मायका-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Family House Story
Mayka

Family House Story: सुहानी अपने माता पिता की एकलौती बेटी थी घर में बहुत लाड प्यार से उसको पाला जा रहा था,, उसको मायके की इतनी परवाह बोझ लगने लगी थी अब घर में जब उसकी शादी की बात चली तो उसको लगा कि किसी के साथ भी उसको बांध दिया जायेगा… 

अपने ही पापा की बातें उसको बोझ लगने लगीं थी.. 

एक दिन सुहानी कहीं तैयार होकर जा रही थी तो पीछे से उसके पिता जी ने आवाज़ दिया.. 

    कहाँ जा रही हो, सुहानी ? सुहानी को पता था कि बाहर के कमरे में पिता जी जरूर मिलेंगे और जरूर पूछेंगे कहाँ जा रही हो!इसलिए आज पहले से ही बहाना बना रखा था! कि बोल दूंगी की आज कॉलेज में प्रैक्टिकल है शाम तक लौट आऊंगी! स्कूटी से क्यों नहीं जा रही हो? सुहानी चिल्ला के बोली की क्या आप भी पिता जी मैं स्कूटी ले जाती हूँ तो भी सवाल करतें हैं न ले जाओ तब भी सवाल करतें हैं! आज रविवार है कालेज बंद रहता है इसलिए स्टैंड भी बंद रहेगा, मैं प्रैक्टिकल में ध्यान दूंगी या स्कूटी पर आप ही बताइये! 

टैक्सी से चली जाऊंगी! सुहानी के पिता जी पास आये और आकर प्यार से सिर सहला कर बोला जाओ बेटा मैं कहाँ रोकता है तूम्हें! पैदल जाओ या स्कूटी से लेकिन बेटा चिंता लगी रहती है तो घर जल्दी आ जाना! 

   सुहानी अपने आप में ही बोलते हुए बाहर निकल रही थी,,अरे राम  एक झूठ छिपाने को हजार झूठ बोलना पड़ा! पापा को लड़कों से दोस्ती करना बिल्कुल पसंद नही है!  वो तो अपने घर के हर बगीचे में लगे फूल की बहुत हीफाजत करतें हैं फिर मैं तो उनकी बेटी हूँ करें भी क्यों ना

अभी अचानक से एक हफ्ते पहले दो महीने की छुट्टी लेकर घर आये हैं!उनके हिसाब से भले घर की लड़कियों को बहकाने के लिए दोस्ती यारी बनी है! उस माँ बाप को गोली मार देनी चाहिए जो अपनी लड़कियों के ऊपर नजर नहीं रख पाते! उनसे पार पाना मुश्किल था!  लेकिन  सुहानी भी क्या कम थी उनकी इतनी सख्ती के बाद भी एक लड़के से दोस्ती कर भी ली थी और उसके साथ शादी के सपने भी देखने लगी थी..किसी तरह घर से निकल  समुद्र के किनारे जहाँ उसका दोस्त विपुल उसका इंतजार कर रहा था मिलने चल दी! बड़ी तेजी से कदम बढाती हुई उसके तरफ चल दी! सुहानी के दिल और दिमाग में बस विपुल ही था उसके ही  ख्यालों में हर पल उसका मन खोया हुआ रहता था! 

  विपुल उसको  शुरू में अच्छा नहीं लगा,पहले दिन जब उसने अपनी गाड़ी उसकी स्कूटी से टकराई थी तब मारे गुस्से के चप्पल से उसे पीट दिया था! वहाँ खड़े कुछ और लोगों ने भी उसको और ज्यादा पीट दिया था! अगले दिन उस स्थान पर पहुंचते ही सारी घटना सुहानी की आंखों के सामने आ गयी! गुस्से से पागल होकर वह  आज कालेज गयी थी! आज अगर वह दिख गया होता तो उसको अपने स्कूटी से उसे कुचल डालती! सुहानी बड़बड़ाती हुई अपने कॉलेज में चली गई…. 

मन उसका अशांत तो बहुत था लेकिन बिना मन के घर चली आयी थी.

    अचानक से एक महीने के बाद विपुल सुहानी के कॉलेज के बाहर दिख गया था! उसके दोनों हाथ पर प्लास्टर चढा था! उसकी नजरें झुकी हुईं और विपुल शर्मिंदा होकर सुहानी के पास आकर माफ़ी मांगते हुए बोला मुझे माफ कर दीजिये,,

सुहानी गुस्से में एक नजर देखकर  घूरती हुई कॉलेज के अंदर चली गई! सुहानी का पढाई मे मन नहीं लगा, शाम को भी विपुल फिर से उसी जगह पर वैसे ही दिखा था! लेकिन सुहानी उसको नजरंदाज करते हुए वहाँ से चली गयी! 

     यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा जब तक कि सुहानी अपनी स्कूटी को खड़ा करके उसके पास नहीं चली गयी!

और गुस्से में विपुल से बोली…क्या चाहते हो तुम,,हाथ की तरह पैर भी तोड़वाना चाहते हो क्या! यहाँ मेरी जैसी सैकड़ों लड़कियां हैं,  सब मिलकर मारने लगीं तो इस दुनियाँ मे चले जाओगे! बताओ अब क्या इरादा है तुम्हारा? मैं आपसे माफी मांगना चाहता था, लेकिन लगता है मेरा गुनाह माफी लायक नहीं!सुहानी ने विपुल  को बड़े ध्यान से देखा तो बोल उठी चलो ठीक है….ठीक है जाओ माफ किया! मैं विपुल इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूँ बोलकर बड़ी तेजी से  रोड के आगे तरफ चला गया! 

      विपुल, विपुल,  वर्मा यह नाम पूरी रात सुहानी के दिमाग में गूंजता रहा! सुहानी को लगा लड़का साफ दिल का है मैने उसके साथ गलत किया है…..और दूसरे दिन कॉलेज के गेट पर चारों तरफ उसको नजरों से उसे देखना चाहा मगर वह कहीं नहीं दिखा!  एक हफ्ता बीत गया था विपुल जाने कहाँ चला गया था एक मन में अजीब सी उलझन लिए हर दिन सुहानी उसको अपनी नजरों के कोरों उसे तलाशती रहती थी?? उसकी तलाश करीब महीने भर बाद पूरी हुई जब वह दिखाई दिया! विपुल किताबों की दुकान पर मिला था जैसे ही सुहानी नें देखा उसको आवाज़ देकर बुलाया था! और उसका नतीजा यह निकला कि आज वह मम्मी पापा से झूठ बोलकर उसके साथ स्पेशल डे मनाने जा रही थी! मम्मी तो ठीक मगर पिता जी से बहुत डर लगता है, सरकारी कर्मचारी आदमी हैं जबसे छुट्टी आये है उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं रह गयी है! 

     आज विपुल बहुत बड़ी कार लेकर आया था! गाड़ी मे ड्राइवर भी था! किसकी गाड़ी मांग लाए हो भला इसकी क्या जरूरत थी! सुहानी आज का दिन मेरे जिंदगी का बहुत बड़ा दिन है,यह कार अपनी है! आज की पार्टी हम दूसरे शहर मे मनायेंगे!वहाँ के सबसे मंहगे होटल के सबसे शानदार तरीके से मे! विपुल ने बोला… 

अरे सुहानी चिल्लाई मुझको पहले तो तुमने नही बताया था

दूसरे शहर तो यहाँ से बहुत दूर है, मैं नहीं जा सकती वहाँ! इसीलिए तो यह बड़ी गाड़ी लिया देर रात तक हम लौट आयेंगे! विपुल किस करते हुए सुहानी को बोला..अरे सुहानी जिस सहेली से मिलने का बहाना बनाकर तुम आई हो उसे बीमार बना दो अब सिम्पल! ऐसा बोलकर विपुल जोर- जोर से  हसँने लगा जिसपर ड्राइवर भी हंसने लगा!  सुहानी अब तेज आवाज़ में बोली मैं कॉलेज में प्रैक्टिकल का कहकर आई हूँ गाड़ी रोको वरना-! 

इतना सुनते ही विपुल गुस्से से आग बबूला हो गया,, बोला क्या करेगी बोल  जूतों से मारेगी क्या मुझको या फिर  पब्लिक से पिटवाएगी? आज तेरा सारा गुरूर तोडकर तुझे अपने कब्जे मे लेना है मुझे! गालियाँ दे छटपटा बुला लोगों को रो मगर यह गाड़ी नहीं रुकनी चाहिए ऐसा बोलते हुए   सुहानी को अपनी तरफ खीचने लगा  ,, बोलने लगा मेरा नाम विपुल वर्मा नही नहीं बल्कि अतुल शर्मा हैं!  सुहानी खुद को बचाने लगी तो विपुल ने उसको खीचते हुए बोला..चलती गाड़ी से कूदना मना है फाटक नहीं खुल सकता! 

     यह सब देख सुहानी को अपने घर और माता पिता की याद आयी वो  रोते हुए अपने पिता को पुकारने लगी आप सही बोलतें थे पिता जी मायका लड़की के लिए सबसे उत्तम होता है दुनिया तो बस अपने मतलब से प्रयोग करती है ,, जोर जोर से कहकर चिल्लाने लगी, मुझे बचा लो पापा! मेरे पिता जी तुम्हें नहीं छोड़ेंगे नही तुम उन्हें नहीं जानते, वो तुम्हारे किए की सजा वह तुम्हें जरूर देंगे! विपुल के बाल खीचते हुए सुहानी चिल्ला रही थी…

खूब जानते हैं हम तुम्हारे पिता जी को ,  अधिकारी है वह!  और सुन लो यह तुम उन्ही के किए का फल भुगतने जा रही! तेरी गंदी वीडियो मुझे पूरे भारत मे वायरल करना है मुझको!

      यह सब देख सुन सुहानी को तो जैसे बेहोशी सी आ गयी हो!अभी वह कुछ सोचती समझती तबतक दो गाड़ियां रास्ता रोककर खड़ी हो गयीं! 

उन गाड़ियों से उतरकर कई लोग कार के पास आये गए! उनको देख सुहानी और डर गयी! उसने समझा कि यह सभी लोग विपुल साथी हैं! लेकिन जब विपुल ने उनसे पूछा तुम लोग कौन हो, मेरा रास्ता रोककर क्यों खड़े हो? पहले तुम सब बाहर निकलो हमे गाड़ी चेक करनी है! उन लोगों ने कहा..

हम शरीफ लोग हैं यह बहन है हमारी इसकी तबियत खराब है, इसे अस्पताल ले जा रहे हैं! वैसे मामला क्या है कौन हैं आप लोग? विपुल डरते हुए बोल रहा था? 

     हम नारकोटिक्स विभाग से हैं, हमे सूचना मिली है कि किसी कार से ड्रग्स की बहुत बड़ी खेंप जा रही है! मरीज को अंदर रहने दो तुम दोनों बाहर आकर गाड़ी चेक करने मे हमारा सहयोग करो! थोड़ा सा नानुकुर करने के बाद ड्राइवर और विपुल नीचे उतर गये! सुहानी चुपचाप तमाशा देखती रही! 

      उनके नीचे उतरते ही उन लोगों ने उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया! विपुल बहुत ज्यादा उछल रहा था! बार बार पूछ रहा था मैंने क्या किया है? तबतक सुहानी के पिता जी ने आगे खड़ी गाड़ी से उतरकर आने के साथ विपुल को एक झन्नाटेदार थप्पड़ गाल पर मारते हुए बोले मैं बताऊँ कमीने तुमने क्या किया? 

   अपने पापा को देखते ही सुहानी गाड़ी से उतरकर अपने पापा से लिपटकर बोली आप आ गये पापा? अरे पगली मैं तो तुम्हारे पीछे पीछे आज महीनों से चल रहा हूँ! तुम ही प्यार मे अंधी हो गयी थी जो तुम मुझे देख नहीं रही थी! जब तुम्हारी आंख खुली और तुमने मुझे पुकारा तो सामने आ गया! तुम बताओ जब तुम बोली कि मुझे बचालो डैडी तो मुझे कितना देर लगा आने मे? एक मिनट के अंदर आ गया न तुम्हारा पापा! 

    अपने पापा के साथ जब सुहानी घर पहुंची तो माँ दरवाजे पर खड़ थी! प्रैक्टिकल हो गया तुम्हारा वह मुस्कुरा कर बोली! मम्मी कहते रोती हुई सुहानी उनके गले से लिपट गयी! अरे बेटी मैं सब जानती हूँ मैंने ही तुम्हारे पापा को फोन करके यहाँ बुलाया था!

   सुहानी के पापा बोले और हाँ सुहानी यह जो फैन्सी नयी घड़ी पहनकर तुम घूम रही हो यह मैंने ही भेजा था तुम्हारी सुरक्षा और लोकेशन की जानकारी रखने के लिए! भला बताओ जब मैं अपने बागीचे के पेड़ों की रखवाली इतना करता हूँ  फिर तू तो मेरी जान है बेटा मेरा हिस्सा इस मायके की बेटी भला तुझे  किसी कमीने को छूने कैसे दे सकता हूँ!

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