Story in Hindi: ” चिड़ियों की चहचहाने की आवाज़ें आने लगीं थीं , दोपहर का सूरज अब बादलों के पीछे छुपने लगा था दोपहर का शाम में परिवर्तित होने वाला यह समय था कुछ ऐसा ही परिवर्तन मनोज के मन में भी हो रहा था ” अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को किसी बंधन की तरह वह महसूस कर रहा था आज हॉफ डे होने के कारण उसे कुछ अतिरिक्त समय मिल गया था मगर हर बार की तरह इस बार उसने घर पहुंचकर अपने कमरे में आराम करने के स्थान पर एक पार्क की जमीन पर घास के साथ में बैठकर कुछ पलों के लिए ठहरने का फैसला लिया था। तभी अचानक आसमान में बिजली चमकने लगती है जिसकी आवाज़ मनोज के खोए हुए मन को इस भौतिक जगत में ले आती है और कुछ ही पलों में पानी की बूंदें बादलों से निकल कर जमीन को स्पर्श करने लग जाती हैं। मनोज अपने दफ़्तर के बैग को अपने सिर पर रखकर भागते हुए कुछ ही दूर पर एक विशाल पेड़ के नीचे आश्रय लेकर बैठ जाता है। इस मौसम को देखकर वह कुछ शब्दों को गीत में पिरोकर अपनी ही धुन में गुनगुनाने लगता है। यह बहुत समय बाद हो रहा था जब मनोज अपनी पसंद की जिंदगी के कुछ खास पलों में से एक पल को जीने की कोशिश कर रहा था ।
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मनोज एक सरकारी दफ्तर में अच्छे वेतन पद पर काम कर रहा था। उसे पांच साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव हो चुका था , उसके पिताजी एक प्राइवेट दफ्तर में काम करते थे , वह चाहते थे कि उनके रिटायरमेंट से पहले मनोज की सरकारी नौकरी लग जाए उसकी मां एक गृहणी थीं उनका पूरा जीवन घर के काम करते हुए ही निकल रहा था उनकी ” इच्छा ” थी कि मनोज का एक सुंदर – सी लड़की के साथ विवाह हो जाए जो उनका यह घर देख सके और वह तीर्थ यात्रा पर चली जाएं। नौकरी लगने के दो वर्ष बाद ही मनोज का विवाह सुनीता के साथ में हो गया था सुनीता बहुत सुंदर और समझदार है वह मनोज के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर उसके साथ चलती है। पूरा परिवार बहुत खुश और जीवन का आनंद ले रहा था। दोनों ने मिलकर परिवार के लिए शहर में एक घर भी बना लिया था जिसका गृह प्रवेश दो दिन बाद होने वाला था। सारी तैयारियां भी पूरी होने वाली थीं। मेहमानों का आगमन होना भी शुरू हो चुका था।
मनोज को बचपन से ही संगीत से बहुत प्यार था वह शब्दों के साथ खेलता था और नई – नई धुनों को बनाता था वह बहुत सारे मंचों पर जाकर अपनी कला का प्रदर्शन भी कर चुका था वह हमेशा से ही अपनी कल्पनाओं की दुनिया में रहता था और अपनी ” कल्पनाओं की उड़ान ” भरता रहता था। मनोज संगीत में अपना भविष्य देखता था मगर साधारण परिवार से होने की वजह से कभी अपने घर पर यह बात नहीं कर पाया था इसलिए उसकी यह ” इच्छा ” अधूरी ही रह गई थी और समय के साथ में कहीं खोने भी लगी थी अपनी इस कला से अपनी नई पहचान बनाने में मनोज अभी भी सफल नहीं हो पाया था। यह ” इच्छा ” बहुत बार उसके दिल में एक दर्द की तरह अपनी जगह बना चुकी थी। अब बारिश थम चुकी थी और मनोज का गुनगुनाना भी बंद हो चुका था कुछ पलों पहले जहां पर संगीत की सरगम हवाओं में थी अब वहां ख़ामोशी की काली चादर अपना विस्तार करने लगी थी। मनोज अपने बैग को अपने कंधे पर रखकर अपने घर की ओर चलने लगा था अपनी कुछ पलों की खुशी का आनंद लेकर मनोज वापिस अपनी पुरानी जिंदगी में लौटने लगा था।
गृह प्रवेश के कार्यक्रम में पूरा परिवार बहुत खुश था , सभी मेहमानों ने मनोज और सुनीता की तारीफों में कोई भी कमी नहीं छोड़ी और उनके माता – पिता को बधाईयां भी दीं। कार्यक्रम के बाद मनोज ने हिम्मत करके अपनी पत्नि सुनीता को अपनी ” इच्छा ” के बारे में बताया। सुनीता ने हर बार की तरह उसका साथ दिया। मगर भविष्य की चिंता की वजह से माता – पिता ने उसको यह करने से रोकने की कोशिश की , मगर मनोज का चेहरा देखकर वह उसे एक महीने का समय दे देते हैं। मनोज एक महीने की दफ़्तर से छुट्टी ले लेता है और लगभग सभी संगीत कंपनियों के दफ्तरों में जाकर अपनी कला का प्रदर्शन करता है। समय भागने लगा था कहीं पर काम नहीं था और कहीं पर उसकी कला को सम्मान नहीं मिला। मनोज के मन में अंधेरा छाने लगा था मगर ” कल्पनाओं की उड़ान ” भरने की ” इच्छा ” ने उसे उम्मीद की ज्योती जलाने की हिम्मत हमेशा दी। जिससे वह हर सुबह अपने सपने को हकीकत में लाने की कोशिश करता रहा मंजिल बहुत दूर नजर आ रही थी और समय भी कम होने लगा था।
समय अपनी ही गति से चल रहा था। मनोज के पास सिर्फ एक महीना ही था जो अब समाप्त हो चुका था , मनोज आज रात भर नहीं सोया था सुबह होते ही वह अपने दफ्तर के लिए तैयार होकर घर से निकलने लगता है , तभी पिता जी उसे आवाज देकर रोकते हुए एक लिफाफा देकर कहते हैं – ” यह लिफाफा कल आया था , इसमें तुम्हारी ” इच्छा ” का परिणाम है जिसमें तुम्हें जीत प्राप्त हुई है। अब तुम अपनी ” कल्पनाओं की उड़ान ” आसमान में सबसे ऊपर भरने को तैयार हो जाओ तुमने अपने विश्वास से अपनी ” इच्छा को हकीकत में बदल लिया है ” और उसे गले से लगा लेते हैं। यह देखकर सबकी आँखें नम होने लगीं। मनोज ने लिफाफा खोलकर देखा तो उसमें सबसे बड़ी संगीत कंपनी ने उसे दस गीतों को अपनी आवाज़ देने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था साथ में एक चैक भी दिया था जिसमें इस कॉन्ट्रैक्ट की एक चौथाई कीमत भरी थी। इस बार सिर्फ मनोज ही नहीं बल्कि पूरा परिवार अपनी ” इच्छा ” की अपनी – अपनी ” कल्पनाओं की उड़ान ” भरने लग जाता है।
