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पकड़उवा बियाह : भाग- 2

में रख रहा था। इसे देखकर दिनेश के जीभ से पानी टपक पड़ता था। इसे देखते-देखते साला मंटू से बात करते हुए मंडप की तरफ़ बढ़ रहा था। एकाएक दुल्हन की तरफ़ उसका ध्यान गया। वह शंभू से बोला, “अबे दिनेश! यह काली लड़की वही सपना है?” शंभू बोला, “हाँ, बिलकुल सही बोल रहे हो। […]

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पकड़उवा बियाह

Hindi kahani : मई महीने की चिलचिलाती धूप में दिनेश बैजनाथपुर रेलवे स्टेशन से अपनी पुरानी जंग लगी हुई साइकिल पर बैठकर कुछ सोचते हुए घर की तरफ़ जा रहा था। धूप से बचने के लिए सिर पर गमछी से पगड़ी बनाकर ढँक लिया, जिसका पिछला हिस्सा मंद हवा के झोंके में धीमी गति से […]

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