट देने के लिए ऌपुराने डिब्बों का इस्तेमाल करें और खरीदारी के लिए जाते समय अपने साथ में थैला लेकर जायें प्लास्टिक के बैग नहीं।
अपने प्रियजनों को दिये जाने वाले उपहारों की पैकिंग करते समय रंगबिरंगे ग्लॉसी प्लास्टिक का इस्तेमाल करने की बजाये उसे जूट बैग या कपड़े के थैले में रखकर दें। करें। क्योंकि प्लास्टिक पेपर के निर्माण में प्लास्टिक के साथ-साथ मैटल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे रिसाइकिल करना मुश्किल होता है। इसका इस्तेमाल करके आप अपने वातावरण को ईको फ्रेंडली बना सकते हैं।
ईको फ्रेन्डली गिफ्ट्स उपहार
हैंडमेड आइटम
दिवाली के अवसर पर एक दूसरे को उपहार देने का चलन है। आपको अपने संबंधियों को उपहार देना ही है, तो फिर हस्तनिर्मित उपहारों का चयन करें। आपको बाजार में ऐसे बहुत सारे उपहार मिल जायेंगे, जो हाथ से बने हुए हों मसलन जूट और कपड़े से बने खूबसूरत हैंड बैग और पर्स, कॉटन कुर्ते या हथकरघे की साड़ी या फिर हैंडमेड ज्यूलरी। उपहार का चयन आप जिसे उपहार दे रहे हैं उसकी पर्सनैलिटी के आधार पर कर सकते हैं।
पौधे
त्योहार को ईको फ्रेंडली तरीके से मनाने के लिए अपने घर को डेकोरेट करते समय उसमें हरे रंग की चीजों का समावेश करें तथा अपने निकट संबंधियों को उपहार में ग्रीन प्लांट्ïस दें तथा उन्हें भी प्रेरित करें कि वो भी अपने क्लोज लोगों को उपहार में ग्रीन प्लांट्स दें।
इस दिवाली पटाखों को करें ना
पटाखों से बहुत ज्यादा ध्वनि प्रदूषण फैलता है और इनसे डेसिबल स्तर उच्च हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप बेचैनी, उत्तेजित व्यवहार, गुस्सा, व्याकुलता और किसी भी स्थिति में अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होने जैसे लक्षण उभरते हैं। ज्यादातर पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है जिस कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी स्थिति आ जाती है। बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सांस की समस्याओं से पीड़ित ज्यादातर लोगों की दिक्कतें अत्यधिक ध्वनि के कारण बढ़ जाती हैं।
स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ने के अलावा पटाखों से परोक्ष रूप से गंभीर दुष्परिणाम भी देखे गए हैं। पटाखे सावधानी से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है। गलत तरीके से आतिशबाजी करने के कारण बहुत लोग बुरी तरह जलकर जख्मी हो चुके हैं और कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं।
पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं। वातावरण में नुकसानदेह रसायनों के फैलने से बालों के रोमकूप कमजोर पड़ जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप बाल टूटने लगते हैं और बालों की प्राकृतिक संरचना भी बिगड़ती है। पटाखों के कारण आंखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और नेत्रहीनता की स्थिति पैदा करती है।
लिहाजा हमें दिवाली की सच्ची भावना के साथ यह पर्व मनाना चाहिए और इस त्योहार को रोशनी और शांति का त्योहार ही बने रहने देना चाहिए। इस त्योहार का जश्न मित्रों और परिवार के बीच ही मनाना चाहिए। इस दिवाली में हमें प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि नुकसानदायक पटाखों को ना कहें और सुरक्षित एवं प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाने को हां कहें।
