" ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार " -गृहलक्ष्मी की कहानियां
Khamos Lafzo ka Izhaar

Hindi Kahani: सावन में जैसे बारिश से मौसम सुहाना हो जाता है , बादलों से गिरती हुई बूंदें जब मिट्टी को स्पर्श करती हैं तो मिट्टी अपने अंदर के अवसादों को छोड़कर वातावरण में अपने अस्तित्व में आकर अपने सौंदर्य रूपी भीनी – भीनी खुशबू फैलाकर अपने प्रेम को व्यक्त करती है। एक प्रेमी के द्वारा लिखा गया उसका ” पहला प्रेम पत्र ” बहुत ख़ास होता है वह उसके दिल के बहुत करीब होता है। मैं वह मिट्टी हूं जिसको बारिश की बूंदों के समान तुमने अस्तित्व में लाकर खास बना दिया है ” नवीन अपने पहले प्यार के ” ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार ” अपने प्रेम पत्र में यह सब लिखकर बता रहा था। नवीन का पहला प्यार कोमल जो उसके साथ में कॉलेज में पढ़ती थी खूबसूरत चेहरे और तहज़ीब के साथ में कोमल बहुत बुद्धिमान भी थी। पूरे कॉलेज में सिर्फ कोमल का ही नाम गूंजता रहता था एक साधारण सी दिखने वाली लड़की जिसके सपने आसमान की उड़ान भरना चाहते थे। नवीन पुराने ख्यालों वाला लड़का था जो जीवन में आराम और व्यापार करना चाहता था। मगर नवीन कब कोमल को प्यार करने लगा यह नवीन और कोमल दोनों को भी मालूम नहीं हो पाया था। 

कॉलेज में सभी लोगों को सिर्फ यही लगता था कि नवीन और कोमल साथ में पढ़ते हैं और बहुत अच्छे मित्र हैं। मगर उनका यह रिश्ता मित्रता के साथ में प्रेम के पावन रिश्ते में आकर अपने अस्तित्व को नया आयाम देने लगा था जिससे सभी अनजान थे। कॉलेज के दिनों में दोनों ने बहुत बार अपने दिल की बातों को एक – दूसरे से कहने के बारे में कोशिश की मगर समाज और अस्वीकृति के भय से दोनों चुप ही रहे। कॉलेज अब समाप्त हो चुका था और कोमल अपने सपनों की जीने के लिए उनके संग में असमान की उड़ान भरने के लिए दुसरे शहर में चली जाती है। नवीन भी व्यापार के लिए वापिस अपने शहर की ओर चल देता है। उनके दिल में जो एक – दूसरे के लिए प्रेम के बीज अंकुरित हुए हैं उन्हें अस्तित्व में बनाए रखने के लिए उन्होंने एक – दूसरे को अपना ” पहला प्रेम पत्र ” लिखने का निश्चय किया और उनका ” पहला प्रेम पत्र ” अस्तित्व में आने लगा जिसमें उन्होंने अपने दिल की भावनाओं के ” ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार ” किया समाज और अस्वीकृति के भय के साथ में। यह ख़ामोश लफ्ज़ अब संवाद के लिए तैयार होने लगते हैं। 

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नवीन को उसके पिताजी व्यापार की सभी गतिविधियां समझाने लगते हैं क्योंकि अब नवीन ही इस व्यापार को आगे बढ़ाने वाला है और नवीन भी यह सब स्वीकार करता है। नवीन की मेहनत समय के साथ में अच्छे परिणाम लाने लगी थी। कोमल भी अपने सपनों का आनंद लेने में व्यस्त हो गई थी उसकी सरकारी नौकरी ने उसके सभी सपने पूरे कर दिए थे। कुछ ही दिनों के बाद कोमल की पदोन्नति के साथ में स्थानांतरण भी हो जाता है वह नवीन के शहर में कारखाना निरीक्षक के रूप में नियुक्त हो गई थी । इन सब के बीच में नवीन और कोमल के दिल में प्रेम के बीजों ने अंकुरित होना नहीं छोड़ा था उनकी इन भावनाओं ने अपने ” ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार ” करना शुरू कर दिया था उनका ” पहला प्रेम पत्र ” बहुत खास था। एक दिन कोमल को दफ़्तर में एक पत्र प्राप्त होता है जिसमें लिखा था कि एक कारखाने में नियमों के विरुद्ध कार्य हो रहा है यह जानकर कोमल स्थानीय पुलिस के साथ में उस कारखाने पर शासकीय कार्यवाही करने पहुंच जाती है और कारखाने को बंद करके कारखाने के मालिक को दफ़्तर आने के लिए आदेश देकर वापिस अपने दफ्तर आ जाती है। 

सरकारी निरीक्षण की जानकारी नवीन को प्राप्त होती है और साथ में सरकारी पत्र भी प्राप्त होता है जिसमें कारखाना निरीक्षक के दफ़्तर में पहुंचकर सरकारी कार्य में सहायता करने का आदेश होता है। नवीन आदेश की गंभीरता को समझते हुए कारखाना निरीक्षक दफ़्तर पहुंच जाता है नवीन को कल सुबह मिलने के लिए आदेश दिया जाता है। घर पहुंचकर नवीन अपने कमरे की बालकनी में रखी हुई कुर्सी पर बैठकर अपने व्यापार के बारे में सोचने लगता है। कारखाना निरीक्षक का नाम जानने के लिए वह सरकारी पत्र को फिर से पढ़ने लगता है तब उसे कोमल का नाम मिलता है थोड़ी और जानकारी लेने पर उसे मालूम होता है यह कोमल उसका पहला प्रेम ही है। कोमल भी नवीन के बारे में जानकारी लेने लगती है तब उसे मालूम होता है यह नवीन उसका पहला प्रेम है। दोनों का ” पहला प्रेम पत्र ” जिसमें उनके प्रेम के ” ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार ” लिखा हुआ है वह दोनों उसे पढ़ने लगते हैं। अगले दिन दस्तावेजों की जांच के बाद यह साफ हो जाता है कि किसी ने नवीन के कारखाने के बारे में गलत जानकारी देकर उसे परेशान करने की साज़िश की थी। नवीन और कोमल दोनों राहत की सांस लेने लगते हैं दोनों फिर से एक दूसरे को अपने दिल की बात बताने की कोशिश करते हैं मगर वह फिर असफल हो जाते हैं। 

अगले दिन कोमल अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर अपना ” प्रेम पत्र ” पढ़ रही थी तभी घर के दरवाजे की घंटी बजती है। कोमल दरवाजा खोलती है उसे सामने नवीन दिखाई देता है वह उसका स्वागत करती है और बरामदे में रखी कुर्सी पर बैठने को कहती है। नवीन के हाथों में एक लिफाफा होता है वह उसको देते हुए कहता है – ” यह तुम्हारे लिए है “। कोमल कहती है – ” जी यह लिफाफा कुछ खास है “। नवीन कुछ बहाना बनाकर वहां से चला जाता है। कोमल लिफाफे को खोलकर उसमें लिखे पत्र को पढ़कर अपना ” पहला प्रेम पत्र ” लेकर नवीन के घर जाकर उसको देकर कहती है – ” हमारा ” पहला प्रेम पत्र ” हमारे दिल की भावनाओं के ” ख़ामोश लफ्ज़ों का इज़हार ” कर चुके हैं अब हमें इन्हें स्वीकार करके विवाह के पावन रिश्ते को स्वीकार कर लेना चाहिए। नवीन और कोमल एक- दूसरे को गले लगा लेते हैं।