एक बार एक शेर अपने शिकार किए हुए हिरन को खा रहा था, तभी उसके गले में एक बड़ी सी हड्डी फंस गई। वह दर्द से बहुत परेशान हो गया। उसने अपने पास खड़े लोमड़ से कहा कि वह जल्दी ही कुछ करे। लोमड़ भागकर जंगल की झील पर पहुँचा और वहाँ मौजूद एक सारस को सारी घटना कह सुनाई और बोला कि यदि वह शेर के गले से हड्डी निकाल सके तो शेर इसे बहुत तगड़ा इनाम देगा।
इनाम के लालच में सारस जल्दी से गीदड़ के साथ शेर की गुफा में पहुँचा और उससे मुंह खोलने के लिए कहा। शेर ने मुँह खोला तो उसने अपनी लंबी गर्दन उसके मुंह में डालकर चोंच से हड्डी बाहर निकाल दी। हड्डी निकल जाने के बाद जब शेर को राहत मिली तो उसने सारस का शुक्रिया अदा किया। इस पर सारस ने अपना पुरस्कार माँगा।
शेर जोर से हंसा और बोला कि मूर्ख सारस, आज बाद तू पूरे जंगल के जानवरों को बता सकता है कि तू शेर के मुँह में सिर डालकर सही सलामत लौट आया है। इसमें जिस गौरव का एहसास तुझे होगा, वही तेरा पुरस्कार है। सुनकर सारस अपना सा मुंह लेकर रह गया। सारः समर्थों की सहायता में किसी प्रतिदान की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–Anmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)
