Hindi kids story

Hindi kids story: एक लोमड़ी और एक सारस में बड़ी दोस्ती थी, लेकिन लोमड़ी थोड़ी चालाक थी । एक बार उसे एक मजाक सूझा। उसने सारस से कहा, “भाई, कल तुम मेरे घर आना । मैं सोचती हूँ, मैं तुम्हें एक बढ़िया – सी दावत दूँ ।” सारस खुशी-खुशी मान गया। लोमड़ी ने उस दिन खूब बढ़िया सूप बनाया। जब सारस दावत खाने पहुँचा, तो वह सूप उसने एक चपटी-सी प्लेट में डाल दिया । फिर सारस से कहा, “आओ मित्र, आओ । मेरे बनाए हुए इस बढ़िया सूप का आनंद लो।”

जब सारस ने उस चपटी-प्लेट में अपनी चोंच डुबोई, तो उसमें कुछ नहीं आया, जबकि लोमड़ी बड़े मजे में चप-चप करके वो सारा सूप पी गई ।

जब सारस चलने लगा तो लोमड़ी ने कहा, “भाई, मुझे बड़ा दुःख है कि मैंने ऐसा बढ़िया सूप बनाया है और तुम्हारे लिए शानदान दावत का इंतजाम किया है, लेकिन तुम इस स्वादिष्ट सूप का आनंद ले ही नहीं पाए । ”

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इस पर सारस बोला, “चिंता न करो। मैं सूप नहीं पी सका तो क्या ? मगर तुमने ऐसी बढ़िया दावत दी, इसका तो मैं मुरीद हो ही गया । हाँ, कल तुम मेरे यहाँ जरूर आना। मैंने तुम्हारे लिए ऐसी बढ़िया दावत का इंतजाम किया है कि तुम वाकई भूल नहीं पाओगी।’

अगले दिन लोमड़ी सारस के घर दावत खाने पहुँची । सारस ने खूब बढ़िया शोरबा बनाया, पर उसे ऐसे बरतन में डालकर पेश किया, जिसकी गरदन बड़ी लंबी और पतली थी । उसने लोमड़ी से कहा, “आओ मित्र, अब दावत का आनंद लो।’ पर लोमड़ी का मुँह तो उस सँकरे मुँह वाले बरतन के अंदर जा ही नहीं पा रहा था, तो भला वह उस शोरबे को कैसे पीती ? सारस ने अपनी पतली चोंच डुबोकर सारा शोरबा पिया और मुस्कराकर बोला, “क्यों लोमड़ी जी, कैसी रही यह दावत ? मुझे लगता है कि आप शायद इसका भरपूर आनंद नहीं ले पाईं। ”

लोमड़ी भला क्या कहती ? उसकी गरदन शर्म से बुरी तरह झुकी हुई थी ।

सीखः जो जैसा करता है, बाद में चलकर उसे भी वैसा ही भुगतना पड़ता है।

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