Short Story in Hindi: मेरा भतीजा आठ साल का था जब मेरी शादी हुई थी । तीन महीने बाद जब पहली बार ससुराल से अपने मायके आई तो भतीजे ने मेरा हाथ पकड़ा और सीधा छत पर ले जाने लगा। माँ और भाभी सब रोकते रहे…
” पहले बुआ को पूजा घर में खोंईंचा झाड़ने तो जाने दो फिर थोड़ा सुस्ताने के बाद तेरे साथ खेलेगी।”
लेकिन वो ज़िद्द पर अड़ा था कि, “बुआ को एक बहुत इम्पोर्टेंट चीज दिखानी है। बहुत जरूरी काम है उसके बाद वो खोईंचा झाड़ती रहेगी।”
मैं भी भतीजे की जिद्द के आगे हार गई। जब उसके साथ छत पर गई तो वो एक गमले के पास मुझे बिठाकर बोला यहीं बैठना बुआ एक मिनट फिर वहीं रखी खुरपी से गमले की मिट्टी हटाकर उसमें से एक पोंड्स की डिब्बी निकाली और मेरे हाथ में थमा दी। मैं हैरान थी।
” क्या है इसमें बेटू।”
“आप खुद खोलकर देखो। अभी तक किसी को नहीं दिखाया आपके लिए ही संभाल कर रखा था।”
मैंने डिब्बी खोलकर देखी तो उसमें चार पांँच दांँत रखें हुए थे।
“बुआ आप यहांँ पर नहीं थे तो मैंने इधर दांँतों को आपको दिखाने के लिए यहांँ संभाल कर रखा था। आप ही मेरे इन दाँतो का पेड़ लगा दीजिए फिर जब उसमें दाँत उगेंगे तो हम उन सबको बांँट देंगे जिनके मुँह में दाँत नहीं होंगे।”
मैंने उसका माथा चूम लिया मेरी आंँखों से आंँसू निकल पड़े उसका भोलापन और प्यार देखकर।
मम्मी आवाजें लगा रही थी जल्दी आओ नीचे दोनों धूप में ऊपर क्या कर रहे हो। हम दोनों तो दाँतों के पेड़ लगाने में व्यस्त थे। अपने भतीजे के साथ मैं भी बच्चा बन गई थी।
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