यह घटना उस समय की है, जब युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडव हस्तिनापुर लौटे। गांधारी और धृतराष्ट्र अपने सौ पुत्रों को खोकर शोकमग्न थे। जब पांडव उनसे मिलने आए तो गांधारी क्रोध से भर उठी। वह उन्हें शाप देने का विचार कर रही थी कि महर्षि व्यास वहां आ पहुंचे। उन्होंने गांधारी […]
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स्त्रियों को शाप – महाभारत
अश्वत्थामा के जाने के बाद पांडवों ने अपने मृत बंधु-बांधवों का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद युद्ध में मारे गए स्वजन का तर्पण करने के लिए कुंती, पांडव, धृतराष्ट्र, गांधारी, सुभद्रा, द्रौपदी, उत्तरा और भगवान श्रीकृष्ण गंगा नदी के तट पर आए और उन्हें जलांजलि देने लगेे। जब कुंती ने कर्ण के नाम की जलांजलि […]
अभय-दान – महाभारत
अश्वत्थामा को पशु की भांति बांधकर द्रौपदी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। भयंकर पाप के कारण उसका मुख नीचे की ओर झुका हुआ था। अपने कुल का नाश करने वाले द्रोण-पुत्र अश्वत्थामा को देखकर द्रौपदी का मन करुणा से भर आया। उसने अश्वत्थामा को प्रणाम किया और अर्जुन से बोली-“नाथ ! इन्हें बंधन-मुक्त कर दीजिए। […]
अश्वत्थामा का मान-मर्दन – महाभारत
अगले दिन प्रातः पांडवों को रात की घटना के बारे में पता चला तो वे शोकमग्न हो गए। द्रौपदी अत्यंत दुःखी होकर विलाप करने लगी। उसे रोते देख अर्जुन बोले-“धैर्य रखो पांचाली ! अश्वत्थामा को उसके पाप का दंड अवश्य मिलेगा। मैं अभी अपने गांडीव से उसका सिर काटकर लाता हूं। पुत्रों का अंतिम संस्कार […]
पांडव-पुत्रों का वध – महाभारत
भीम की गदा से दुर्योधन की जंघा टूट चुकी थीं और वह अंतिम सांसें गिन रहा था। तब अश्वत्थामा शीघ्रता से उसके पास पहुंचा। दुर्योधन की दुर्दशा देख वह क्रोध से भर उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि आज रात ही वह सोते हुए पांडवों को मार डालेगा। अश्वत्थामा की प्रतिज्ञा सुनकर मरता दुर्योधन प्रसन्न हो […]
दुर्योधन-वध – महाभारत
कर्ण के उपरांत दुर्योधन ने राजा शल्य को कौरवों का सेनापति नियुक्त किया, परंतु वे युद्ध करते हुए युधिष्ठिर के हाथों मारे गए। सहदेव ने शकुनि का वध कर दिया। अब दुर्योधन अकेला रह गया था। गांधारी पहले ही कुरुक्षेत्र में पहुंच गई थी। उसने जब दुर्योधन को असहाय और अकेला देखा तो चिंतित हो […]
कर्ण-वध – महाभारत
कुंती-पुत्र कर्ण भगवान सूर्यदेव के अंश से उत्पन्न हुए थे। इसलिए वे उन्हीं के समान तेजस्वी और वीर थे। जब कर्ण का जन्म हुआ तो उनके कानों में दिव्य कुंडल और शरीर पर दिव्य कवच सुशोभित था। जैसे-जैसे कर्ण बड़े होते गए, वैसे-वैसे कुंडल और कवच का आकार भी उनके अनुरूप बढ़ता गया। कर्ण का […]
जयद्रथ-वध – महाभारत
अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर अर्जुन क्रोध से पागल हो उठा। जयद्रथ ही उसकी मृत्यु का माध्यम बना था, क्योंकि युधिष्ठिर आदि सहयोद्धाओं को उसने पहले द्वार पर ही रोक लिया था, इसलिए अर्जुन ने प्रतिज्ञा की कि यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर […]
वीर अभिमन्यु – महाभारत
महाभारत के युद्ध में पांडवों को पराजित करने के लिए द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी। इस चक्रव्यूह के सात द्वार थे। द्रोणाचार्य जानते थे कि अर्जुन के अतिरिक्त इस चक्रव्यूह को दूसरा कोई भेद नहीं सकता। अतः उनकी आज्ञा से कुछ राजा अर्जुन से युद्ध करते हुए उन्हें युद्धक्षेत्र से दूर ले गए। […]
सही चुनाव – महाभारत
महाभारत का युद्ध निश्चित हो चुका था। पांडव और कौरव‒दोनों पक्ष भगवान श्रीकृष्ण को अपनी ओर करना चाहते थे। इसलिए कौरवों की ओर से दुर्योधन और पांडवों की ओर से अर्जुन श्रीकृष्ण को आमंत्रित करने के लिए एक साथ उनके पास पहुंचे। उन्हें एक साथ आया देख श्रीकृष्ण बोले-“पार्थ ! आप दोनों मुझे युद्ध के […]
