में रख रहा था। इसे देखकर दिनेश के जीभ से पानी टपक पड़ता था। इसे देखते-देखते साला मंटू से बात करते हुए मंडप की तरफ़ बढ़ रहा था। एकाएक दुल्हन की तरफ़ उसका ध्यान गया। वह शंभू से बोला, “अबे दिनेश! यह काली लड़की वही सपना है?”
शंभू बोला, “हाँ, बिलकुल सही बोल रहे हो। आज सपना की ही तो शादी है। सरिता की चचेरी बहन है।“
दिनेश अब अहंकार के भाव में बोलता है, “इस लड़की को दूल्हा कहाँ से मिल गया? देखो, सूरत भी नहीं है। कितनी नाटी है। कितनी कुरूप है। कितनी काली है। मुझे इसके दूल्हा को देखने की तीव्र इच्छा है। आज की रात देखूँगा कि कैसा है सपना का दूल्हा।“
इस पर शंभू बोलता है, “बिलकुल सही बोल रहे हो? मैं भी दूल्हा की शक्लो सूरत को देखने के लिए उत्सुक हूँ।“
इतना बोलकर दोनों मंडप के पास कुर्सी पर बैठ गये। कई लड़कियों ने चारों एतराफ़ से शंभू और दिनेश को घेर लिया व जीजा जी और उसके दोस्त से मज़ाक करने लगीं। अब तक कई बुज़ुर्ग लोग भी मंडप के पास आकर बैठ चुके थे। कुछ महिलाएँ मंडप के पास बैठकर विवाह के पारंपरिक लोकगीत गाने लगीं। कैमरामैन भी अब शादी की विडियो बना रहे थे। पंडित जी, जिसकी उम्र 50 साल के क़रीब होगी, आवाज़ लगायी कि मंडप में लड़की को बुलाने की कृपा करें।
अब लड़की सहेलियों के साथ दबे पाँव मंडप में प्रवेश कर रही थी। जब वह मंडप में पंडित जी के सामने बैठ गयी तो पंडित जी ने फिर से आग्रह किया कि अब विवाह के रीति-रिवाज शुरू होंगे। लड़का को जल्दी तैयार करने का कष्ट करें। इस पर तीन हट्ठे कट्ठे लड़कों ने दो लड़कियों के साथ दिनेश को खींचकर बाहर लाया और जल्दी-जल्दी उसको धोती-कुर्ता पहनाने लगे।
एक लड़की उसे अलता और मेहँदी लगाने लगी। वह समझ नहीं पा रहा था कि ये सब क्या हो रहे हैं। तीनों लड़कों ने मंडप पर दुल्हन के पास उसे लाकर बैठा दिया। यह देखकर दिनेश के शरीर से पसीना छूटने लगता है। वह हकलाकर बोलता है, “यह कैसा मज़ाक है? यह क्या हो रहा है?”
तीनों लड़के तल्ख भरे स्वर में बोलते हैं, “अभी तेरा विवाह होने जा रहा है। शांत होकर बैठो, उसी में तेरा भला है।“
दिनेश झट से उठ खड़ा होता है और चिल्लाने लगता है, “शंभू चूतिया, दोगला साला, तूने कहाँ मुझे फंसा दिया है? कहाँ भाग गया भौंसरी के, रे चूतिया साला? मैं तो इस लड़की से हरगिज़ शादी नहीं करूँगा। मर भी जाऊँगा तो पकड़उवा बियाह (kidnap marriage) स्वीकार नहीं करूँगा।“
इतना बोलकर वह मंडप से तिलमिलाकर भागने लगता है। इस पर तीनों लड़के उसको दबोच लेते हैं और दोबारा मंडप में लड़की के पास बैठा देते हैं। वह फिर ज़बरदस्ती उठकर खड़ा हो जाता है और पूरी ताक़त से प्रतिरोध करने लगता है। इस पर एक लड़का उसके कान पर जोड़ से तीन चार चमाटे जड़ देते हैं। इसके बाद तो उसके होश ठिकाने आ जाते हैं और नशे एक झटके में उतर जाते हैं। वह बड़बड़ाने लगता है कि कृपया मुझे छोड़ दीजिये, मैं किसी भी हालात में इस लड़की को सिंदूर नहीं दूँगा।
दूसरा लड़का जेब से देशी पिस्तौल निकालकर दिनेश के कान में सटा देता है। और बोलता है कि चुपचाप शांत मिजाज़ से लड़की को सिंदूरदान नहीं करोगे तो सारी गोलियाँ खोपड़ी के आरपार दूँगा और उसके बाद लाश को गंडक में फेंक दूँगा। तेरे घर के कोई भी लोग जान तक नहीं पायेंगे। किसी को तेरी मौत की भनक तक नहीं लगेगी।
इसे सुनकर दिनेश खोफ़ से थरथराने लगता है और काँपते हुए हाथ से सपना के माँघ में सिंदूर घस देता है।