Power of Meditation: जिंदगी को बेहतर बनाने के फेर में आज हर इंसान इतना उलझ गया है कि वह शायद जीना ही भूलता जा रहा है। टारगेट और तमन्नओं के बीच हर शख्स अंदर ही अंदर परेशान है और यही परेशानी कहीं न कहीं डिप्रेशन का कारण बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में 300 मिलियन से ज्यादा लोग डिप्रेशन का शिकार हैं। चिंता की बात यह है कि भारत के युवाओं में भी डिप्रेशन की दर लगातार बढ़ रही है। यूनिसेफ के अनुसार भारत में 15 से 24 साल के बीच के सात युवाओं में से एक डिप्रेशन का शिकार है। ऐसे में यह बात साफ है कि डिप्रेशन लोगों को जकड़ रहा है।
मानसिक और शारीरिक दोनों फायदे

डिप्रेशन से बिना दवाओं के बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका है मेडिटेशन। कई स्टडीज से यह साबित हुआ है कि मेडिटेशन से मूड अच्छा होता है और नींद भी अच्छी आती है, जिससे आपको न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है, बल्कि आप शारीरिक रूप से भी अच्छा महसूस करते हैं। मार्टिन्स सेंटर फॉर बायो मेडिकल इमेजिंग की ओर से की गई एक स्टडी के अनुसार मेडिटेशन करने से दिमाग न सिर्फ रिलेक्स होता है, बल्कि यह ध्यान केंद्रित करने में भी मददगार है। यह दिमाग को एक्टिव करता है, जिससे तनाव कम होता है। स्टडी के अनुसार आठ सप्ताह तक मेडिटेशन करने से फाइब्रोमायल्जिया, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी मानसिक बीमारियां भी दूर होती हैं।
सुधरती है इमोशनल हेल्थ

आमतौर पर लोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन वे इमोशनल हेल्थ पर गौर करना भूल जाते हैं। दुनियाभर में हुए अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि मेडिटेशन से आपकी इमोशनल हेल्थ में भी सुधार होता है। इसे नियमित रूप से करने पर नकारात्मक विचार कम आते हैं, जिससे अवसाद कम होता है। इसके साथ ही यह मूड को प्रभावित करने वाले हार्मोन साइटोकिन्स को भी कम करता है।
ये हैं नींद के चार चरण

विशेषज्ञों के अनुसार हर शख्स के लिए दिन में सात से आठ घंटे की नींद जरूरी है। दरअसल, नींद के दौरान हमारे दिमाग की तरंगे चार चरणों से गुजरती हैं। चरण एक और दो में आम तौर पर पहली बार हल्की नींद के साथ सो जाना शामिल होता है। विशेषज्ञों के अनुसार कुल नींद का लगभग 70 प्रतिशत हर इंसान हल्की नींद में भी होता है। तीसरा चरण है गहरी नींद, जिसमें शरीर अपनी ऊर्जा बहाल करता है और कोशिकाओं, ऊतकों और मांसपेशियों की मरम्मत करता है। हम आम तौर पर अपनी कुल नींद का लगभग 20% ही गहरी नींद में बिताते हैं। वहीं चौथे चरण में आंखों की गति, हृदय गति और श्वास के साथ-साथ मस्तिष्क गतिविधि में वृद्धि होती है, जिसे रैपिड आई मूवमेंट नींद कहा जाता है। आमतौर पर लोग इसी चरण में सपने देखते हैं।
क्या नींद का विकल्प है मेडिटेशन

अब सवाल ये है कि क्या मेडिटेशन नींद का विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अध्ययनों के अनुसार यह पूर्ण विकल्प नहीं है, लेकिन यह बेहद प्रभावी है। जी हां, विभिन्न अध्ययनों का दावा है कि अगर आपको थकान महसूस हो रही है तो झपकी के मुकाबले मेडिटेशन आपके ज्यादा काम आएगा। क्योंकि दिमाग को रिलैक्स करने में मेडिटेशन, झपकी के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि झपकी लेना बुरा है। दरअसल, दिन में 20 से 30 मिनट की झपकी लेना आदर्श होता है। इससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को आराम मिलता है। यह तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कोर्टिसोल को भी कम करती है। साथ ही आपके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है।
यह है मेडिटेशन का सही तरीका

मेडिटेशन का आपको पूरा फायदा मिले, इसके लिए इसे ठीक से करना भी जरूरी है। दिन में एक घंटे मेडिटेशन जरूर करें। सबसे जरूरी है सही समय चुनना। मेडिटेशन के लिए सबसे सही समय है सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक के बीच में। इस समय मेडिटेशन करने से शीर्ष ग्रंथि और पीयूष ग्रंथि पर सबसे ज्यादा असर होता है, क्योंकि इस समय सूर्य और पृथ्वी के बीच का कोण 60 डिग्री पर होता है। हमेशा साफ और शांत स्थान पर बैठकर मेडिटेशन करें। इस दौरान खुद को शांत रखने की कोशिश करें। कोशिश करें कि आप आरामदायक कपड़े पहनें और एकदम सीधे बैठें। आपका शरीर बहुत अधिक तना हुआ नहीं होना चाहिए, न ही आप शरीर को ढीला करके बैठें। मुद्रा वो चुनें जिसमें आप आराम महसूस करें। विशेषज्ञों के अनुसार मेडिटेशन खाली पेट करना सबसे बेहतर रहता है। अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो भोजन से करीब एक घंटे पहले मेडिटेशन करें। मेडिटेशन के दौरान गहरी सांस लें, चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें और खुद को एकदम शांत रखने की कोशिश करें।
