aesop ki kahani

Hindi kids story: एक बार की बात है, एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी, तभी उसे एक पेड़ पर मुर्गा बैठा दिखाई दिया। उसे देख, लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह उसे खाना चाहती थी, पर मुर्गा तो पेड़ के ऊपर था, तो भला वह उसे कैसे खाती? आखिर कुछ सोचकर लोमड़ी ने मीठे स्वर में कहा, ”अरे भई मुर्गे, तुम नीचे क्यों नहीं आते? बड़े दिनों से तुमसे बातें नहीं कीं। नीचे आओ तो अच्छी तरह तुम्हारे हाल-चाल जान लूँ?”

मुर्गा लोमड़ी की चालाकी समझ गया। बोला, ”लोमड़ी चाची, मैं नीचे आ तो जाता, पर मुझे डर है कि कुछ लोग हैं , जो मुझे जिंदा नहीं रहने देंगे और मारकर खा जाएँगे।”

इस पर लोमड़ी बोली, ”अरे, यह तुम कैसी बात कह रहे हो? क्या तुमने सुना नहीं कि अब से जंगल में आपस में ह्रश्वयार और शांति से रहने का कानून लागू हो गया है। सभी जानवरों ने निश्चय किया है कि अब वे किसी को नहीं मारेंगे।” ”अच्छा, यह तो तुमने बड़ी अच्छी खबर दी।” मुर्गा बोला।

लोमड़ी आगे अपनी बात कहती, इससे पहले ही मुर्गा दूर किसी चीज को बड़े ध्यान से देखने लगा। ”ह्रश्वयारे मुर्गे, तुम इतने ध्यान से क्या देख रहे हो?” लोमड़ी ने पूछा। इस पर मुर्गा बोला, ”लोमड़ी चाची, मुझे कुछ दूरी पर काफी शिकारी कुत्ते नजर आ रहे हैं। वे इसी ओर दौड़ते आ रहे हैं, पर भला तुम्हें इसकी परवाह करने की क्या जरूरत है, क्योंकि जंगल में तो ह्रश्वयार और शांति का कानून पास हो गया है न!”

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”नहीं-नहीं, चलती हूँ। मुझे असल में एक बहुत जरूरी काम याद आ गया है।” लोमड़ी बोली।

”पर थोड़ा रुको तो। आखिर इतनी जल्दी भी क्या है? और फिर वे शिकारी कुत्ते तुम्हें मारेंगे थोड़े ही।” मुर्गे ने दिलासा दी।

”हाँ, बात तो तुम्हारी ठीक है, पर क्या पता, उन्होंने जंगल के इस नए कानून के बारे में अभी सुना ही न हो इसलिए मुझे जल्दी ही यहाँ से चल देना चाहिए।” कहकर लोमड़ी फौरन वहाँ से नौ-दो ग्यारह हो गई। यह देखकर मुर्गा भी मुस्करा दिया।

सीख : चालाक लोगों से पार पाने के लिए चालाकी जरूरी है।

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