में रख रहा था। इसे देखकर दिनेश के जीभ से पानी टपक पड़ता था। इसे देखते-देखते साला मंटू से बात करते हुए मंडप की तरफ़ बढ़ रहा था। एकाएक दुल्हन की तरफ़ उसका ध्यान गया। वह शंभू से बोला, “अबे दिनेश! यह काली लड़की वही सपना है?” शंभू बोला, “हाँ, बिलकुल सही बोल रहे हो। […]
Tag: Grehlakshmi Kahani
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पकड़उवा बियाह
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दुनिया को बदल दो
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खालीपन – गृहलक्ष्मी कविता
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अरमानों की आहुति
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बॉबी ….गुम हुई
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