Sanghrsh ki Kasauti
Sanghrsh ki Kasauti

Hindi Story: ” बारिश का इंतजार है बस इस सावन में अगर बारिश अच्छी हो जाती है तो फसल अच्छी हो जाएगी जिससे कृषि मंडी में फसल की मूल्य ज्यादा हो जाएगी जो रुपए मिलेंगे उससे हम अपने घर के निर्माण का कार्य शुरू कर सकते हैं यह घर बहुत पुराना हो गया है और कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है जिससे कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है हमें इससे पहले ही काम शुरू कराना होगा ” अपने छोटे भाई मनोहर को यह सब बातें घर के बाहर नीम के पेड़ के नीचे बैठा हुआ राम कह रहा था। मनोहर कहता है – ” भाई इन बारिश की बूंदों का महत्व हम किसानों की जिंदगी में कितना ज्यादा होता है हम किसान ज़मीन और मौसम के इंतजार में कितनी रातें जागते हुए बिताते हैं हम किसानों की जिंदगी में हमेशा अपने जीवन के संघर्षों का सामना करना होता है यह हमारे ” जीवन की परीक्षा ” है। जिसमें हमारे पास सिर्फ सफल होने के स्थान पर कुछ और नहीं है हम किसान जिन्हें ” अन्नदाता ” कहते हैं उनका जीवन ” संघर्ष की कसौटी ” पर चलना ही होता है। राम कहता है – ” अगर हम मेहनत नहीं करेंगे तो यह सारा संसार भूखा ही मर जाएगा हम स्वयं भूखे रहकर संसार का पेट भरते हैं और यह ज़मीन हमारी कर्मभूमि है जहां हम हीरे – मोती उगाते हैं। सावन का महत्व हम किसानों से अच्छा कौन समझ सकता है। थोड़ी देर बाद दोनों घर के अंदर चले जाते हैं उनकी मांँ ने भोजन बनाकर उन्हें थाली में परोस दिया। दोनों ने भोजन को प्रणाम करके उसे ग्रहण किया। 

अगले दिन दोनों भाई कृषि मंडी की तरफ चल देते हैं रास्ते में दोनों चारों तरफ बंजर खेतों को देख रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे कि अब अच्छी बारिश सिर्फ एक इच्छा नहीं है आवश्यकता बन गई है। कृषि मंडी पहुंचने पर दोनों ने देखा कि किसानों की कृषि मंडी परिसर में पहले से ही भीड़ जमा हो गई थी। मनोहर ने एक किसान से पूछा – ” भाईसाहब यह भीड़ क्यों है ? किसान ने जवाब में कहा -” भाईसाहब हम सब यहां पर नए बीज लेने आए हैं मगर इन अधिकारियों का कहना है नए बीज आए नहीं हैं पता नहीं क्या होगा इस वर्ष की खेती का “। दोनों भाई कुछ देर बाद वापिस अपने घर की ओर चल देते हैं रास्ते में बादलों का साया पूरे आसमान पर छाने लगा था यह देखकर दोनों भाई खुश होने लगते हैं। घर पहुंचते ही बारिश की बूंदों ने बंजर ज़मीन को स्पर्श करना शुरू कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप वातावण में भीनी – भीनी खुशबू चारों और फैलने लगी थी। इस खुशहाली में एक डर ने अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया। नए बीजों की अनुपस्थिति का डर। ” जीवन की परीक्षा ” में ” संघर्ष की कसौटी ” पर चलना ही पड़ता है। मांँ ने कहा – ” पुराने बीजों को ढूंढना शुरू कर दो और उनका उपयोग करो “। मांँ का कहना मानकर राम और मनोहर ने पुराने बीजों को निकालना शुरू कर दिया। 

अगले दिन दोनों भाई अपने खेतों को देखने के लिए चल देते हैं। इन दोनों के साथ में गांँव के कुछ लोग भी अपने – अपने खेतों की ओर चल देते हैं। अपने खेतों पर पहुंचने पर सभी के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है तभी गांँव का एक व्यक्ति आकर कहता है – ” सुनो मंत्री जी गांँव में आए हैं चलो हम सब उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में बताते हैं जिससे हम सभी को परेशानियों से मुक्ति मिल सके “। सभी एक साथ गांँव की तरफ भागने लगते हैं। इन किसानों का भागना कुछ ऐसा लग रहा था जैसे यह उनके ” जीवन की परीक्षा है ” जिसमें उन्हें सफल होना है यह उनके ” संघर्ष की कसौटी ” है जिस पर उनको विजय होना है। गांँव पहुंचकर सभी गांँव के निवासी चौपाल पर एकत्रित हो जाते हैं और मंत्री जी से कहते हैं – ” मंत्री जी आप तो सरकार में हैं हम गरीब किसानों की विनती सुन लीजिए। इस बार ईश्वर ने अच्छी बारिश करके हम पर अपनी कृपा की है अब आप सरकारी बीज केंद्र से हम सभी गरीब किसानों को नए बीज देकर हम पर अपनी कृपा कीजिए हमारे इस पूरे गांँव के मतदाताओं ने आपके पक्ष में मतदान किया था। आपने वादा किया था कि आप हमारी सहायता करेंगे “। मंत्री जी ने यह सब सुनकर अपने साथ में खड़े अधिकारी से कहा – ” आप ध्यान दीजिए इन सभी की बातों पर ” और फिर नमस्कार करके अपने वाहन में बैठकर अपने काफिला के साथ में चल दिए। 

मंत्री जी को जाते हुए देखकर सभी किसानों के चेहरों पर उदासी छाने लगी। सभी उदास होकर कुछ पलों के बाद वहां से चले जाते हैं। शाम को चौपाल पर गाँव के सभी सदस्यों को एकत्रित करके मनोहर कहता है – ” जब चुनावों के समय हमारा सहयोग चाहिए था तब बहुत सारे वादे किए थे मगर अब सहयोग के स्थान पर सिर्फ भरोसा दे रहे हैं हम सभी की गलतियों का ही परिणाम है कि हम सब आज इस अवस्था में हैं “। मनोहर की इन बातों पर गांँव के सभी सदस्यों ने अपनी सहमति देना शुरू कर दिया। राम ने कहा – ” यह सच है कि हम लोगों ने विश्वास करके गलत किया है मगर हमारे पास और कोई रास्ता भी नहीं था इनके स्थान पर कोई और होता वह भी यही व्यवहार करता फिर हम क्या करते , यह हमारे ” जीवन की परीक्षा ” है और हम सभी को सोचना होगा कि हमें क्या करना है ” संघर्ष की कसौटी ” पर विजय प्राप्त करनी है या फिर कमजोरों की तरह रोना है “। पूरे गांँव में ख़ामोशी छाने लगी और फिर गांँव के सभी सदस्य अपने घर चले जाते हैं। सभी के जाने के बाद राम और मनोहर भी वहां से चले जाते हैं। पूरे गाँव में शांति थी मगर सभी के मन में सिर्फ एक ही सवाल था कि – ” अब आगे क्या करना है ?

अगले दिन की सुबह हो चुकी थी गाँव में यह सुबह रोजमर्रा की तरह ही थी कोई नया बदलाव नहीं दिख रहा था। कुछ देर बाद राम और मनोहर दोनों अपने घर से बाहर निकलकर आते हैं गाँव के सभी सदस्य उनके घर के बाहर खड़े हुए थे। मनोहर उन सभी से पूछता है – ” क्या हुआ आप सभी एक साथ यहाँ कुछ खास काम है ? गाँव के मुखिया कहते हैं – ” मनोहर बेटा हम सभी गाँव के सदस्यों ने यह निश्चय किया है कि आज चौपाल में यह निर्णय लेना है कि हमारे गाँव में अब मतदान करके एक नया मुखिया बनाना चाहिए। जिसके हाथों में इस गाँव की ज़िम्मेदारी दी जाए जिससे गाँव का भविष्य सुरक्षित हो जाए “। चौपाल में मतदान के बाद राम को गाँव का नया मुखिया बना दिया गया। राम ने कहा – ” हमारे गाँव के सभी सदस्यों ने अपने ” जीवन की परीक्षा ” देकर अन्नदाता की भूमिका निभाई है अब हम सभी को ” संघर्ष की कसौटी ” पर विजय पाना है। इसलिए हमें किसान संगठन का गठन करना चाहिए। गाँव के सभी सदस्यों ने अपनी – अपनी सहमति देकर इस संगठन का सदस्य बनने के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया। किसान संगठन ने राम को अपना अध्यक्ष बनाया। अगले हफ्ते राम मंत्री जी से मिलने गया और किसान संगठन के अध्यक्ष के रूप में किसानों की आवश्यकताओं को लेकर आवेदन दिया। मंत्री जी ने गंभीरता के साथ में उस आवेदन को पढ़ा और राम से कहा – ” हम आज ही किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिकारियों की बैठक करते हैं “।

अगले दिन एक सरकारी कागज आता है जिसमें किसानों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार का फैसला होता है । कृषि मंडी में यह व्यवस्था की गई है। कृषि मंडी से नए बीजों को लेकर किसानों ने नई फसल तैयार करना शुरू कर दिया और अच्छी फसल को कृषि मंडी में जाकर बेचा जिससे उन्हें ज्यादा रुपए प्राप्त हुए। गाँव की चौपाल पर एक बैठक होती है जिसमें सभी सदस्यों ने अपने अनुभव साझा किए। राम की किसान संगठन की योजना ने सभी किसानों को ताकत देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया था। राम ने कहा – ” यह हम किसानों की ताकत है हम सभी ने एकजुट होकर अपने ” जीवन की परीक्षा ” देकर यह साबित कर दिया है कि जो व्यक्ति ” संघर्ष की कसौटी ” पर विजय प्राप्त करता है वही वास्तविकता में आत्मनिर्भर है “। गाँव के इस किसान संगठन ने दूसरे गाँव के सदस्यों को भी प्रेरित किया और फिर यह संगठन आगे बढ़ने लगा। गाँव के एक बुजुर्ग कहते हैं – ” किसानों के जीवन में बहुत सारी परेशानियों का आगमन होता है मगर वह हमेशा कर्म करते हैं। किसानों का जीवन तो स्वयं में ” जीवन की परीक्षा ” होता है कभी मौसम का इंतजार तो कभी सरकारी अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगाना। किसानों का जीवन ” संघर्ष की कसौटी ” पर विजय पाने के लिए हमेशा ही तत्पर रहता है “।