ग्रंथों से जीवन की सीख-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी: Prachin Granth Story
Grantho se Jivan ki Sikh

Prachin Granth Story: फिरोजाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म पर बनी बेंच पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति रेलगाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे।

जिस  ट्रेन से  उन्हें अपने गन्तव्य की ओर जाना था वह लेट होने की वजह से वह बेंच पर बैठे श्रीरामचरितमानस का अध्ययन करने लगे।

तभी बेंच पर खाली पड़ी जगह पर एक नवदंपति का जोड़ा आकर बैठ गया।

और बातों ही बातों में वृद्ध से पूछ बैठा ,दादा आप इतने प्राचीन ग्रंथ क्यों पढ़ते हैं  ? ये  तो जिस समय लिखे गए,उस काल और परिस्थिति में लिखे गए होंगे, इन्हें पढ़कर आपका क्या भला होगा? आपको कुछ नया जानना है, तो विज्ञान, तकनीक आदि की नई पुस्तकें पढनी चाहिए। प्राचीन ग्रंथों को पढ़ने से आपको क्या सीखने को मिलेगा? 

युवक की बात सुनकर वृद्ध मुस्कुरा दिए ।

इतनी देर में रेलगाड़ी आ गई।

नवदंपति उसी रेलगाड़ी के अगले द्वार की और वृद्ध पिछले द्वार की ओर बढ़ गये।

रेलगाड़ी चल दी।

वृद्ध सज्जन  जल्दी से रेलगाड़ी में चढ़े तो देखा वह नवयुवक चिल्ला रहा था।

युवक तो रेलगाड़ी में चढ गया था परन्तु उसकी पत्नी नीचे ही रह गई थी।

वृद्ध युवक के पास जाकर बोले,बेटा तुमने विज्ञान ंऔर तकनीक  की किताबें पढ़ी, अच्छा किया लेकिन रामचरितमानस भी पढ़ी होती तो ऐसा नहीं होता। उसमें लिखा है, राम सखा तब नाव मंगाईं, प्रिया चढ़ाईं चढ़े रघुराई। अर्थात जब श्रीराम जी नाव पर चढ़ते हैं वे पहले सीताजी को नाव पर चढ़ाते हैं, उसके बाद स्वयं चढ़ते हैं। तुमने यदि पहले पत्नी को ट्रेन में चढ़ाया होता तो तुम्हारे साथ यह घटना नहीं होती|